नोटबंदी : विपक्ष के ‘ब्‍लैक डे’ पर भारी पड़ा मोदी का ‘एंटी ब्‍लैकमनी डे’, मिला जनता का फुल सपोर्ट

नोटबंदी की पहली सालगिरह पर विपक्ष का विरोध सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गया। ब्‍लैक डे की जगह चर्चा एंटी ब्‍लैकमनी डे की हुई।

New Delhi Nov 08 : भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष पिछले कई महीनों से आठ नवंबर के दिन विरोध की तैयारी कर रहा था। विपक्ष के तमाम नेताओं की मीटिंग हुई थी। पूरे के पूरे विपक्ष ने ये तय किया था कि नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर इसकी बरसी मनाई जाएगी। मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ पूरे देश में ब्‍लैक डे मनाया जाएगा। आठ नवंबर आई और पूरा दिन बीत गया। लेकिन, विपक्ष के ब्‍लैक डे का अंधियारा कहीं भी नहीं दिखा। विपक्ष के ब्‍लैक डे पर तो मोदी सरकार और बीजेपी के एंटी ब्‍लैकमनी डे भारी पड़ गया। कहीं सड़कों पर कोई खास प्रदर्शन नहीं देखने को मिला। हां कुछ जगहों पर चंद पार्टी और उनके कार्यकर्ताओं ने झंडा बैनर लेकर जरूर अपना विरोध दर्ज कराने की कोशिश की। लेकिन, इसका भी कोई खास असर नहीं दिखा। क्‍योंकि विपक्ष के ब्‍लैक डे में आम जनता ही नहीं जुड़ी। आम जनता का फुल सपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ पिछली साल की तरह इसके एक साल पूरे होने पर भी मिल रहा था।

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नोटबंदी के एक साल पूरे होने पर विपक्ष का पूरा का पूरा विरोध सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सिमट कर रह गया। वहां भी बीजेपी के एंटी ब्‍लैकमनी डे ने ब्‍लैक डे को पछाड़ दिया। पूरे दिन सोशल मीडिया पर सिर्फ एंटी ब्‍लैकमनी डे ही ट्रेंड करता रहा। नोटबंदी के विरोध और पक्ष में आज जो हुआ वो विपक्ष को आइना भी दिखाता है और बताता है कि वो इस मुद्दे पर अपना विरोध बंद करें नहीं तो नुकसान सिर्फ और सिर्फ विपक्ष का ही होगा। जनता ने उस वक्‍त भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले को सराहा था और आज भी वो इसे सराह रही है। दरअसल, विपक्ष जनता को ये बताने में नाकामयाब रहा है कि नोटबंदी से क्‍या नुकसान हुआ है। जबकि मोदी सरकार और बीजेपी ये बताने में कामयाब रही है कि नोटबंदी से क्‍या-क्‍या फायदे हुए हैं। अब तो हालत ये है कि अगर विपक्ष का कोई नेता नोटबंदी का विरोध भी करता है तो जनता समझती है कि शायद सबसे ज्‍यादा नुकसान उसी का हुआ है।

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कांग्रेस नेताओं में नोटबंदी के विरोध में उनके ब्‍लैक डे के फ्लॉप होने के बाद उनके भीतर खिसियाहट और झुंझुलाहट भी देखने को मिल रही है। अब रणदीप सुरजेवाला को ही ले लीजिए। कहने को कांग्रेस पार्टी के वरिष्‍ठ प्रवक्‍ता हैं। हरियाणा से आते हैं। उन्‍होंने जब नोटबंदी के विरोध में अपना पूरा का पूरा प्रोग्राम फ्लॉप होते हुए देखा तो इसका ठीकरा प्रद्युम्‍न मर्डर केस पर फोड़ दिया। जी हां प्रद्युम्‍न मर्डर केस वहीं है जिसमें गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्‍कूल में सेकेंड क्‍लास के छात्र की बेरहमी से गला रेतकर हत्‍या कर दी गई थी। इस केस में सीबीआई ने स्‍कूल के ही एक छात्र को गिरफ्तार कर हरियाणा पुलिस की थ्‍योरी को ही पलट दिया था। ये खबर सारे चैनलों की सुर्खियां बना हुआ है। ऐसे में रणदीप सुरजेवाला साहब कहते हैं कि नोटबंदी पर विपक्ष के विरोध को दबाने के लिए प्रद्युम्‍न मर्डर केस में ये नया एंगल सामने लाया गया।

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अब आप भी बताइए कि रणदीप सुरजेवाला को कौन ये बताएगा कि जब उनके साथ उनके नोटबंदी के विरोध में भीड़ तक नहीं जुट रही है तो कोई चैनल या अखबार क्‍यों उन्‍हें फुटेज देगा। शुक्र की बात तो ये है कि रणदीप सुरजेवाला ने ये नहीं कहा कि दिल्‍ली में स्‍मॉग की चादर भी बीजेपी वालों ने ही इसीलिए ऊढा दी है नोटबंदी पर चर्चा ना हो पाए। ना जाने क्‍यों विपक्ष इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं है कि नोटबंदी के खिलाफ उनके साथ आम जनता नहीं है। जबकि साल भीतर तो ये बात विपक्ष की समझ में आ ही जानी चाहिए थी। लेकिन, पता नहीं क्‍यों विपक्ष के नेता ये मानने को ही तैयार नहीं है। जबकि कई चुनावों में आम जनता नोटबंदी को लेकर अपनी स्थिति स्‍पष्‍ट कर चुकी है। विपक्ष को अपने ब्‍लैक डे और मोदी सरकार के एंटी ब्‍लैकमनी डे दोनों की समीक्षा करनी चाहिए। ईमानदारी से की गई समीक्षा खुद ब खुद हकीकत बयां कर देगी। जिस नंदलाल को लेकर राहुल गांधी नोटबंदी के खिलाफ शायराना होते हैं वो नंदलाल भी मोदी की तारीफ करते हैं।