हवा खराब है : दिल्‍ली आने से क्‍यों कतरा रहे हैं कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ?

दिल्‍ली में वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार हरियाणा और पंजाब हैं। लेकिन, दिल्‍ली की हवा खराब करने वाले कैप्‍टन अमरिंदर सिंह खुद ही दिल्‍ली नहीं आना चाहते।

New Delhi Nov 09 : दिल्‍ली की हवा खराब है। इससे सेहत बिगड़ेगी ये सोचकर हमारी और आपकी हवा खराब है। हवा राजनेताओं की भी खराब है। उन्‍हें लगता है कि कहीं दिल्‍ली में उनका विरोध ना शुरु हो जाए। जनता ने अगर जिम्‍मेदारी तय कर दी तो पता नहीं किसकी कुर्सी हिल जाएगी। ये सोचकर भी सबकी हवा खराब है। कुल मिलाकर चारों तरफ हवा ही हवा खराब है। दिल्‍ली की खराब हवा के लिए कोई एक जिम्‍मेदार नहीं है। हम और आप से लेकर तीन राज्‍यों की सरकारें इसके लिए जिम्‍मेदार हैं। दिल्‍ली सरकार, हरियाणा सरकार और पंजाब सरकार तीनों की वजह से दिल्‍ली आज गैस का चैंबर बनी हुई है। हरियाणा और पंजाब में किसान प्रतिबंध के बावजूद पराली जलाते हैं और सरकारें तमाशा देखती हैं। दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते हैं कि वो हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के साथ बैठकर इस समस्‍या का समाधान निकाले। लेकिन, कैप्‍टन अमरिंदर सिंह दिल्‍ली आने को ही तैयार नहीं हैं। राजधानी की हवा खराब कर वो खुद दिल्‍ली आने से कतरा रहे हैं।

Advertisement

बात बुधवार की है। दिल्ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्‍ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात की इच्‍छा जताई थी। केजरीवाल ने दोनों ही राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों को चिट्ठी लिखकर मुलाकात का समय मांगा और कहा कि हम सब लोगों को मिलकर इस समस्‍या का हल तलाशना चाहिए। हरियाणा और पंजाब के किसान जो अपने खेतों में पराली जलाते हैं उसकी वजह ये यहां पर प्रदूषण खतरनाक स्‍तर पर पहुंच गया है। केजरीवाल चाहते हैं कि इस मसले पर जल्द से जल्‍द मुलाकात हो। हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने तो मीटिंग के लिए हामी भर दी। लेकिन, कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने केजरीवाल से मुलाकात से इनकार कर दिया। इस बात का जवाब कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को देना चाहिए कि आखिर वो इस मसले पर मुलाकात क्‍यों नहीं करना चाहते हैं। जिस गंध को फैलाने में उनका भी हाथ है उसे समेटने में वो क्‍यों परहेज कर रहे हैं।

Advertisement

कांग्रेस पार्टी के नेता वैसे तो खूब बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। लेकिन, क्‍या वो इस बात का जवाब देंगे कि कैप्‍टन अमरिंदर सिंह दिल्‍ली आने से क्‍यों कतरा रहे हैं। क्‍या उन्‍हें जनता से ज्‍यादा अपनी सेहत की चिंता है या फिर दिल्‍ली आने से उनकी ही हवा खराब हो रही है। ये सोचकर कि कहीं दिल्‍ली के वायु प्रदूषण का सारा ठीकरा उन्‍हीं के सिर पर ना फूट जाए। या फिर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह किसी और गुरूर में जी रहे हैं। कम से कम हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अरविंद केजरीवाल की चिट्ठी का जवाब तो दिया। उन्‍होंने चिट्ठी का जवाब चिट्ठी से दिया और लिखा कि हरियाणा पहले से ही प्रदूषण पर कंट्रोल के लिए पराली जलाए जाने पर नियंत्रण के लिए उचित कदम उठा रहा है। हालांकि ये कदम प्रभावी ढंग से उठाए जा रहे हैं या नहीं। इस पर बहस हो सकती है और सवाल खड़े हो सकते हैं। लेकिन, इस मसले पर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह का रवैया स्‍वीकार करने योग्‍य नहीं है।

Advertisement

जो काम पंजाब सरकार है उसमें भी वो केंद्र का हस्‍तक्षेप चाहता है। पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह कहते हैं कि पराली के धुंए पर रोक के लिए केंद्र सरकार का हस्तक्षेप जरूरी है। अरे कैप्‍टन साहब जब राज्‍य के मुख्‍यमंत्री आप हैं और सारे अधिकार आपके पास हैं तो फिर आप इस मसले पर केंद्र का हस्‍तक्षेप क्‍यों चाहते हैं। क्‍या आप इस मसले पर भी राजनीति करना चाहते हैं ? कैप्‍टन अमरिंदर सिंह बढ़ते वायु प्रदूषण के लिए केंद्र सरकार को जिम्‍मेदार मानते हैं। दरअसल, हकीकत ये है कि पंजाब में कैप्‍टन अमरिंदर सिंह पराली जलाने पर लगे प्रतिबंध को कड़ाई से लागू ही नहीं करा पा रहे हैं। उन्‍हें लगता है कि अगर उन्‍होंने ऐसा किया तो पंजाब के किसान उनका विरोध शुरु कर देंगे। किसानों के विरोध के इसी डर से उनकी हवा खराब है वो दिल्‍ली की हवा खराब करने के लिए किसी को नहीं रोक रहे हैं। यहां तक कि दिल्‍ली भी नहीं आना चाहते। अगर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह इसी तरह का रवैया अपनाते हैं तो कम से कम राहुल गांधी को सामने आकर इस मसले पर बयान जारी करना चाहिए क्‍योंकि वो उस पार्टी के मुखिया हैं जिस पार्टी की सरकार पंजाब में है।