राज्‍यसभा चुनाव के लिए केजरीवाल ने चली बड़ी चाल, अपने ही नेताओं को लगाएंगे पलीता

दिल्‍ली की तीन राज्‍यसभा सीटों के लिए जहां एक ओर आम आदमी पार्टी में जोड़तोड़ की खबरें हैं। वहीं दूसरी ओर केजरीवाल नई ही चाल चलने के मूड में हैं।

New Delhi Nov 08 : आम आदमी पार्टी में इन दिनों आतंरिक कलह चल रही है। कहा जा रहा है कि कलह की बहुत बड़ी वजह दिल्‍ली की तीन राज्‍यसभा सीटें हैं। जिन पर अगले साल यानी जनवरी 2018 में चुनाव होना है। पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल उन्‍हें राज्‍यसभा भेजें। लेकिन, केजरीवाल ने दिल्‍ली की इन राज्‍यसभा सीटों के लिए कुछ और ही प्‍लानिंग शुरु कर दी है। जो आम आदमी पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं की उम्‍मीदों में पलीता लगा सकती हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पार्टी में झगड़े को देखते हुए केजरीवाल चाहते हैं कि पार्टी के किसी भी नेता को राज्‍यसभा ना भेजा जाए। इसके लिए बाहर के किसी व्‍यक्ति को चुना जाए। व्‍यक्ति भी ऐसा हो जो आम आदमी पार्टी के लिए फायदेमंद हो और बीजेपी की धज्जियां उड़ाने वाला है। बताया जा रहा है कि इसके लिए केजरीवाल ने कुछ खास लोगों से संपर्क भी साधा है। जिसमें एक नाम रिजर्व बैंक आफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का भी है।

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दरसअल, इस वक्‍त दिल्‍ली की 70 विधानसभा सीटों में से 66 सीटों पर आम आदमी पार्टी का कब्‍जा है। ऐसे में दिल्‍ली की तीनों राज्‍यसभा सीटों पर सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी का ही कब्‍जा रहेगा। केजरीवाल जिसे चाहेंगे उसे ही राज्‍यसभा भेजेंगे। कुछ अखबारों ने भी इस संबंध में खबर छापी है कि पार्टी के कुछ लोग आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के संपर्क में हैं। अगर केजरीवाल रघुराम राजन को राज्‍यसभा भेजते हैं और रघुराम राजन भी इसके लिए तैयार हो जाते हैं तो आम आदमी पार्टी को इसके कई फायदे हो सकते हैं। पहला फायदा ये होगा कि पार्टी की अंदरूनी कलह पर लगाम लगेगी। दूसरा फायदा ये होगा कि रघुराम राजन देश के बड़े अर्थशास्‍त्री हैं। कांग्रेस की सरकार में उन्‍हें आरबीआई का गवर्नर नियुक्‍त किया गया था। बाद में मोदी की सरकार आ गई थी। मोदी सरकार ने उन्‍हें उनका कार्यकाल पूरा करने का मौका दिया। हालांकि उनके कार्यकाल को बढ़ाया नहीं गया।

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लेकिन, कार्यकाल पूरा करने के अंतिम वक्‍त में उनकी कुछ खटास जरूर मोदी सरकार और अर्थव्‍यवस्‍था को लेकर देखने को मिली थी। राघुराम राजन को राज्‍यसभा में भेजकर केजरीवाल इसी बात को भुनाना भी चाहेंगे। केजरीवाल को लगता है कि राज्‍यसभा में मोदी सरकार की अर्थ नीतियों का विरोध उनसे बेहतर शायद ही कोई कर पाए। हालांकि रघुराम राजन केजरीवाल और आम आदमी पार्टी का प्रस्‍ताव मानेंगे या नहीं इस पर असमंजस बरकरार है। क्‍योंकि राघुराम राजन पहले ही कह चुके हैं कि वो शिक्षा के क्षेत्र में वापस जाना चाहेंगे। राजनीति में उनकी कोई दिलचस्‍पी नहीं है। लेकिन, अब हालात क्‍या बनते हैं देखना दिलचस्‍प होगा। ये बात तो सिर्फ एक सीट की हुई। बाकी राज्‍यसभा की दो सीटों के लिए भी आम आदमी पार्टी की ओर से किसी महशूर हस्‍ती की ही तलाश है। केजरीवाल ये तय कर चुके हैं कि पार्टी के किसी भी नेता को राज्‍यसभा नहीं भेजा जाएगा।

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वैसे केजरीवाल के इस फैसले से इतर देखा जाए तो इस वक्‍त आम आदमी पार्टी में तीन लोग राज्‍यसभा के लिए सबसे प्रबल दावेदार के तौर पर सामने आते हैं। जिसमें एक नाम कुमार विश्‍वास का है। दूसरा नाम संजय सिंह का है और तीसरा नाम आशुतोष का है। ये तीनों ही नेता अच्‍छे वक्‍ता भी हैं और किसी पहचान के मोहताज भी नहीं हैं। लेकिन, दिक्‍कत ये है कि इनके अलावा भी कई ऐसे नेता हैं जो खुद को राज्‍यसभा की रेस में खड़ा पाते हैं। तभी तो शायद कपिल मिश्रा कहते हैं कि कुमार विश्‍वास को राज्‍यसभा में जाने से रोकने के लिए ही अमानतुल्‍लाह खान को उनके खिलाफ खड़ा किया गया। उनके खिलाफ षडयंत्र किया जा रहा है। बहरहाल, ये देखना बहुत ही दिलचस्‍प होगा कि अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के कोटे से किन तीन लोगों को राज्‍यसभा में भेजते हैं और इसका रिएक्‍शन पार्टी के भीतर कैसा होता है।