गुजरात चुनाव: जीत उसी की, जिसके पक्ष में होंगे आदिवासी वोटर्स, दिलचस्प है आंकड़ा
गुजरात चुनाव को लेकर एक दिलचस्प आंकड़ा हम आप तक पहुंचा रहे हैं। इतना जरूर है है जिस पक्ष में आदिवासी वोटर्स होंगे, उसकी जीत पक्की है।
New Delhi, Nov 28: गुजरात चुनाव का मैदान सज चुका है। तमाम महारथी अपनी अपनी तरफ से पूरी जोर आजमाइश कर रहे हैं। बीजेपी के पास छठी जीत हासिल करने का मौका है तो कांग्रेस पिछले 22 साल के वनवास को खत्म करना चाहती है। गुजरात की रिजर्व सीटों पर इस बार राष्ट्रीय पार्टियों का ही दावा मजबूत दिख रहा है। आपको एक दिलतस्प आंकड़ा बता रहे हैं। गुजरात में इस वक्त 15 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। इसके लिए 26 सीटें रिजर्व हैं। खास बात ये है कि इन सीटों पर किसी भी पार्टी का एकतरफा दबाव नहीं है। इसके अलावा ओवरऑल 35 से 40 सीटों के आदिवासी वोटर्स पर भी नजर बनी रहेगी। खास बात ये है कि कभी ये वोटर कांग्रेस का बेस कहे जाते थे।
लेकिन बीते 27 सालो में ये वोट बैंक कहीं बिखर गया है। ये ही वो खास वजह रही है कि बीचे कुछ चुनावों से बीजेपी के लिए ये मजबूत गढ़ बनते जा रहे हैं। इतना जरूर है कि साल 2012 में कांग्रेस ने यहां अच्छा प्रदर्शन किया था। लेकिन इसके बाद 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी फिर मजबूती से उभरी। उस दौरान बीजेपी ने राज्य की तीनों आदिवासी सीटों पर कब्जा किया था। ये ही वो वजह है कि कांग्रेस एक बार फिर से इन सीटों के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है। आदिवासी नेता छोटू बसावा की पार्टी से गठजोड़ किया गया है। इससे अंलेश्वर, झगड़िया, डेडियापाड़ा और मांगरोल पर कांग्रेस कब्जे की कोशिश में है।
इसके अलावा कांग्रेस ने ओबीसी और एससी वोटर्स को अपने साथ जोड़ने के लिए दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर से दोस्ती गांठ ली है। इन आदिवासी सीटों की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। साल 1990 में इन 26 रिजर्व सीटों में सबसे ज्यादा सीटें जनता दल के पास थी। जनता दल ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। बीजेपी ने उस वक्त 6, कांग्रेस ने 7 और निर्दलीयों ने 2 सीटें जीती थीं। राम मंदिर आंदोलन के बाद 1995 में बीजेपी को यहां सबसे ज्यादा सीटें मिली थी। बीजेपी ने उस वक्त 14 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस वक्त कांग्रेस के खाते में 8 सीटें आई थी। 2012 में कांग्रेस ने वापसी की और इनमें से 15 सीटों पर कब्जा किया।
उधर बीजेपी के पास 10 सीटें आईं। एक आंकड़ा कहता है कि गुजरात में सबसे ज्यादा आदिवासी वोटर्स साउथ गुजरात में है। 26 रिजर्व सीटों में से 17 सीटें तो यहीं से आती हैं। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बीते एक साल से बीजेपी फुल फॉर्म में है। वलसाड, नवसारी, डांग और भरूच जैसे आदिवासी बहुल इलाकों में सरकार भी ठीक नहीं पहुंच पाई लेकिन आरएसएस ने यहां बड़ा काम किया है। संघ की मदद से सरकार डांग में सैनिक स्कूल खोल रही है। कुल मिलाकर कहें तो गुजरात चुनाव का ये एक दिलचस्प पहलू है। अब सवाल ये है कि इस बार कौन इन सीटों पर बाजी मारेगा ? जो यहां जीतेगा, उसका गुजात जीतना पक्का है।