राम मंदिर मध्यस्थता पर सवालों के बीच योगी आदित्यनाथ से मिले श्रीश्री रविशंकर
अयोध्या मुद्दे को सुलझाने के लिए अपनी ओर से पहल करने वाले श्रीश्री रविशंकर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है।
New Delhi Nov 15 : आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने अयोध्या विवाद को सुलझाने की पहल की है। वो खुद ही इस मामले में मध्यस्थ बन गए हैं। हालांकि उनकी मध्यस्थता को लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं। लेकिन, इन सवालों और विवादों के बीच बुधवार को श्रीश्री रविशंकर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। दोनों की मुलाकात करीब आधे घंटे चली। माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ और श्रीश्री रविशंकर के बीच राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद को सुलझाने के लिए तरीकों को लेकर बातचीत हुई। श्रीश्री रविशंकर गुरूवार को अयोध्या जाएंगे। यहां पर उनका इस केस में पक्षकारों से मुलाकात का भी प्लान है। लेकिन, हिंदू महासभा की ओर से लगातार उनकी मध्यस्थता को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं। पूछा जा रहा है कि आखिर वो किस हैसियत से इस केस में मध्यस्थ बने हैं।
वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस विवाद को सुलझाने के लिए श्रीश्री रविशंकर की ओर की गई पहल की सराहना कर चुके हैं। योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को ही अयोध्या से निकाय चुनाव के लिए प्रचार अभियान की शुरुआत की थी। यहीं से उन्होंने रविशंकर की इस पहल की सराहना करते हुए कहा था कि किसी भी स्तर पर बातचीत से राम मंदिर और बाबरी मस्जिद के विवाद को सुलझाने के प्रयास की तारीफ की जानी चाहिए। जानकारी के मुताबिक श्रीश्री रविशंकर 16 तारीख यानी गुरूवार को सड़क मार्ग के जरिए अयोध्या पहुंचेगे। श्रीश्री के प्रतिनिधि पहले से ही अयोध्या पहुंच चुके हैं। इतना ही नहीं रविशंकर के प्रतिनिधियों ने पहले से ही इस केस में हिंदू और मुस्लिम पक्षकारों से मुलाकात कर इस बात की जानकारी दे दी है कि रविशंकर 16 तारीख को अयोध्या पहुंच रहे हैं और आप सभी लोगों से बातचीत करेंगे।
श्रीश्री रविशंकर के तय कार्यक्रम के मुताबिक वो गुरुवार को सुबह करीब 11 बजे अयोध्या पहुंचेगे। सबसे पहले उनका मणिराम छावनी जाने का प्रोग्राम है। इसके बाद वो राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास से मुलाकात करेंगे। महंत नृत्यगोपाल दास से मुलाकात के बाद वो न्यास के सदस्य डॉ. रामविलास वेदांती के अलावा बाबरी मस्जिद के पैरोकार मरहूम हाशिम अंसारी के बेटे इकबाल अंसारी से भी मुलाकात करेंगे। हासिम अंसारी ने लंबे समय तक इस केस की पैरोकारी की थी। उनकी मौत के बाद ये केस उनका बेटा इकबाल अंसारी लड़ रहे हैं। हालांकि हासिम अंसारी चाहते थे कि उनके जीते-जी इस केस का फैसला हो जाए। लेकिन, ऐसा नहीं हो सका। ये केस अभी भी सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट भी चाहता है कि अगर इस केस में आउट आफ कोर्ट सेटेलमेंट हो जाए तो सबसे बेहतर है। शिया वक्फ बोर्ड इसके लिए तैयार भी है। लेकिन, सुन्नी वक्फ बोर्ड का कहना है कि उन्हें अदालत का ही फैसला मान्य होगा। समझौता मंजूर नहीं।
हालांकि कई पक्षकार इस बात को लेकर सवाल खड़े कर रहे हैं कि आखिर श्रीश्री रविशंकर कौन होते हैं इस केस में मध्यस्थता करने वाले। वो किस हैसियत से इस केस में कूदना चाहते हैं। इससे पहले अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने भी ये कह चुके हैं कि श्रीश्री रविशंकर कोई संत नहीं हैं, जो उनकी बात को मान ही लिया जाए। उनका ये भी कहना है कि इस विवाद का समाधान रविशंकर के बस की बात नहीं है। हिंदू महासभा का भी यही कहना है कि आखिर वो किस हैसियत से पक्षकारों से बात करेंगे। वो आज तक कभी अयोध्या नहीं गए। कभी राम मंदिर आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया। राममंदिर निर्माण में उन्होंने कभी कोई भूमिका नहीं निभाई। हिंदू महासभा के लोगों का कहना है कि श्रीश्री रविशंकर इस मसले को लपक कर ख्याति हासिल करना चाहते हैं।