राहुल गांधी को अध्यक्ष पद का तोहफा, कांग्रेस को लगे दो करारे झटके

कांग्रेस में सत्ता हस्तांतरण से पहले ही राहुल गांधी को दो करारे झटके लगे हैं। गुजरात में पाटीदारों ने हंगामा कर दिया है तो एनसीपी ने भी कांग्रेस को अकेला छोड़ दिया है।

New Delhi, Nov 21: राहुल गांधी कांग्रेस के अध्यक्ष बनेंगे, इस बात पर किसी को संदेह नहीं था, अब ये साफ हो गया है कि वही कांग्रेस के अगले खेवनहार होंगे, मां के हाथ से निकल कर कांग्रेस की सत्ता बेटे के हाथ में आने वाली है। अध्यक्ष पद के चुनाव का एलान हो गया है. राहुल के सामने कोई कांग्रेसी नेता खड़ा नहीं होगा इसलिए अभी से ये माना जा रहा है कि 4 दिसंबर को चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही राहुल की ताजपोशी का एलान हो जाएगा। कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से पहले ही राहुल को दो तोहफे मिले हैं, जी हां गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस के अभियान को ऐसा झटका लगा है जिस से उसकी उम्मीदें धूल धूसरित हो सकती हैं।

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कांग्रेसी नेता राहुल की ताजपोशी की खबर से खुश है, वो ठीक से जश्न भी नहीं मना पाए कि गुजरात ससे दो ऐसी खबरें आई जिन्होंने कांग्रेस को परेशान कर दिया है। पहला झटका कांग्रेस को वहां से मिला है जहां से उसे जीत की उम्मीद है. रविवार देर रात टिकट बंटवारे के बाद हार्दिक पटेल के संगठन पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के लोगों ने जमकर हंगामा काटा। ये लोग टिकट बंटवारे से नाराज बताए जा रहे हैं। इनकी कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ झड़प भी हुई। पाटीदाों के समर्थन के दम पर ही कांग्रेस जीत का सपना देख रही है. मगर अब लग रहा है कि हार्दिक पटेल अपने संगठन के जरिए कांग्रेस पर दबाव बना रहे हैं। अभी तक जो स्थिति है उसके मुताबिक कांग्रेस पाटीदार नेताओं को अपने चुनाव चिन्ह पर टिकट देगी।

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दूसरा झटका कांग्रेस को दिया है एनसीपी ने, यूपीए का हिस्सा एनसीपी ने अब गुजरात में अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ये कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है, गुजरात में फिलहाल एनसीपी के दो विधायक हैं, अकेले चुनाव लड़ने का एलान करते हुए एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन को लेकर गंभीर ही नहीं है. ऐसा लग रहा है कि जैसे कांग्रेस पाटीदारों का साथ मिल जाने से खुश है। सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के साथ काफी बातचीत हुई, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला, जिसके बाद हमने अपने दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। प्रफुल्ल पटेल का कहना है कि हम अकेले चुनाव लड़कर भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे। हमें किसी बैसाखी की जरूरत नहीं है।

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अब इन दोनों झटकों के असर के बारे में बात कर लेते हैं। पाटीदार नेताओं और कार्यकर्ताओं के हंगामे से राज्य में कांग्रेस को लेकर माहौल खराब हुआ है। हार्दिक पटेल भी खुश नहीं बताए जा रहे हैं। राहुल गांधी के साथ उनकी बातचीत का कोई सार्थक नतीजा नहीं निकला है। आरक्षण के मुद्दे पर भी बात साफ नहीं हो पाई है। वहीं कांग्रेस की तरफ जो बयान आया है वो गुजरात प्रभारी अशोक गहलोत ने दिया है। उन्होंने कहा कि वो हिंसा की निंदा करते हैं। पाटीदार नेताओं को धैर्य और संयम का परिचय देना चाहिए। गहलोत पाटीदारों को धैर्य रखने की नसीहत दे रहे हैं वहीं उनकी ही पार्टी पाटीदारों को आरक्षण के मुद्दे पर कई भरोसा दिला पाने में नाकाम रही है। ऐसे में कांग्रेस का चुनावी अभियान गुजरात में झटके खा रहा है। राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने से पहले ही दो तोहफे मिल गए हैं। देखना ये है कि वो इन झटकों से कैसे निपटते हैं।