स्‍मॉग : केजरीवाल को नहीं है दिल्‍लीवालों की परवाह, लोग मरते हैं तो मरते रहें ?

दिल्‍ली वालों को अब तक जहरीले स्‍मॉग से राहत नहीं मिल पाई है। इस बीच केजरीवाल सरकार की एक और बड़ी लापरवाही सामने आई है। गौर फरमाइए।

New Delhi Nov 13 : दिल्‍ली में अब भी धुंध का गुबार है। स्‍मॉग की वजह से लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत हो रही है। लोगों का खांस-खांसकर बुरा हाल है। दिल्‍लीवालों को राहत मिलती नहीं दिख रही है। उसके ऊपर से केजरीवाल की सरकार ने इस मामले में बेहद ही लापरवाही वाला रवैया अख्तियार किया हुआ है। शनिवार तक केजरीवाल की सरकार कह रही थी कि हम सोमवार से स्‍मॉग को कम करने के लिए दिल्‍ली में ऑड-इवन स्‍कीम लागू करेंगे। लेकिन, जैसे ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍युनल यानी एनजीटी ने ऑड इवन पर सभी तरह की छूट को खत्‍म करने का हुक्‍म दिया तो केजरीवाल सरकार की हालत ही खराब हो गई। एनजीटी का आदेश आते ही केजरीवाल की सरकार ने दिल्‍ली में आड-इवन पर अपने फैसले को तत्‍काल प्रभाव से वापस ले लिया। सोमवार को फिर से एनजीटी में इस मामले में सुनवाई होनी थी। लेकिन, इस बार को केजरीवाल सरकार ने हद ही पार कर दी।

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सोमवार को एनजीटी में सुनवाई के दौरान दिल्‍ली सरकार के वकील ही नहीं पहुंचे। जिस पर एनजीटी ने केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। इसके साथ ही अब दिल्‍ली की जनता ये कह रही है कि दरअसल, अरविंद केजरीवाल को दिल्‍लीवालों की कोई परवाह ही नहीं है। कोई मरता है मरे जाके। लेकिन, सरकार ने अब तक ना कुछ किया और ना कुछ कर पाएगी। लोगों को खुद ही इस मुसीबत से बचना होगा। अगर वायु प्रदूषण को लेकर केजरीवाल सरकार वाकई सतर्क और संजीदा होती तो सोमवार को एनजीटी में उसकी फजीहत नहीं होती। आखिर कैसे दिल्‍ली सरकार इस मसले को इतना हल्‍के में ले सकती है। अगर ऑड इवन पर छूट से दिल्‍ली सरकार को दिक्‍कत थी तो नए सिरे से आवेदन करना चाहिए था। लेकिन, सुनवाई से गायब होने का क्‍या मतलब बनता है ? क्‍या सरकार के पास इसका कोई जवाब नहीं है।

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उधर, एनजीटी ने भी दिल्‍ली में ऑड-इवन लागू करने को लेकर नए आवेदन के साथ केजरीवाल सरकर के वकील के ना पहुंचने को लेकर कहा कि क्या उनकी कार्रवाई सिर्फ मीडिया के लिए ही थी। नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍युनल ने कहा कि क्या सरकार हमारे पास आएगी या फिर मंत्री ने सिर्फ प्रेस के लिए ही बयान जारी किया था ? जाहिर है केजरीवाल सरकार के लिए ये शर्म की बात है। लेकिन, उससे ज्‍यादा शर्म की बात दिल्‍ली वालों के लिए है कि उन्‍होंने एक ऐसी पार्टी को दिल्‍ली की कमान सौंपी है। जो सिर्फ मुद्दों से भागना चाहती है। समस्‍याओं से निपटना नहीं जानती है। इससे पहले भी अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली में बढ़ते स्‍मॉग को लेकर हरियाणा और पंजाब में किसानों की ओर से जलाई जाने वाली पराली को जिम्‍मेदार बता चुके हैं। पराली जलाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका लगाई गई है। जिस पर सुनवाई होनी है।

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सुप्रीम कोर्ट तक ये कह चुका है कि दिल्‍ली में बढ़ते प्रदूषण की अनदेखी नहीं की जा सकती। दरअसल, स्‍मॉग के जो हालात इस वक्‍त दिल्‍ली में बने हुए हैं कमोवेश पिछले दो तीन साल से हर बार इसी तरह की स्थिति देखने को मिलती है। लेकिन, आज तक एक बार भी दिल्‍ली सरकार ने वक्‍त रहते कोई कदम नहीं उठाया। जब हालात बिगड़े तब कार्रवाई की गई। स्‍कूल बंद किए गए। भारी वाहनों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। लेकिन, बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए ये कोई परमानेंट सेल्‍युशन नहीं है। ना ही हमेशा स्‍कूल बंद रखे जा सकते हैं और ना ही हमेशा दिल्‍ली में बड़े वाहनों की एंट्री पर रोक लगाई जा सकती है। जरूरत प्रदूषण के खिलाफ कड़े कदम उठाए जाने की है। प्रदूषण के खिलाफ ऑड इवन को भी कोई परमानेंट विकल्‍प नहीं माना जा सकता है। प्रदूषण से निपटने के लिए सबसे पहले इच्‍छा शक्ति की जरूरत है। जिसकी केजरीवाल सरकार के भीतर बहुत कमी है।