बहुत खास है कश्‍मीर पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण का ये बयान

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कश्‍मीर मुद्दे पर महत्‍वपूर्ण बयान दिया है। जिसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। क्‍या ये बदलाव के संकेत हैं ?

New Delhi Nov 12 : क्‍या जम्‍मू-कश्‍मीर पर मोदी सरकार का नजरिए बदलने लगा है ? क्‍या अब तक कश्‍मीर में सख्‍त रुख अख्तियार करने वाली मोदी सरकार ने कश्‍मीर के लिए अपने नजरिए को साफ्ट करना शुरु कर दिया है ? ये सवाल रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के एक बयान के बाद उठने शुरु हो गए हैं। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कश्‍मीर में भटके हुए नौजवानों और अलगाववादी नेताओं को सही और गलत रास्‍ते में फर्क करना चाहिए। उन्‍हें कश्‍मीर के विकास में सरकार का सहयोग करना चाहिए। निर्मला सीतारमण का कहना है कि कश्‍मीर के भटके युवाओं और अलगाववादी नेताओं को भी विकास प्रगति का हिस्‍सा बनना चाहिए। इससे पहले मोदी सरकार की ओर से आईबी के पूर्व चीफ दिनेश्‍वर शर्मा को बातचीत के लिए विशेष प्रतिनिधि नियुक्‍त किया जा चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि कश्‍मीर पर मोदी सरकार अपने रुख में थोडी नरमी लाना चाहती है।

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दरअसल, जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है उसने कश्‍मीर को लेकर काफी सख्‍त रुख अपनाया हुआ है। इस वक्‍त कश्‍मीर में इंडियन आर्मी ऑपरेशन ऑल आउट चला रही है। आर्मी के इस ऑपरेशन के तहत लगभग हर रोज आतंकियों को मुठभेड़ में मारा जा रहा है। अब तक जितने आतंकी कश्‍मीर में एनकाउंटर में मारे जा चुके हैं इससे पहले की सरकारों में कभी भी इतने एनकाउंटर नहीं हुए। हालांकि जिस वक्‍त केंद्र सरकार ने आईबी के पूर्व चीफ दिनेश्‍वर शर्मा को कश्‍मीर में बातचीत के लिए अपना विशेष प्रतिनिधि नियुक्‍त किया था उस वक्‍त भी इंडियन आर्मी ने साफ कर दिया था कि आतंकियों के खिलाफ उनका ऑपरेशन ऑल आउट जारी रहेगा। आर्मी के इस ऑपरेशन का बातचीत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। जब‍कि अलगाववादी नेता चाहते हैं कि कश्‍मीर पर बातचीत से पहले आर्मी के ऑपरेशन को रोक दिया जाए। लेकिन, सरकार ऐसा कोई भी रिस्‍क लेने के मूड में नहीं हैं।

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उधर, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान पर सरकार के वरिष्‍ठ अधिकारी कहते हैं कि केंद्र सरकार कश्‍मीर में शांति चाहती है। सरकार की ओर से सारे विकल्‍प खुले हुए हैं। जो लोग बातचीत का रास्‍ता अख्तियार करना चाहते हैं उनके लिए बातचीत का रास्‍ता खुला है। लेकिन, किसी भी कीमत पर बंदूक की भाषा बर्दास्‍त नहीं की जाएगी। निर्मला सीतारमण भी यही कहती हैं कि कश्‍मीर के भटके युवाओं को सही रास्‍ते पर आना चाहिए। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई बार कश्‍मीर के युवाओं से ये अपील कर चुके हैं कि यहां के युवाओं को आतंकवाद की डगर छोड़कर विकास के पथ पर चलना चाहिए। निर्मला सीतारमण ने प्रधानमंत्री के उसी बयान को आगे बढ़ाया है। दरअसल, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पहलगाम स्थित जवाहर लाल नेहरू माउंटेनियरिंग संस्थान के दौरे पर गईं थीं। यहीं पर उन्‍होंने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास और प्रगति के लिए सभी को समान मौके मुहैया कराने के लिए काम करती रहेगी।

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अपने इस दौरे में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जम्‍मू-कश्‍मीर की मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात की। दरसअल, कश्‍मीर की दिक्‍कत ये है कि यहां पर मौजूद अलगाववादी नेता और कुछ दूसरी पार्टी के नेता अपने निजी फायदे के लिए पाकिस्‍तान को फायदा पहुंचाने वाले काम करते हैं। घाटी में आज जो हालात बने हुए हैं उसके लिए यहां के अलगाववादी नेता बहुत बड़ी वजह हैं। पूर्व की सरकारों में भी इन अलगाववादी नेताओं को पाकिस्‍तान से फंडिंग होती थी। जिसका इस्‍तेमाल ये लोग कश्‍मीर में आतंकवाद और हिंसा फैलाने के लिए करते थे। लेकिन, मोदी सरकार ने टेरर फंडिंग के खिलाफ कार्रवाई कर कई बड़े अलगाववादी नेताओं को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। सरकार लगातार इन लोगो को सुधरने का मौका दे रही है। लेकिन, ये भी स्‍पष्‍ट कर दिया है कि सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। यानी गोली और बोली एक साथ नहीं चल सकती।