महंगाई से राहत दिलाओ सरकार : छह महीने के उच्‍चतम स्‍तर पर है थोक महंगाई दर

महंगाई दर कम होने की बजाए पिछले छह महीने के अपने सबसे उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई है। माना जा रहा है कि टमाटर और प्‍याज ने खेल बिगाड़ा है।

New Delhi Nov 15 : महंगाई दर पर आंकड़े सरकार का खेल बिगाड़ते हैं लेकिन, बाजार में सब्जियों के आसमान छूते भाव हमारे और आपके किचन के बजट को ही बिगाड़ रहे हैं। देश की थोक महंगाई दर छह महीने के उच्‍चतम स्‍तर पर पहुंच गई है। अक्‍टूबर महीने की थोक महंगाई दर के आंकड़े बताते हैं कि प्‍याज और टमाटर समेत दूसरे खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से महंगाई दर3.59 फीसदी पर पहुंच चुकी है। जबकि सितंबर महीने में थोक महंगाई दर 2.60 फीसदी थी। इस साल अक्‍टूबर के आंकड़ों को अगर पिछले साल अक्‍टूबर के आंकड़ों से मिलान करें तो देखने को मिलता है कि महंगाई दर में दोगुने से कहीं ज्‍यादा उछाल आया है। पिछले साल अक्‍टूबर में ये आंकड़ा 1.27 फीसदी था। जबकि इस बार 3.59 फीसदी हो गया है। हालांकि अप्रैल महीने में भी महंगाई सातवें आसमान पर थी। उस वक्‍त ये आंकडा 3.85 फीसदी तक पहुंच गया था। यानी अक्‍टूबर महीने से भी ज्‍यादा।

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इससे पहले इस साल अप्रैल में थोक महंगाई दर 3.85 फीसदी रही थी। इस साल सबसे ज्‍यादा बढ़ोत्‍तरी सब्जियों के दामों में देखने को मिली। अक्‍टूबर में सब्जियों की महंगाई दर 36.61 फीसदी बढ़ गए। जबकि इससे पहले ये महंगाई सितंबर महीने में 15.48 फीसदी पर ही थमी हुई थी। जाहिर है जब थोक महंगाई दर बढ़ेगी तो खुदरा महंगाई दर में अपने आप उछाल दर्ज होगा। बाजार में महंगे खाद्य पदार्थों खासतौर पर सब्जियों की ऊंचे दामों की वजह से अक्तूबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 3.58 फीसदी पहुंच गई। खुदरा महंगाई में ये उछाल पिछले सात महीने के अपने सबसे उच्‍चतम स्‍तर पर थी। सितंबर महीने में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई आधारित महंगाई की दर 3.28 फीसदी थी। हालांकि खुदरा बाजार में पिछले साल भी काफी महंगाई दर्ज की गई थी। पिछले साल ये आंकड़ा 4.2 फीसदी पर था। जबकि इस साल मार्च के महीने में ये आंकडा 3.89 फीसदी के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

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केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अक्तूबर महीने में खाद्य पदार्थों की महंगाई दर बढ़कर 1.9 फीसदी तक पहुंच गई थी। जो सितंबर महीने में 1.25 फीसदी हुआ करती थी। सब्जियों के दामों में सबसे ज्‍यादा बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई। पिछले महीने तो प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों में उछाल दर्ज किया गया था। हालांकि इस बार थोड़ी राहत है। फल भी सितंबर के मुकाबले अक्‍टूबर में सस्‍ते हुए हैं। अब बात जरा दालों की कर ली जाए। दालों की कीमतों में गिरावट देखने को मिली है। अक्‍टूबर महीने में दालों की महंगाई दर23.13 फीसदी रही। हालांकि सितंबर महीने में ये आंकड़ा 22.51 फीसदी था। माना जा रहा है कि पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से खाद्य पदार्थों में काफी उछाल आया है। ईंधन और बिजली दोनों में ही काफी महंगाई रिकॉर्ड की गई। इतना ही नहीं आवास क्षेत्र में भी महंगाई देखने को मिली।

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हालांकि देश में बढ़ती महंगाई को लेकर अब हर किसी की निगाहें अगले महीने होने वाली मौद्रिक नीति की छठी द्विमासिक मीटिंग पर टिकी हुई है। देखना होगा कि आरबीआई रेपो और रिवर्स रेसो रेट में कोई कटौती करता है या नहीं। वैसे लगातार बढ़ रही महंगाई सरकार के लिए भी चिंता का सबब बन सकती है। आम जनता को आंकड़ों से ज्‍यादा सीधे बाजार पर भरोसा होता है। आम पब्लिक को ये कतई मतलब नहीं होता है कि रेपो रेट क्‍या है और रिवर्स रेपो रेट क्‍या होगा। सितंबर में महंगाई दर क्‍या थी और अक्‍टूबर में क्‍या होगी। उसे तो सिर्फ इस बात से फर्क पड़ता है बाजार में बीस रुपए किलो बिकने वाला टमाटर साठ से सत्‍तर रूपए किलो के हिसाब से बिक रहा है। जो प्‍याज बीस रुपए किलो के हिसाब से बिका करता था वो भी आज पचास रुपए किलो के भाव में बिक रहा है। दूसरी सब्जियों का भी कमोवेश यही हाल है। ऐसे में तो सिर्फ सरकार से यही गुहार लगाई जा सकती है कि थोडी राहत दिला दो हुजूर।