क्या हार के साथ होगी राहुल गांधी की ताजपोशी, कांग्रेस तो ऐसे ही संकेत दे रही है

गुजरात चुनाव के नतीजों के बारे में कांग्रेस शंकित हो रही है। राहुल गांधी की ताजपोशी का एलान इसलिए ही 19 दिसंबर को किया जाएगा। लेकिन क्या ये प्लान सफल होगा

New Delhi, Nov 21: देश की सबसे पुरानी सियासी पार्टी कांग्रेस में सत्ता परिवर्तन होने वाला है। सोनिया गांधी के हाथ से पार्टी की कमान अब उनके बेटे राहुल गांधी के पास आने वाली है। ये कांग्रेस का लोकतंत्र है, जहां गांधी परिवार के अलावा कोई और अध्यक्ष बन जाए ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता है। कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रक्रिया का एलान कर दिया है। 4 दिसंबर से ये प्रक्रिया शुरू होगी और 19 दिसंबर को नतीजे आएंगे। लेकिन जैसा माहौल कांग्रेस में है उस से ये साफ है कि कोई भी नेता राहुल के सामने खड़ा नहीं होगा। ऐसे में 4 दिसंबर को ही ये साफ हो जाएगा कि राहुल कांग्रेस के अगले खेवनहार हैं। चुनाव की तारीखों से कई बातों का संकेत मिल रहा है। इस से कांग्रेस के अंदर का डर भी बाहर आ रहा है।

Advertisement

कांग्रेस ने अध्यक्ष पद के लिए जो कार्यक्रम तय किया है उसके मुताबिक 4 दिसंबर को अधिसूचना जारी होगी. उसके बाद 11 दिसंबर तक नामांकन नामांकन वापसी के लिए आखिरी तारीख है। 16 दिसंबर को मतदान होगा अगर राहुल के अलावा कोई दूसरा उम्मीदवार खड़ा हुआ तो, उसके बाद 19 दिसंबर को नतीजों का एलान किया जाएगा। इस तरह से देखें तो 4 दिसंबर के बाद पता चल जाएगा कि कोई नेता कांग्रेस उध्यक्ष पद के लिए चुनाव में आता है या नहीं। राहुल के अलावा कोई उम्मीदवार हुआ तो चुनाव होगा और नतीजा 19 दिसंबर को घोषित किया जाएगा। अब 19 दिसंबर पर गौर करिए। इस तारीख से पता चल रहा है कि कांग्रेस को डर लग रहा है।

Advertisement

दरअसल 18 दिसंबर को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने वाले हैं। ऐसे में कांग्रेस नहीं चाहती है कि राहुल गांधी की ताजपोशी को इन नतीजों से जोड़कर देखा जाए। एक तरफ तो कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि राहुल को अध्यक्ष बनाने से गुजरात चुनाव में फायदा होगा, लेकिन वहीं दूसरी तरफ ये डर भी है कि अगर नतीजे उम्मीद के मुताबिक नहीं आए तो उसे राहुल की ताजपोशी से जोड़कर देखा जाएगा। इसलिए कांग्रेस ने चुनाव नतीजों के अगले दिन राहुल को अध्यक्ष बनाने का फैसला किया है। ऐसा होने पर राहुल पर हार का ठीकरा नहीं फूटेगा। वैसे कांग्रेस को इतनी मगजमारी करने की जरूरत नहीं है, पार्टी में कई ऐसे नेता हैं जो गांधी परिवार से वफादारी निभाने के लिए खुद को हार का जिम्मेदार बता देंगे।

Advertisement

अब कांग्रेस के सामने प्रश्न ये है कि वो कैसे अध्यक्ष पद के चुनाव को 19 दिसंबर तक खीचेगी। क्योंकि अगर 4 दिसंबर के बाद कांग्रेस का कोई नेता दावेदारी नहीं पेश करेगा तो चुनाव की जरूरत ही नहीं पडे़गी। ऐसे में राहुल सर्वसम्मति से अध्यक्ष बन जाएंगे। ऐसा होने पर गुजरात और हिमाचल चुनाव के नतीजों की पूरी जिम्मेदारी राहुल की होगी। अगर हार मिलती है तो उसका ठीकरा राहुल पर फोड़ा जाएगा। इस से बचने के लिए ये माना जा रहा है कि कांग्रेस किसी नेता को डमी कैंडिडेट के तौर पर राहुल के सामने उतार सकती है। ऐसा होने पर चुनाव का ड्रामा 19 दिसंबर तक जा सकता है। अब देखना है कि इनमें से कौन सी बात सही साबित होती है। गुजरात और हिमाचल के नतीजों का तो पता नहीं लेकिन कांग्रेस के अध्यक्ष पद के चुनाव और उसके नतीजे के बार में तो सबको पता ही है।