राहुल गांधी का अब सांसद बन पाना भी मुश्किल, कैसे बनेंगे प्रधानमंत्री?

गुजरात में राहुल गांधी विकास को पागल कहते हैं, लेकिन अमेठी में क्या हाल है, जहां से वो सांसद हैं, अगली बार उनका अमेठी से लोकसभा जाना मुश्किल दिख रहा है।

New Delhi, Nov 14: इस खबर का फिलहाल कोई खास महत्व नहीं है, क्योंकि लोकसभा चुनाव 2019 में होने हैं, लेकिन चर्चा तो कभी भी हो सकती है। गुजरात में राहुल गांधी पूरा दमखम लगा रहे हैं। बेहद आक्रामक अंदाज में मोदी सरकार और बीजेपी पर हमला कर रहे हैं। लग रहा है जैसे देश में एक नए नेता का जन्म हो गया है। मुद्दा ये है कि राहुल मोदी के गढ़ में आक्रामक हो रहे हैं लेकिन उनके अपने घर में क्या हो रहा है इसके बारे में उनको कोई खबर भी है। गुजरात विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी परीक्षा है। लेकिन क्या अमेठी में राहुल अपना घर 2019 में बचा पाएंगे। सोशल मीडिया पर बीजेपी समर्थकों की तरफ से यही सवाल किया जा रहा है।

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दरअसल गुजरात चुनाव में कांग्रेस के कैम्पेन को डिरेल करने के लिए बीजेपी समर्थक सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। कह रहे हैं कि जो शख्स गुजरात में इतना जोर लगा रहा है उतना जोर अगर अमेठी में लगाते तो अमेठी का विकास हो गया होता। वो गुजरात में विकास पागल हो गया है के नारे लगा रहे हैं जबकि अमेठी में तो किसी ने विकास का नाम तक नहीं सुना है। इसी साल मार्च में हुए यूपी विधानसभा चुनावों का हवाला भी बीजेपी समर्थक दे रहे हैं। उनका कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी का जीत पाना संभव नहीं है। इसके पीछे विधानसभा चुनाव के नतीजों और खास तौर पर अमेठी की 5 विधानसभा सीटों के नतीजों का हवाला दिया जा रहा है।

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यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान अमेठी की 5 सीटों में से एक पर भी कांग्रेस को जीत नहीं मिली थी। अमेठी, जगदीशपुर, तिलोई और सलोन सीट पर बीजेपी को जीत मिली थी, जबकि गौरीगंज से समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार जीता था। इसी आंकड़े की रोशनी में कहा जा रहा है कि अमेठी से गांधी परिवार का दबदबा खत्म हो गया है। जिस लोकसभा सीट से राहुल सांसद हैं वहां की जनता ने कांग्रेस को नकार दिया है। ये वाकई में कांग्रेस के लिए सोचने का विषय है कि आखिर इतने सालों से लगातार अमेठी पर कब्जा होने के बाद भी जनता क्यों उनको नकार रही है। यही वो आंकड़ा है जो कांग्रेस और राहुल गांधी के सामने परेशानी खड़ी कर रहा है।

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पिछले लोकसभा चुनाव की बात करें तो अमेठी से राहुल के सामने बीजेपी की स्मृति ईरानी थी, राहुल ने एक लाख से ज्यादा के अंतर से चुनाव जीता था। स्मृति ईरानी को 3 लाख से ज्यादा वोट मिले थे। ये अपने आप में एक उपलब्धि है। खास बात ये है कि 2009 के मुकाबले 2014 में राहुल के 25 फीसदी वोट कम हुए हैं। इन आंकड़ों का इस्तेमाल बीजेपी समर्थक सोशल मीडिया पर कर रहे हैं। जनता से सवाल पूछ रहे हैं कि जो शख्स गुजरात में विकास को पागल कह रहा है उसके अपने क्षेत्र में क्या हाल है, वो भी देख लेना चाहिए। अब ये सवाल और आंकड़ा राहुल के लिए परेशानी का कारण बन रहा है। कांग्रेस पहले ही गुजरात में अपनी रणनीति को बदल चुकी है। बीजेपी समर्थक ये कह रहे हैं जिस शख्स को कांग्रेस पीएम बनाने की सोच रही है उसका सांसद तक बन पाना मुश्किल हो रहा है।