सुनो असदुद्दीन ओवैसी, अयोध्या को हैदराबाद मत समझना कि कुछ भी बोल दोगे

अयोध्या विवाद को हल करने की श्री श्री की कोशिश से असदुद्दीन ओवैसी खुश नहीं हैं, ओवैसी ने कहा कि श्री श्री झूठे हैं, वो नोबेल अवॉर्ड हासिल करना चाहते हैं।

New Delhi, Nov 14: अयोध्या विवाद को सुलझाने की जब भी कोई कोशिश परवान चढ़ने लगती है तो कुछ लोग अपनी सियासत की दुकान ले कर आ जाते हैं। ये दोनों पक्षों की तरफ से हो रहा है। अयोध्या में राम मंदिर विवाद को हल करने की मंशा के साथ आर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविशंकर मध्यस्थता करने की कोशिश कर रहे हैं। वो दोनों पक्षों के लोगों के साथ मुलाकात कर रहे हैं। उन्होंने बंगलुरू में दोनों पक्षों के साथ मुलाकात की थी, जिसकी तस्वीरें सामने आई हैं। श्री श्री का दावा है कि दोनों ही पक्ष सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं। बतचीत के जरिए ये विवाद खत्म किया जा सकता है। जैसे ही ये उम्मीद जगी कि शायद ये विवाद खत्म हो जाए तो सामने आ गए ओवैसी, हैदराबाद में अपनी सियासत करने वाले ओवैसी को अचानक अयोध्या मं दिलचस्पी कैसे हो गई।

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असदुद्दीन ओवैसी ने राम मंदिर विवाद में श्री श्री की मध्यस्थता का विरोध किया है। उनका कहना है कि श्री श्री ने झूठ बोला था कि उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्यों से मुलाकात की थी। उनकी किसी से कोई मुलाकात नहीं हुई है। औवैसी ने ये भी कहा कि ये सब करके शअरी श्री को नोबेल पुरस्कार नहीं मिल जाएगा। ओवैसी ने कहा कि इसे मजाक बना रखा है, इतने बड़े मसले को हल करने के लिए कैसे किसी को मध्यस्थता के लिए बुलाया जा सकता है। कोई खुद को अकबर के वंश का बता रहा है तो कोई मुगलों के वंश का, इस तरह से नहीं होता है। ओवैसी ने ये भी कहा कि श्री श्री पहले एनजीटी का 75 लाख का जुर्माना भरें फिर बात करें।

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बता दें कि श्री श्री ने कहा है कि वो 16 नवंबर को अयोध्या जाएंगे और बातचीत से मामले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी विवाद हो रहा है वो बेवजह है, वो अपनी मर्जी से इस मामले में मध्यस्थता के लिए सामने आए हैं। जिस को जो कहना है वो कहता रहे। श्री श्री ने ये भी कहा कि वो राम मंदिर विवाद पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात करेंगे। वो सभी पक्षकारों के साथ बात करेंगे। श्री श्री की इसी कोशिश से असदुद्दीन ओवैसी को मिर्ची लग रही है। शायद वो नहीं चाहते हैं कि ये मुदादा हल हो सके। इस पर अभी ओवैसी को अपनी राजनीति खेलनी होगी। जिसकी उम्मीद श्री श्री की कोशिशों के बाद धूमिल पड़ती दिख रही है।

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सवाल ये भी है कि हैदराबाद को अपनी सियासी सल्तनत समझने वाले असदुद्दीन ओवैसी को अचानक अयोध्या में क्यों दिलचस्पी हो गई है, यूपी में चुनाव के दौरान उनकी पार्टी का जो हाल हुआ था वो सभी को पता है। अब वो राम मंदिर मुद्दे के सहारे खुद को चर्चा में बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं। अगर किसी भी क्षेत्र में कोई विवाद है और एक शख्स उस विवाद को खत्म करने की कोशिश कर रहा है तो उस से किसी को क्या दिक्कत हो सकती है। श्री श्री ने पहले ही कहा है कि वो सभी पक्षों से बात करेंगे। उसके बाद अगर संभव हुआ तो कोई हल निकलेगा। ऐसा तो नहीं है कि श्री श्री ने बोला और विवाद खत्म हो गया। ऐसे में ओवैसी को कुछ भी बोलने से पहले सोच लेना चाहिए कि वो क्या बोल रहे हैं।