1990 में मुलायम सिंह यादव ने कारसेवकों पर चलवाई थी गोली, अब जाएंगे जेल ?

कारसेवकों पर गोली चलवाने के केस में समाजवादी पार्टी के संरक्षक और उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव की मुश्किलें बढ़ती हुईं नजर आ रही हैं।

New Delhi Nov 07 : क्‍या उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री और समाजवादी पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष और संरक्षक मुलायम सिंह यादव जेल जाएंगे ? अब ये सवाल उठने शुरु हो गए हैं। दरअसल, 1990 में अयोध्‍या में कारसेवकों पर गोली चलवाने के मामले में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। इस मामले में मुलायम सिंह यादव के खिलाफ केस चलाने की मांग की गई है। जाहिर है ऐसे में मुलायम सिंह यादव की मुश्किलें बढ़नी तय हैं। दरसअल, 1990 में जब अयोध्‍या कांड हुआ था उस वक्‍त मुलायम सिंह यादव ही उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री थे। छह दिसंबर 1990 को कारसेवकों की भीड़ अयोध्‍या में मौजूद थी। अचानक ही ये भीड़ बेकाबू होकर बाबरी ढांचे की ओर बढ़ चली थी। कारसेवक बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरवाना चाहते थे। कारसेवकों को रोकने के लिए उस वक्‍त अयोध्‍या में तैनात पुलिसकर्मियों ने उन पर फायरिंग कर दी थी। जिसके बाद अयोध्‍या की सड़कों पर लाशें बिछ गई थीं।

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तत्‍कालीन मुख्‍यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आदेश पर ही अयोध्‍या में कारसेवकों पर फायरिंग की गई थी। इसी बात को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है और उनके खिलाफ भी केस चलाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि छह फरवरी 2014 को मुलायम सिंह यादव ने उत्‍तर प्रदेश के मैनपुरी में एक जनसभा के दौरान खुलेआम ये कहा था कि उन्‍होंने ही 1990 में कारसेवकों पर गोलियां चलवाई थीं। इसके बाद राणा संग्राम सिंह ने लखनऊ पुलिस में शिकायत देकर मुलायम सिंह के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी। राणा संग्राम सिंह चाहते थे कि लखनऊ पुलिस मुलायम सिंह यादव के खिलाफ हत्‍या और आपराधिक साजिश का मुकदमा दर्ज करे। लेकिन, लखनऊ पुलिस ने ऐसा नहीं किया और मुलायम सिंह के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज नहीं किया। अब केस चलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है।

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दरसअल, कई और मौकों पर भी मुलायम सिंह यादव ये कह चुके हैं कि हां उन्‍होंने ही अयोध्‍या में कार सेवकों पर गोलियां चलवाई थीं। जनवरी 2016 में समाजवादी पार्टी के नेता कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर भी मुलायम सिंह यादव ने अयोध्‍या में बाबरी विध्वंस को लेकर अपनी पीड़ा जाहिर की थी। मुलायम ने तब कहा था कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने का उन्हें दुख है, लेकिन धर्मस्थल को बचाना भी बहुत जरूरी था। इसलिए ये फैसला लिया गया था। इस फायरिंग में 16 लोग मारे गए थे। समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह ने उस वक्‍त कहा था‍ कि अगर और भी जानें जातीं, तब भी वो धर्मस्थल को बचाते. उन्होंने कहा, इसी वजह से बाद में मैंने नैतिकता के आधार पर इस्तीफा भी दे दिया था। लेकिन, मुलायम सिंह को अब उनका यही बयान भारी पड़ता हुआ नजर आ रहा है। जनवरी 2016 के बाद अगस्‍त 2016 में भी उन्‍होंने इसी तरह की बातें की थी।

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अगस्त 2016 में मुलायम सिंह ने कहा था कि कहते हैं कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलने से 16 जानें गईं, अगर 30 भी जातीं तो देश की एकता और अखंडता के लिए मुझे अपना ये फैसला मंजूर था। अयोध्या में एकता बचाने के लिए गोली चलानी पड़ी थी। मुलायम सिंह ये भी मानते हैं कि उन्‍हें इस कार्रवाई के एवज में विरोध भी झेलना पड़ा था लोगों ने उन्‍हें मानवता का हत्‍यारा तक करार दिया था। दरसअल1990 के इस कांड के बाद पूरे देश में राम लहर दौड़ पड़ी थी। इस घटना के बाद 1991 में विधानसभा के चुनाव हुए थे। इस चुनाव में भी राम लहर और ध्रुवीकरण का माहौल हो गया था। जिसके बाद यूपी की जनता ने मुलायम सिंह यादव को सत्‍ता से बेदखल कर दिया था। तब पहली बार उत्‍तर प्रदेश की सत्‍ता में भारतीय जनता पार्टी की सरकार पूर्ण बहुमत में आई थी और कल्‍याण सिंह उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री बने थे।