गुजरात इलेक्‍शन से पहले आप में दरार, केजरीवाल और कुमार विश्‍वास फिर आमने-सामने

आम आदमी पार्टी में अंदरूनी घमासान जारी है। गुजरात इलेक्‍शन को लेकर कुमार विश्‍वास ने एक बार फिर अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है।

New Delhi Dec 01 : आम आदमी पार्टी में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। पार्टी के भीतर अंदरूनी घमासान जारी है। गुजरात इलेक्‍शन से पहले एक बार फिर पार्टी के नेता कुमार विश्‍वास ने पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्‍यू में कुमार विश्‍वास ने केजरीवाल के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। ये भडास गुजरात इलेक्‍शन को लेकर थी। दरसअल, अभी कुछ दिनों पहले ही दिल्‍ली के रामलीला मैदान में आम आदमी पार्टी की एक बड़ी बैठक हुई थी। पार्टी की इसी मीटिंग में अरविंद केजरीवाल ने गुजरात इलेक्‍शन में भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए लोगों से वोट देने की अपील की थी। इसी मसले पर जब एक न्‍यूज चैनल ने कुमार विश्‍वास से बात की तो उन्‍होंने केजरीवाल के खिलाफ जमकर अपनी भडास निकाली। कुमार ने साफ शब्‍दों में कहा इस तरह के राजनैतिक फैसले पीएसी में होते हैं। लेकिन, गुजरात इलेक्‍शन को लेकर ना तो पीएसी की कोई मीटिंग हुई और ना ही कोई फैसला लिया।

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यानी कुमार विश्‍वास का साफ-साफ कहना है कि ये केजरीवाल का निजी फैसला है ना की पीएसी का। कुमार विश्‍वास कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल अपने आप में एक निजी ईकाई हैं। उनका कहना है कि केजरीवाल के निजी विचारों से हम सहमत हो या असहमत हो ये हमारा अधिकार है। कुमार ने न्‍यूज चैनल से बातचीत में कहा कि रामलीला मैदान में अरविंद केजरीवाल ने जो कहा वो उनका निजी विचार ही था। कुमार विश्‍वास का ये भी कहना है कि हम लोग गुजरात इलेक्‍शन में ना तो बीजेपी को हराने आए हैं और ना ही कांग्रेस को जिताने। बीजेपी को हराने के लिए उसे वोट ना देने की अपील करने का मतलब साफ है कि कांग्रेस को वोट दे। कुमार विश्‍वास ये भी कहते हैं कि हम लोगों को गुजरात इलेक्‍शन भला कौन पूछ रहा है। कुमार विश्‍वास का कहना है कि अगर कोई मेरी राय ले तो मैं तो यही कहूंगा कि गुजरात के लोगों को उस उम्‍मीदवार को वोट देना चाहिए जिसे किसी भी राजनैतिक दल का कोई समर्थन हासिल नहीं है।

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एक तरह से देखा जाए तो कुमार विश्‍वास साफ-साफ शब्‍दों में ये कहना चाहते हैं कि गुजरात इलेक्‍शन में जहां जहां आम आदमी पार्टी के उम्‍मीदवार खड़े हैं केजरीवाल को उन्‍हें वोट देने की अपील करनी चाहिए थी। जहां आम आदमी पार्टी का कंडीडेट नहीं खड़ा है वहां उन्‍हें लोगों से नोटा का ऑप्‍शन चुनने की सलाह देनी चाहिए थी। आम आदमी पार्टी का कायदा तो यही कहता है कि केजरीवाल को किसी भी दूसरी पार्टी को हराने या फिर जिताने की अपील नहीं करनी चाहिए थी। लेकिन, केजरीवाल ने एक बार खुद को पार्टी की स्‍वतंत्र इकाई मानते हुए एेसा किया। जाहिर सी बात है इस बात को लेकर आम आदमी पार्टी में खेमेबंदी शुरु हो गर्इ्र है। पार्टी दो धड़ों में बंटी हुई नजर आ रही है। अगर अरविंद केजरीवाल को गुजरात इलेक्‍शन को लेकर कोई अपील करनी भी थी तो कम से कम उन्‍हें अपने साथियों के साथ राय मशविरा करना चाहिए था। लेकिन, उन्‍होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। बस आए और सीधे अपील कर दी। जिसका मैसेज पार्टी के भीतर गलत चला गया है।

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हालांकि कुुमार विश्‍वास भी यही कहते हैं कि मैं अरविंद केजरीवाल की निजता पर कोई सवाल नहीं उठा रहा हूं लेकिन, कम से कम उन्‍होंने जो भी कहा वो पार्टी का फैसला नहीं था। खुद कुमार विश्‍वास भी इस बात को मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल के इस बयान से उनकी पार्टी के कई कार्यकर्ता खुद को असहज महसूस कर रहे हैं। कुमार कहते हैं कि अगर उनकी जगह पर मैं होता तो यही कहता कि आप किसी भी निर्दलीय को वोट दे दीजिए। नोटा का बटन दबा दीजिए। लेकिन, कभी भी भारतीय जनता पार्टी या कांग्रेस को वोट मत दीजिए। कुमार को तकलीफ इस बात की है कि जब पार्टी बनी थी तब मंच बड़ा था। पांच लाख कुर्सी लगती थी। लेकिन, अब मंच छोटा हो गया है। पांच लाख से पार्टी पांच हजार कुर्सी पर सिमट गई है। आम आदमी पार्टी और केजरीवाल के लिए ये चिंता की बात है। जाहिर तौर पर अगर आम आदमी पार्टी के इस भीतर घमासान को केजरीवाल ने गंभीरता से नहीं लिया तो यकीनन आने वाले दिनों में उन्‍हें इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी।