चीन को ले डूबेगी आतंकी मसूद अजहर की मोहब्बत, ये ना अमेरिका के हुए ना इराक के
चीन ने एक बार फिर जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को बचाने की कोशिश की है। बार-बार ऐसा करके चीन अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है।
New Delhi Nov 03 : अब इसे पाकिस्तान की यारी कहें या फिर आतंकवाद के प्रति प्रेम, जो कहना है कहते रहिए। क्योंकि चीन ने एक बार फिर पाकिस्तान के खूंखार आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अहजर हो बचा लिया है। चीन ने मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित करने की भारत की कोशिशों में अड़ंगा लगा दिया है। इतना ही नहीं इस अड़ंगे के बाद चीन कहता है कि वो भारत से बेहतर संबंध चाहता है। अब चीन के इस तरह के बयान को बेशर्मी की हद ही कहेंगे। एक ओर वो भारत से अच्छे रिश्ते भी चाह रहा है दूसरी ओर भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल मसूद अजहर को भी बचा रहा है। कम से कम भारत के साथ तो ऐसा दोगलापन कतई नहीं चलेगा। और हां चीन को एक बात ये भी समझ लेनी चाहिए कि मसूद अजहर जैसे आतंकी आज तक किसी भी देश के सगे नहीं हुए हैं। अमेरिका से लेकर इराक इस बात के उदारहण हैं।
अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन से लेकर आईएसआईएस के तमाम जिंदा और मुर्दा उदारहण इस वक्त दुनिया में मौजूद हैं। जिससे हर कोई सबक ले सकता है। अगर चीन जैसे देश को लग रहा है कि वो मसूद अजहर जैसे आतंकियों को बचाकर पाकिस्तान की मदद करेगा और भारत पर दवाब बनाएगा तो उसकी ये सोच निहायत ही वाहियात है। जिस दिन मसूद अहजर भारत की एजेंसियों के हत्थे चढ़ गया उस दिन ना जाने कितनी गोलियां उसके जिस्म में उतार दी जाएंगी। इसलिए इन सब से भारत की सेहत पर बहुत असर नहीं पड़ता है। लेकिन, आतंकियों की पैरवी करके चीन और पाकिस्तान जैसे देश जरूर बेनकाब हो रहे हैं। भारत लंबे समय से चाहता है कि पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड मसूद अजहर को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया जाए। लेकिन, हर बार चीन उसमें कोई ना कोई टेक्नीकल पेंच फंसाकर उसे बचा लेता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही किया गया है।
इस मसले पर यूनाइटेड नेशन्स सिक्युरिटी काउंसिल के परमानेंट मेंबर चीन का कहना है कि इस मुद्दे पर सभी की सहमति नहीं है। जबकि काउंसिल के दूसरे सदस्य मसलन अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी घोषित करने का प्रपोजल रखा था। चीन का कहना है कि हमले कमेटी के मेंबर्स को वक्त देने के लिए इसे टेक्नीकल होल्ड पर रखा है। चीन की मंशा साफ है कि वो पाकिस्तान से यारी निभाने के चक्कर में आतंकवाद के प्रति दूसरे देशों की लड़ाई को कमजोर करना चाह रहा है। लेकिन, शायद चीन ये भूल रहा है कि मसूद अहजर जैसे आतंकी वो नाग हैं जो किसी को भी डस सकते हैं। अघोषित तौर पर अमेरिका ने अपने निजी फायदे के लिए कितने आतंकियों को खड़ा किया। लेकिन, उन्होंने अमेरिका के साथ क्या किया। पूरी दुनिया इस बात की गवाह है। इराक में शुरुआत में क्या हुआ। किस तरह से आईएसआईएस ने यहां पर पर अपना वर्चस्व कायम किया हर किसी को पता है।
चीन जैसे देशों की सोच ही आतंकवाद को बढ़ावा देती हैं। लेकिन, ये सोच ये भूल जाती है कि कल को ये आतंकी उनकी छाती पर भी एक-47 तान सकते हैं। फिलहाल ये बात को चीन की समझ में आती हुई नजर नहीं आ रही है। एक ओर वो भारत के सबसे बड़े दुश्मन को भी बचा रहा है दूसरी ओर हिंदुस्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों को भी मजबूत करने की ख्वाहिश जाहिर कर रहा है। ऐसे में चीन को क्या लगता है कि इस तरह की कार्रवाई से कभी दोनों देशों के रिश्ते मजबूत हो सकते हैं। हरगिज नहीं। अगर वाकई चीन भारत के साथ संबंधों को महत्व दे रहा है। तो उसे रिश्तों की इज्जत करनी सीखनी होगी। सिर्फ चीन की वजह से ही पिछले दो सालों से मसूद अहजर बचता जा रहा है। पिछले साल भी मार्च महीने में संयुक्त राष्ट्र के भीतर 15 सदस्य देशों में चीन इकलौता ऐसा देश था जिसने इस मसले पर अड़ंगा लगाते हुए भारत के प्रस्ताव को रोक दिया था।