तो क्या राम मंदिर का मुद्दा सुलझने वाला है, 6 दिसंबर को हो सकता है बड़ा एलान

अयोध्या में राम मंदिर विवाद को सुलझाने के लिए एक नई कोशिश की जा रही है। कहा जा रहा है कि 6 दिसंबर को कोई बड़ा एलान हो सकता है।

New Delhi, Nov 08: अयोध्या में मंदिर कैसे बनेगा, क्या बनेगा भी या यूंही इस पर सियासत होती रहेगी। ये सवाल पिछले कई सालों से पूछा जाता रहा है। बीजेपी के लिए मंदिर का मुद्दा हमेशा से प्रमुख मुद्दा रहा है। यूपी में योगी सरकार के गठन के बाद उम्मीद की जा रही है कि अयोध्या विवाद का हल निकलेगा। हाल ही में इस सिलसिले में एक नई कोशिश शुरू हुई है। शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से अयोध्या विवाद को सुलझाने की कोशिश शुरु हुई है। शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने 6 दिसंबर को इस विवाद के समाधान के लिए एक फाइनल ड्राफ्ट लाने की बात की है। बता दें कि 6 दिसंबर 1992 के दिन ही बाबरी मस्जिद गिराई गई थी। वसीम रिजवी लगातार राम मंदिर को लेकर बात कर रहे हैं।

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उन्होंने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि इस विवाद के समाधान के लिए कई प्रस्ताव तैयार कर रहे हैं। इस मामले से जुड़े कुछ याचिकाकर्ताओं के साथ मिलकर विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से हल करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उनका कहना है कि 6 दिसंबर से पहले ही प्रस्ताव को तैयार कर लिया जाए। शिया वक्फ बोर्ड की तरफ से ये प्रयास तारीफ के काबिल है। कम से कम कोई तो इस विवाद को लेकर पहल कर रहा है। इस के जरिए अयोध्या विवाद को शांति से बैठकर सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। इस से पहले अयोध्या विवाद को लेकर ऐसे बयान सामने आते रहे हैं जो मामले को और उलझा देते हैं।

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इस पूरे मामले में अब शिया वक्फ बोर्ड की पहल उल्लेखनीय होती जा रही है। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने बैंगलुरू में आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की थी। वसीम रिजवी पहले से ही कहते रहे हैं वो विवादित स्थल पर मस्जिद नहीं चाहते हैं, वो चाहते हैं कि अयोध्या में राम मंदिर बन जाए। उनका ये भी कहना है कि मस्जिद को किसी मुस्लिम आबादी में ही बनाया जाए। वहीं श्री श्री रविशंकर भी इस मामले में मध्यस्थता करने को तैयार हैं। उन्होंने बैंगलुरू में दोनों पक्ष के लोगों से मुलाकात के बाद कहा था कि कुछ सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं। जिनसे लग रहा है कि ये विवाद जल्द खत्म हो जाएगा।

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गौर करने वाली बात ये है कि अयोध्या में राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। उस से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में अयोध्या मामले में फैसला सुनाया था, जिसके मुताबिक विवादित स्थल को तीन हिस्सों में बांट दिया था। जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही आखड़ा और भगवान रामलला पार्टी हैं। इन्ही के बीच में हाईकोर्ट ने जमीन का फैसला कर दिया था। अब इस मामले के सुलझने की उम्मीद दिखाई दे रही है। बहरहाल इस मामले को सियासत से हटकर अगर इस तरह से सुलझा लिया जाए तो ज्यादा अच्छा होगा, अब देखते हैं कि इस नई पहल का अंजाम क्या होता है। सालों से ये मुद्दा सियासत का कारण बनता रहा है। सभी पक्ष अगर इस मुद्दे को खुद ही सुलझा लेते हैं तो कोर्ट का कीमती समय भी बच जाएगा।