गुजरात विधानसभा में बीजेपी को हराने के लिए अरुंधति रॉय ने लगाया अपना पैसा ?

समाजसेविका अरुंधति रॉय का भला गुजरात विधानसभा चुनाव में क्‍या इंट्रेस्‍ट हो सकता है। लेकिन, उन्‍होंने इस चुनाव में भी अपना पैसा लगाना शुरु कर दिया है।

New Delhi Dec 01 : कहने को तो समाज सेविका अरुंधति रॉय का गुजरात विधानसभा चुनाव से कोई लेना देना नहीं है। फिर भी उनका इंट्रेस्‍ट इस चुनाव में जाग उठा है। वो चुनाव कंपेन में अपना पैसा लगा रही हैं। वो भी किसी और के लिए। जाहिर ऐसे में कई सवाल उठने लाजिमी हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि क्‍या बीजेपी को हराने के लिए अरुंधति रॉय बीजेपी विरोधी लोगों की मदद कर रही हैं। दरसअल, गुजरात विधानसभा चुनावों में दलित नेता जिग्नेश मेवानी को सामाजिक कार्यकर्ता और बुकर पुरस्कार से सम्मानित लेखिका अरुंधति रॉय का समर्थन मिल गया है। अरुंधति ने जिग्‍नेश को चुनाव प्रचार के लिए तीन लाख रूपए की आर्थिक मदद की है। उन्‍हें पैसा डोनेट किया है। दरसअल, जिग्‍नेश मेवाणी गुजरात विधानसभा चुनाव में बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वो चुनाव में क्राउड फंडिंग में जुटे हुए हैं।

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जानकारी के मुताबिक गुजरात के इस दलित नेता ने अब तक क्राउड फंडिंग के नाम पर नौ लाख रूपए जुटा लिए हैं। खुद जिग्‍नेश मेवाणी ने ही मीडिया को इस बात की जानकारी दी है कि उसे अरुंधति रॉय से तीन लाख रूपए मिले हैं। अरुंधति रॉय के अलावा नारीवादी लेखक प्रोफेसर निवेदिता मेनन ने भी पचास हजार रुपए का चंदा दिया है। जिग्‍नेश मेवाणी का कहना है कि वो अब गुजरात में अपने चुनाव अभियान को और भी मजबूती से आगे बढ़ा सकते हैं। जिग्‍नेश मेवाणी गुजरात विधानसभा चुनाव में वडगाम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। जिग्‍नेश को कांग्रेस पार्टी का भी पूरा सपोर्ट हासिल है। दरसअल, पहले कांग्रेस पार्टी चाहती थी कि जिस तरह से अल्‍पेश ठाकोर ने कांग्रेस पार्टी ज्‍वाइन कर ली थी उसी तरह से जिग्‍नेश मेवाणी भी कांग्रेस का दामन थाम ले। लेकिन, जिग्‍नेश ने कांग्रेस पार्टी ज्‍वाइन करने की बजाए सिर्फ उसके समर्थन की बात की।

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हालांक‍ि जिग्‍नेश मेवाणी के इस फैसले को कांग्रेस पार्टी के लिए झटका माना जा रहा था। वहीं दूसरी ओर अब भी ये कहा जा रहा है कि बीजेपी के खिलाफ कई नेता और  दूसरे लोग एकजुट हो गए हैं। जो बीजेपी विरोधी नेताओं को समर्थन देने में जुटे हैं। अरुंधति रॉय के बारे में भी हर कोई जानता है कि उन्‍हें बीजेपी का विरोधी ही माना जाता है। ऐसे में सवाल उठने लाजिमी हैं कि क्‍या सिर्फ अरुंधति रॉय ने समाज सेविका होने के नाते ही जिग्‍नेश मेवाणी की मदद की है या फिर वजह कोई और है। जिग्‍नेश मेवाणी ने पिछले कुछ सालों में गुजरात में अपनी अच्‍छी पकड़ बनाई है। वो राज्‍य के भीतर दलित नेता के तौर पर उभरकर सामने आए हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव को यहां के तीनों युवा नेता पलट सकते हैं। जिसमें जिग्‍नेश मेवाणी के अलावा अल्‍पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल का भी नाम शामिल है।

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तीनों ही नेता इस वक्‍त कांग्रेस की ग्रिप में हैं। अल्‍पेश ठाकोर ओबीसी नेता हैं। जिन्‍होंने अाधिकारिक तौर पर कांग्रेस ज्‍वाइन कर ही ली है। लेकिन, जिग्‍नेश मेवाणी और हार्दिक पटेल ने कांग्रेस ज्‍वाइन तो नहीं की लेकिन, दोनों ही नेता बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस को खुला समर्थन जरूर दे रहे हैं। ऐसे में अरुंधति रॉय की इंट्री कई सवाल पैदा कर रही है। हालांक‍ि हर सवाल का जवाब 18 दिसंबर को मिल जाएगा। जब गुजरात विधानसभा और हिमाचल विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आएंगे। खुद जिग्‍नेश मेवाणी इस बात को मानते हैं कि वो काफी दिनों से अरुंधति रॉय के संपर्क में हैं। उन्‍होंने गुजरात इलेक्‍शन के लिए सोशल मीडिया पर खुलेतौर पर चंदे की मांग की है। इसके बाद ही अरुंधति रॉय ने उन्‍हें तीन लाख रुपए का डोनेशन दिया है। हो सकता है कि दलित नेता के तौर पर अरुंधति रॉय ने जिग्‍नेश मेवाणी को डोनेशन दी हो लेकिन, राजनैतिक गलियारों में इसको लेकर सवाल तो उठते ही रहेंगे।