सपा का सारा ड्रामा मुलायम सिंह यादव ने रचा था, ये रहा सबसे बड़ा सबूत

यूपी चुनाव से ठीक पहले सपा में जो वर्चस्व की जंग हुई थी, उसकी स्क्रिप्ट मुलायम सिंह यादव ने लिखी थी, उनके हालिया बयान से ये साफ हो रहा है।

New Delhi, Nov 23: राजनीति में इस तरह के उदाहरण न जाने कितनी बार देखे गए हैं, अपनी मेहनत से राजनीतिक विरासत खड़ी करने वाले मुलायम सिंह यादव अपने ही बेटे से हार गए हैं। पिता पुत्र के बीच में इस तरह की घटनाएं भारतीय राजनीति में कम ही देखने को मिलती हैं। मुलायम की विरासत पर अखिलेश ने कब्जा कर लिया था। अपने ही पिता से उनकी4 बनाई पार्टी छीन ली थी। इसके बाद भी मुलायम अखिलेश पर नर्म हैं। कहते हं कि घुटने पेट की तरफ ही मुड़ते हैं। मुलायम भी अखिलेश से कितने ही नाराज सही, लेकिन वो उनके बेटे हैं, यही बात मुलायम ने अपने जन्मदिन के मौके पर दोहराई। इस से ये संकेत मिल रहा है कि शिवपाल के हाथ में पार्टी जाने से रोकने के लिए यादव कुनबे में लड़ाई का ड्रामा रचा गया था।

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यूपी चुनाव से ठीक पहले जिस तरह से समाजवादी पार्टी पर कब्जे को लेकर लड़ाई शुरू हुई थी, उसने पार्टी की हार की पटकथा लिख दी थी, लेकिन इश जंग में एक फायदा ये हुआ कि समाजवादी पार्टी पर मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश का कब्जा हो गया, शिवपाल खेमा लगातार किनारे होता गया। अगर ये लड़ाई नहीं होती तो शिवपाल यादव जो संगठन के मजबूत नेता माने जाते हैं वो उत्तराधिकार के दावेदार थे। अब मुलायम सिंह अपने सारे अपमान भूल कर अखिलेश को आशीर्वाद दे रहे हैं। मुलायम ने कहा कि अखिलेश उनका बेटा है वो आशीर्वाद देते रहेंगे। अपने 79वें जन्मदिन के मौके पर मुलायम ने ये बातें कहीं। इसी के साथ मुलायम ने पार्टी कार्यकर्ताओं की जमकर क्लास ली।

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मुलायम ने कहा कि पांच साल सत्ता में रहने के बाद भी हमारी केवल 47 सीटें आती हैं, ये हम सब के लिए शर्म की बात है। इसी के बाद उन्होंने अखिलेश को लेकर कहा कि वो उनके बेटे हैं, बेटे को आशीर्वाद देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि अखिलेश मेरे लिए बेटा पहले है नेता बाद में है। इतने ड्रामे के बाद अब अंततः मुलायम सिंह अपने बेटे के सामने नर्म हो रहे हैं। हालांकि जनता के सामने पूरा ड्रामा ना खुल जाए और शिवपाल यादव नाराज ना हो जाएं इसलिए मुलायम ने ये भी कहा कि अखिलेश से उनका झगड़ा आज भी है। अखिलेश कुछ कहते थे, मैं कुछ कहता था, हमारे बीच में झगड़ा आज भी है। इस लाइन के जरिए मुलायम ने शिवपाल को साधने की कोशिश की है।

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यूपी चुनाव में पार्टी की करारी हार का दर्द मुलायम सिंह यादव को अब भी तकलीफ देता है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाने के बाद भी हमें 105 सीटें मिली थी। इस घटना को मुलायम सिंह अक्सर बड़े गर्व के साथ बताते हैं।  मगर अब सियासत का अंदाज बदल गया है, उनके बेटे ने सपा की कमान संभाल ली है। ऐसे में मुलायम सिंह के पास अपने बेटे को आशीर्वाद देने के अलावा कोई रास्ता नहीं है। मुलायम को राजनीति का माहिर खिलाड़ी यूंही नहीं कहा जाता है। वो जानते हैं कि शिवपाल पार्टी अध्यक्ष पद के दावेदार थे। लेकिन इतने नाटक और ड्रामे के बाद रामगोपाल की मदद से अखिलेश ने पार्टी पर कब्जा कर लिया। इस से मुलायम पर ये आरोप नहीं आया कि उन्होंने अपने भाई को किनारे करके अपने बेटे को पार्टी सौंप दी।