यूपी निकाय चुनाव में नहीं चलेगी शराब, देना होगा हर पैग का हिसाब
इस वक्त उत्तर प्रदेश में चारों ओर निकाय चुनाव का शोर है। चुनाव में शराब के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए खास बंदोबस्त किए गए हैं।
New Delhi Nov 19 : यूपी में इस वक्त चारों ओर निकाय चुनाव का ही शोर सुनाई पड़ रहा है। यूपी में तीन चरणों में निकाय चुनाव होने हैं। जैसा कि हर किसी को पता है कि हर इलेक्शन में उम्मीदवार और पार्टियां वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए पैसों और शराब का इस्तेमाल करते हैं। कोई कुछ भी कह ले कितनी भी पाबंदी लगा ले। लेकिन, हर चुनाव में कयामत की रात आती ही आती है। जिसमें शराब को पानी की तरह बहाया जाता है। लेकिन, यूपी निकाय चुनाव में आपको शायद ये सब देखने को ना मिले। दरसअल, निकाय चुनाव में शराब की तस्करी के लिए पूरा का पूरा नेक्सेस काम करता है। लेकिन, प्रशासन ने भी इसकी काट निकाल ली है। यूपी में शराब की बिक्री करने वाले दुकानदारों को हर पैग का हिसाब देना पड़ सकता है। जाहिर है आबकारी विभाग का ये कदम काफी सराहनीय है। फिलहाल आबकारी विभाग के इस फैसले को पूरे यूपी की बजाए अभी कुछ जिलों में भी अमल में लाया जा रहा है।
दरसअल, उत्तर प्रदेश के कानपुर में जिला आबकारी अधिकारी ने अपने जिले की सभी शराब की दुकानों को एक नोटिस जारी किया है। जिसमें आबकारी विभाग की ओर से शराब ठेकेदारों को ये सख्त हिदायत दी गई है कि उनके यहां से जो भी भारी मात्रा में शराब लेकर जाएगा ठेकेदार को उसका पूरा ब्यौरा अपने पास रखना होगा। मसलन शराब ठेकेदार को उस वक्त का मोबाइल नंबर, उसकी फोटो, उसका नाम, उसका पता अपने रजिस्टर में लिखना होगा। इसके साथ ही ये भी बताना होगा कि उस व्यक्ति ने शराब की दुकान से कितनी बोतल शराब खरीदी। आबकारी विभाग का ये फैसला निकाय चुनाव के मद्देनजर सामने आया है। सिर्फ कानपुर ही नहीं प्रदेश के कई और जिलो में भी निकाय चुनाव को देखते हुए इस तरह के आदेश जारी किए गए हैं। ऐसा नहीं करने पर शराब के ठेकदारों पर भी कार्रवाई की जा सकती है। आबकारी विभाग अचानक छापेमारी कर शराब ठेके पर लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच सकता है।
दरअसल, निकाय चुनाव या किसी भी चुनाव में दो तरह से शराब की सप्लाई की जाती है। एक वैध तरीके से और एक अवैध तरीके से। कुछ मामलों में निकाय चुनाव या किसी दूसरे इलेक्शन में खड़ा होने वाला उम्मीदवार (हर उम्मीदवार नहीं) लोगों को अपने पक्ष में करने के लिए शराब बांटता है। लेकिन, उसे पता होता है कि ये काम गलत है और अवैध है। इसलिए ऐसे उम्मीदवार अपने किसी खास व्यक्ति के ठिकाने पर शराब छिपाते हैं। ये शराब किसी दूसरे राज्य से तस्करी करके भी मंगाई जा सकती है। जहां शराब सस्ती हो। मसलन राजस्थान और हरियाणा। ऐसे मामलों की धरपकड़ के लिए आबकारी विभाग अपने मुखबिरों को अलर्ट मोड पर रखता है। इसके अलावा पुलिस भी चुनाव के दौरान काफी सक्रिय रहती है। पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए कुछ उम्मीदवार दूसरे रास्ते को चुनते हैं। वो थोड़ी-थोड़ी मात्रा में स्थानीय ठेकों से शराब मंगवाते हैं।
ऐसे में उन पर किसी का भी शक नहीं जाता। लेकिन, निकाय चुनाव में शराब की सप्लाई के इस दूसरे रास्ते को भी बंद करने के लिए ही आबकारी विभाग ने सभी शराब ठेकेदारों को आदेश जारी कर दिया है कि तय मात्रा से ज्यादा शराब खरीदने वाली की पूरी डिटेल उन्हें अपने पास रखनी होगी। इसमें कोई गड़बड़ी ना हो इसके लिए भी आबकारी विभाग ने शराब की दुकानों के पास भी अपने मुखबिरों को अलर्ट कर दिया है। प्रदेश में आबकारी विभाग का ये कदम वाकई चुनाव में शराब की सप्लाई पर रोक लगाएगा। लेकिन, ऐसे लोगों की भी यहां पर कोई कमी नहीं है जो चुनावों में खेल करने में माहिर हैं। ये चूहे बिल्ली का वो खेल है जो हर चुनाव में जारी रहता है। देखना होगा कि निकाय चुनाव में तीन कयामत की रातों में क्या होता है। क्या चुनाव में शराब का खेल चलेगा या फिर लोग बिना किसी प्रभाव में आए अपने नेता को चुनेंगे।