क्या कश्मीर में दिनेश्वर शर्मा को लेकर अब्बू के खिलाफ हो गए हैं साहबजादे ?
कश्मीर में शांति बहाली के लिए केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा इस वक्त छह दिनों के जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं। उन्हें लेकर नेशनल कांफ्रेंस में मतभेद नजर आ रहे हैं।
New Delhi Nov 08 : क्या कश्मीर में केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए नियुक्त विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा को लेकर नेशनल कांफ्रेंस में रार हो गई है ? क्या इस मसले पर फारूख अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला की राहें जुदा-जुदा हो गई हैं ? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं कि एक ओर नेशनल कांफ्रेंस के नेता आईबी के पूर्व चीफ दिनेश्वर शर्मा से बातचीत नहीं करना चाहते हैं वहीं दूसरी ओर दिनेश्वर शर्मा उमर अब्दुल्ला से मुलाकात कर चुके हैं। श्रीनगर में उमर अब्दुल्ला और दिनेश्वर शर्मा की मुलाकात हो रही थी तो दूसरी ओर कुपवाड़ा में उनके अब्बू जान यानी फारूख अब्दुल्ला केंद्र की मोदी सरकार को कोस रहे थे। उमर अब्दुल्ला ने दिनेश्वर शर्मा का स्वागत किया तो फारूख अब्दुल्ला कहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार कश्मीर का गलत आकलन कर रही है इस वजह से यहां पर हालात उथल-पुथल वाले हैं। ऐसे में क्या माने जाए कि शांति बहाली के लिए वार्ताकार को लेकर बाप-बेटे की ही राय अलग-अलग है।
दरसअल, केंद्र की मोदी सरकार ने आईबी के पूर्व चीफ दिनेश्वर शर्मा को कश्मीर में शांति बहाली के लिए अपना विशेष प्रतिनिधि नियुक्त किया है। उन्हें ये भी पावर दी गई है कि वो कश्मीर में जिससे चाहें बात करें। सरकार की ओर से कोई पाबंदी नहीं है। इसके बाद ही दिनेश्वर शर्मा कश्मीर में लोगों से मुलाकात के लिए छह दिन के दौरे पर आ गए हैं। कश्मीर के तमाम प्रतिनिधिमंडलों ने उसने बातचीत की और अपनी-अपनी बात रखी। लेकिन, नेशनल कांफ्रेंस की ओर से दिनेश्वर शर्मा को बातचीत का न्यौता नहीं दिया गया था। इसके बाद वो खुद ही जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से मिलने उनके घर पर जा पहुंचे। उमर अब्दुल्ला ने उनका स्वागत किया। दोनों के बीच करीब पौने घंटे तक बातचीत हुई। बातचीत का केंद्र बिंदु कश्मीर में शांति बहाली को लेकर ही था। खुद दिनेश्वर शर्मा ने भी ये कहा कि उन्हें नेशनल कांफ्रेंस की ओर से बातचीत के लिए नहीं बुलाया गया था।
इसके बाद मैं खुद ही व्यक्तिगत तौर पर उमर अब्दुल्ला से मिलने पहुंचा हूं। ये बात उमर अब्दुल्ला को भी अच्छी लगी। उनका कहना है कि शर्मा का ये कदम काबिले तारीफे हैं। अगर वो गेस्ट हाउस में बैठकर लोगों के आने का इंतजार करते रहते तो शायद वो बातें नहीं हो पाती। उमर अब्दुल्ला का कहना है कि दोनों के बीच जो भी बातें हुई हैं वो ब्लैक एंड व्हाइट में हुई हैं। शर्मा उनकी कई बातों से सहमत हैं। जिस पर वो विचार करेंगे। हम सभी लोग कश्मीर में शांति बहाली चाहते हैं। जहां एक ओर बेटे उमर अब्दुल्ला का ये रुख था। वहीं दूसरी ओर फारूख अब्दुल्ला दूसरे ही अंदाज में नजर आ रहे थे। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारुख अब्दुल्ला का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार कश्मीर की स्थिति का लगातार गलत आंकलन कर रही है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के समाधान के लिए केंद्र सरकार की ओर से आधे मन से कदम उठाए जा रहे हैं।
उनका कहना है कि हम केंद्र सरकार की ओर से आधे मन से उठाए गए कदमों का विरोध करते हैं। इस तरह के काम का समर्थन नहीं किया जा सकता। केंद्र सरकार को कश्मीर के लेागों पर भरोसा जताना होगा। कुपवाड़ा जिले के माछिल में एक जनसभा को संबोधित करते हुए फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि शायद केंद्र सरकार को लगता है कि कश्मीर के लोगों को केंद्र और उसकी राजनीतिक पहलों पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है। सरकार को इस मानसिकता से बाहर निकलकर काम करना होगा। तभी समाधान के रास्ते खुलेंगे। ये बात उन्होंने उस वक्त कही जब केंद्र के विशेष प्रतिनिधि इस वक्त सभी पक्षों से बातची के लिए राज्य में मौजूद हैं। सरकार कह चुकी है कि वो खुले मन से सभी से बात करने को तैयार है। इसी लिए दिनेश्वर शर्मा को नियुक्त किया गया है। लेकिन, अगर किसी अलगाववादी नेता या फिर राजनैतिक संगठन के दिमाग में ये बात है कि बातचीत के दौरान आर्मी के ऑपरेशन रोक दिए जाएंगे तो ऐसा हरगिज नहीं होगा। आतंकियों के खिलाफ आर्मी के ऑपरेशन जारी रहेंगे। ये बात चाहें किसी को पसंद आए या ना आए।