नीतीश कुमार ने कर दी लालू यादव को लेकर सबसे बड़ी भविष्‍यवाणी

बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच तू-तू, मैं-मैं जारी है। इस बीच नीतीश बाबू ने लालू यादव को लेकर बड़ी भविष्‍यवाणी कर दी है।

New Delhi Nov 14 : बिहार की राजनीति में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ी भविष्‍यवाणी कर दी है। नीतीश कुमार की ये भविष्‍यवाणी लालू यादव पर है। जो उनकी रातों की नींद और दिन का चैन छीन सकती है। दरसअल, नीतीश कुमार और लालू यादव दोनों की ही राजनीति और व्‍यवहार में जमीन आसमान का फर्क है। जहां नीतीश काफी शालीन और शांत स्‍वभाव के हैं। वहीं लालू यादव को तुनकमिजाज माना जाता है। उन्‍हें खुद पता ही नहीं चलता है कि वो कब अपने विरोधियों पर हमला करने के चक्‍कर में भाषा की मर्यादा तक लांघ जाते हैं। इन दिनों बिहार में शायद ही कोई ऐसा दिन गुजरता हो जब आरजेडी के चीफ लालू यादव नीतीश कुमार पर हमला ना बोलते हों। जो मन में आता है कहते हैं। नीतीश बाबू कम बोलते हैं लेकिन, विरोधियों को सूद समेत लौटेते हैं। वो कहावत है ना सौ सुनार की एक लोहार की। ये कहावत नीतीश बाबू पर सटीक बैठती है। उन्‍होंने लालू यादव को लेकर जो भविष्‍यवाणी की है। वो वाकई लालू खेमे को परेशान करने वाली है।

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नीतीश कुमार का कहना है कि अगले विधानसभा चुनाव में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। नीतीश का कहना है कि उनके साथ रहने के कारण आरजेडी के जो विधायक 2015 के विधानसभा चुनाव में जीत कर आएं हैं वो अगले चुनाव यानी 2020 के विधानसभा चुनाव में बैक टू पवेलियन हो जाएंगे। वैसे तो नीतीश बाबू लालू यादव को बड़े भाई कहकर संबोधित करते थे। लेकिन, अब वो उन्‍हें श्रीमान कहते हैं। नीतीश कुमार का कहना है कि जब श्रीमान के घर पर जब छापा पड़ा, तब उनसे क्या-क्या उम्‍मीद की गई। इतना ही नहीं, नीतीश बाबू लालू यादव के दसवीं बार आरजेडी के अध्‍यक्ष बनने पर भी चुटकी लेते हैं। वो कहते हैं राष्‍ट्रीय जनता दल लालू की फैमिली प्रॉपर्टी की तरह हो गई है। उनका कहना है कि उन्‍हें जो बोलना है बोलने दीजिए, बिहार की जनता अपने आप ही उन्‍हें सबक सिखा देगी। बता देगी कि हकीकत क्‍या है।

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नीतीश कुमार लालू यादव को खुली बहस की चुनौती भी देते हैं और कहते हैं कि अगर उनमें मुद्दों को लेकर बहस करने की हिम्‍मत है तो डिबेट कर लीजिए। मैं तैयार हूं। नीतीश कुमार का कहना है लालू पहले मीडिया के डार्लिंग थे अब पोस्‍टर ब्‍यॉय बन गए हैं। नीतीश की एक बात तो माननी पड़ेगी। 2014 में जब देश में बीजेपी लहर थी खासतौर पर मोदी की आंधी चल रही थी। उस वक्‍त बिहार में विधानसभा चुनाव हुए थे। हर किसी को पता था कि बिहार में बीजेपी की इस आंधी को रोक पाना मुश्किल होगा। तभी बिहार में महागठबंधन किया गया था। जिसमें कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू शामिल हुए थे। अगर आज नीतीश कुमार ये कहते हैं कि लालू यादव और उनकी पार्टी आरजेडी को महागठबंधन की वजह से जीत मिली थी तो इसमें कोई शक नहीं है। अगर तीनों दलों ने उस वक्‍त अलग-अलग चुनाव लड़ा होता तो बीजेपी की जीत तय थी।

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नीतीश के महागठबंधन की वजह से ही बीजेपी की आंधी रुक पाई थी। लेकिन, 2020 में ऐसा कोई महागठबंधन नहीं होने वाला है। 2020 की जो संभावित तस्‍वीर होगी वो अभी से साफ है। बीजेपी, जेडीयू और एलजेपी मिलकर चुनाव लड़ेंगे। जीतनराम मांझी का भी सपोर्ट इस गठबंधन को रहेगा। क्‍योंकि वो भी एनडीए के हिस्‍सा बन चुके हैं। विपक्ष में बचते हैं लालू यादव और कांग्रेस पार्टी। कांग्रेस पार्टी में पहले से ही लालू को लेकर दो फाड़ हो चुके हैं। अगर 2020 में लालू बिहार में बंटी हुई कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ते भी हैं तब भी उनका जीत पाना मुश्किल ही होगा। क्‍योंकि लालू पर भ्रष्‍टाचार के दर्जनों मुकदमों का बोझ है। जनता के बीच वो अपने भ्रष्‍टाचार को लेकर क्‍या सफाई देंगे। ये पब्लिक है। सब जानती है। हर चीज का हिसाब मांगती है। इस सूरत में तो वाकई नीतीश कुमार की भविष्‍यवाणी सच साबित होती नजर आ रही है। फिर भी हकीकत जानने के लिए 2020 तक का इंतजार करना होगा।