डंके की चोट पर : तीन राज्‍यों की नकारा सरकारों ने दिल्‍ली को बना दिया ‘गैस चैंबर’

दिल्‍ली में इस वक्‍त प्रदूषण का स्‍तर इतना बड़ा हुआ है कि बाहर निकलना मुश्किल है। तीन राज्‍यों की नाकामी से राजधानी गैस चैंबर बन कर रह गई है।

New Delhi Nov 08 : हमें इस कटु शब्‍द को कहते हुए तनिक भी संकोच नहीं हो रहा है कि दिल्‍ली को नेताओं ने बरबाद कर दिया है। आज तीन राज्‍यों की लापरवाही और नकारेपन की वजह से दिल्‍ली में सांस लेना दूभर हो गया है। देश की राजधानी गैस चैंबर बनकर रह गई है। बुजुर्ग और बच्‍चों की हालत खराब है। सांस लेना मुश्किल हो गया है। ऐसा नहीं है कि दिल्‍ली में गैस चैंबर के हालात पहली बार बने हैं। कमोवेश हर साल इस तरह की स्थिति देखने को मिलती है। मौसम विभाग और प्रदूषण विभाग की ओर से पूर्वानुमान भी जारी किए जाते हैं लेकिन, अफसोस ये पूर्वानुमान या तो सिर्फ समाचार पत्रों या फिर न्‍यूज चैनलों में दिखाई पड़ते या हैं या फिर सरकारी दफ्तरों की फाइलों में धूल फांकते हैं। वक्‍त रहते कदम कोई नहीं उठाता। बस प्रदूषण के लाइव मीटर को हर कोई फटते हुए देखता है और खांसता है। ऐसे में किसी भी सरकार को आम आदमी की जिदंगी से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।

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दिल्‍ली अगर आज गैस चैंबर बनी हुई तो इसके लिए पंजाब की कांग्रेस सरकार, हरियाणा की बीजेपी सरकार और दिल्‍ली की आम आदमी पार्टी की सरकार तीनों ही जिम्‍मेदार हैं। तीनों के नकारेपन की वजह से लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्‍ली के इतिहास में आज तक इतना प्रदूषण दर्ज नहीं किया गया जितना सात नवंबर को रिकॉर्ड किया गया। दिल्‍ली के गैस चैंबर की वजह से स्‍कूलों में छुट्टी करनी पड़ी है। एसपीएम और आरएसपीएम का लेवल कई सौ गुना बढ़ा हुआ है। दिल्‍ली में इस वक्‍त लंदन और टोक्‍यो से सौ गुना ज्‍यादा वायु प्रदूषण है। लेकिन, कभी आपने ये सोचा है कि आखिर इसकी वजह क्‍या है। क्‍यों दिल्‍ली हर साल इन्‍हीं महीनों में गैस चैंबर में तब्‍दील हो जाती है। दरअसल, इसकी सबसे बड़ी वजह पंजाब और हरियाणा के खेतों में जलाई जाने वाली पराली है। जिसका धुआं धीरे-धीरे दिल्‍ली की ओर आता है और हवा का दवाब कम होने की वजह से एक ही जगह पर इकट्ठा हो जाता है। दिल्‍ली गैस चैंबर बन जाती है।

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हिंदुस्‍तान में 25 लाख लोगों की मौत सिर्फ प्रदूषण की वजह से हो जाती है। अब दिल्‍ली का ही हिसाब किताब देख लीजिए। करीब 44 लाख बच्‍चे रोजाना स्‍कूल जाते हैं। लेकिन, अगर ये मासूम बच्‍चे दिल्‍ली के इस गैस चैंबर की चपेट में आएंगे तो आधे से ज्‍यादा बच्‍चों को दिल की बीमारी तक का खतरा हो सकता है। लेकिन, इस ओर किसी का कोई ध्‍यान नहीं हैं। सरकारें भी तब जागती हैं जब खतरा सिर पर मंडराने लगता है। दिल्‍ली में गैस का चैंबर एकाएक नहीं बन गया है। ना जाने कब से हरियाणा और पंजाब के किसान पराली जला रहे हैं। जिसका धुआं धीरे-धीरे दिल्‍ली की ओर बढ़ रहा था। हरियाणा और पंजाब दोनों ही जगहों पर पराली जलाने पर प्रतिबंध है। लेकिन, सरकार के नकारापन के चलते किसान खुलेआम खेतों में पराली जलाते हैं और सरकार को चुनौती देते हैं कि जो करते बने कर लेना। अब अगर इन बातों को लेकिन, केजरीवाल के पास जाएंगे तो वो इसका ठीकरा बीजेपी और कांग्रेस की सरकारों पर फोड़ेंगे।

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क्रॉप बर्निंग रुक ही नहीं पा रही है। दिल्‍ली में लगातार गाडि़यों की संख्‍या बढ़ती जा रही है। ऐसे में क्रॉप बर्निंग और गाडि़यों से निकलने वाला धुआं कहां जाएगा। अगर दिल्‍ली आज गैस चैंबर बना है तो इसके लिए काफी हद तक हम और आप भी जिम्‍मेदार हैं। वायु प्रदूषण के लिए सभी की कलेक्टिव जिम्‍मेदारी है। सरकारों को जो करना चाहिए वो तो वो नहीं कर रहे हैं। लेकिन, हम और आप भी प्रदूषण को कम करने के लिए कोई खास कदम नहीं उठाते हैं। सरकारें जनता को दूसरा विकल्‍प नहीं देती और हम दूसरे विकल्‍पों की तलाश नहीं करते। सार्वजनिक वाहनों की जगह हर कोई निजी वाहनों से ही चलना चाहता है। गाडि़यों का मेंटीनेंस कितना होता है हर कोई जानता है। रोड डस्‍ट और कंस्‍ट्रक्‍शन साइटों से निकलने वाले पॉल्‍युशन ने भी दिल्‍ली को गैस चैंबर बना रखा है। जिसके लिए सीधे तौर पर सरकार जिम्‍मेदार है। सरकारों के पास इंडस्ट्रियल पॉल्यूशन की रोकथाम का कोई प्‍लान नहीं है। बस शुक्र मनाइए कि इन सब के बाद भी हम और आप जिंदा है। लेकिन, कितने दिन ?