गुजरात की डर्टी पॉलिटिक्स : बीजेपी के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने का ‘क्रॉस’ कनेक्शन
गुजरात विधानसभा चुनाव में अब डर्टी पॉलिटिक्स शुरु हो गई है। कुछ लोग गुजरात में मुसलमानों को बीजेपी के खिलाफ भड़काकर फायदा उठाना चाहते हैं।
New Delhi Nov 15 : गुजरात विधानसभा चुनाव अपने शबाब पर है। लेकिन, चुनावों से पहले यहां पर गंदी राजनीति शुरु हो गई है। वोटों के ध्रुवीकरण की कोशिश की जा रही है। गुजरात से लगातार इस तरह की खबरें आ रही थीं कि मुस्लिम समुदाय भारतीय जनता पार्टी के साथ है। मुसलमानों ने बीजेपी को फुल सपोर्ट करने का मन बनाया है। जाहिर है ये खबर विपक्ष के होश उड़ाने के लिए काफी है क्यों कि बीजेपी की विरोधी पार्टियां शुरु से ही मुसलमानों को बीजेपी का डर दिखाकर अपने पक्ष में करती रहीं हैं और इस समुदाय का इस्तेमाल वोट बैंक के तौर किया जाता रहा है। लेकिन, इस बार गंदी और घटिया राजनीति ये हो रही है कि गुजरात के अहमदाबाद में कुछ मुसलमानों के घर के बाहर क्रॉस का साइन लगा दिया गया। जिससे मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में तनाव बढ़ गया है। ऐसे में अब आप सोच सकते हैं कि वहां पर किसी तरह की अफवाहें उड़ाई जा रही होंगी।
भारतीय जनता पार्टी का साफतौर पर कहना है कि गुजरात में सांप्रदायिक तनाव फैलाने के लिए ये विपक्ष की चाल है। इस घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन के अलावा पुलिस को भी दे दी गई है। तफ्तीश की जा रही है, हो सकता है कि जल्द ही इस केस का खुलासा भी हो जाए कि आखिर किसने मुसलमानों के घर के बाहर क्रॉस का साइन लगाया और किसके कहने पर लगाया। दरसअल, गुजरात विधानसभा चुनाव में कई पार्टियों के दिल्लीवाले नेता इस वक्त गुजरात में डेरा जमाए हुए हैं। ये हरकत उसमें से भी किसी की हो सकती है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब कर रहे हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी का कहना है कि बीजेपी राज्य में ध्रुवीकरण कर रही है। वैसे भी सोचने वाली बात है कि अगर सभी को मालूम है कि गुजरात के मुसलमान बीजेपी के साथ हैं तो जाहिर तौर पर तकलीफ विपक्ष को ही होगी। इसमें कोई भी हो सकता है।
वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रवक्ता संबित पात्रा का कहना है कि कांग्रेस गुजरात में अपना बेस गंवा चुकी है और वोट हासिल करने के लिए वो इस तरह के हथकंडों का इस्तेमाल कर रही है। मुसलमानों के घरों के बाहर क्रॉस के साइन पर संघ परिवार ने भी कांग्रेस को कठघरे में खड़ा किया है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक राकेश सिन्हा का कहना है कि ये सब कांग्रेस की पुरानी राजनीति है। संघ परिवार ने कांग्रेस पार्टी के नेताओं से गुजारिश की है कि वो हिंदू और मुसलमानों के बीच दूरी ना बढ़ाए और ना ही उनके बीच तनाव पैदा करें। गुजरात के इस विवाद में औवेसी की पार्टी AIMIM भी कूद पड़ी है। एआईएमआईएम ने मांग की है कि इस साजिश के पीछे कौन लोग हैं इसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए। जाहिर है जांच के बाद ही पता चल सकेगा कि ये हरकत किसने और क्यों की। लेकिन, अब तक इसका खुलासा नहीं हो सकता है कि ये साजिश किसकी है।
दरअसल, इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव में कई मुस्लिम धर्म गुरू भी बीजेपी के लिए प्रचार कर सकते हैं। बीजेपी ने गुजरात में सबका साथ, सबका विकास के फार्मूले पर काम किया है। भारतीय जनता पार्टी के ही भीतर देंगे तो पार्टी ने कई मुसलमानों को कई बोर्ड का अध्यक्ष बनाया हुआ है। इसके अलावा नगर निकाय चुनाव में भी कई मुसलमान बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव के लिए भी बड़ी संख्या में मुसलमानों ने टिकट के लिए आवेदन किया है। माना जा रहा है कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में बीजेपी मुस्लिम कैंडीडेट को ही टिकट देगी। जबकि विपक्ष मुसलमानों को 2002 के गुजरात दंगे याद दिलाना चाहता है। जिसे गुजरात के मुसलमान भूलकर विकास के पथ पर आगे बढ़ चले हैं। लेकिन, वोट बैंक की खातिर उनके दर्द को फिर से कुरेदा जा रहा है। जख्म हरे किए जा रहे हैं। जरा सोचिए क्या इससे भी कोई घटिया राजनीति हो सकती है।