यूपी की जनता ने फिर जताया मोदी-योगी पर भरोसा, अखिलेश-राहुल को सबक लेने की जरूरत
यूपी नगर निकाय चुनाव में प्रदेश की जनता ने एक बार फिर मोदी-योगी पर भरोसा जताया है। लेकिन, सपा और कांग्रेस की हालत सबसे ज्यादा खराब रही।
New Delhi Dec 01 : उत्तर प्रदेश के 16 नगर निगम, 198 नगर पालिका और 438 नगर पंचायतों के चुनाव की तस्वीर अब साफ हो चुकी है। ओवरआल चुनाव की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी ने पूरे प्रदेश में अपना परचम लहरा दिया है। प्रदेश की जनता ने एक बार फिर मोदी-योगी पर अपना भरोसा जताया हैं। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी अपनी पहली अग्निपरीक्षा में पास हो गए हैं। इन चुनावों में मायावती की बहुजन समाज पार्टी भी वापसी करती हुई नजर आई। लेकिन, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का सूपड़ा इन चुनावों में पूरी तरह साफ हो गया है। जो अखिलेश यादव और राहुल गांधी के लिए काफी चिंता की बात है। अखिलेश यादव को ये तय करना होगा कि आखिर उनकी पार्टी लगातार चुनाव क्यों हार रही है। क्या मुलायम सिंह यादव को साइड लाइन करने का फैसला अब अखिलेश यादव को भारी पड़ रहा है। या फिर कांग्रेस की साढ़ेसाती ही समाजवादी पार्टी के जनाधार को खा गई है।
दरसअल, इन चुनावी नतीजों से एक बात तो साफ है कि जनता के भीतर आज भी भारतीय जनता पार्टी को लेकर विश्वास बरकरार है। सोशल मीडिया पर बीजेपी को लेकर जो बातें फैलाई जा रही हैं वो पूरी तरह अफवाह साबित हुई है। दरसअल, विपक्ष पिछले कई महीनों से भारतीय जनता पार्टी खासतौर पर मोदी-योगी के खिलाफ एक माहौल तैयार करने में जुटा था। जनता के बीच ऐसा माहौल बनाने और दिखाने की कोशिश की जा रही थी कि बीजेपी जनविरोधी है। लेकिन, यूपी के नगर निगम चुनाव के नतीजों ने विपक्ष के फर्जीवाड़े की पोल खोलकर रख दी है। जनता ने साबित कर दिया है कि उन्हें आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ में भरोसा है। इन चुनावों में बहुजन समाजपार्टी ने थोड़ी बहुत वापसी जरूर की है लेकिन, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की हालत खराब है। ये चुनावी नतीजे सपा और कांग्रेस के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं हैं। दोनों ही दलों को तय करना होगा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
दरअसल, इसी साल यूपी में विधानसभा के चुनाव हुए थे। इन चुनाव में बीजेपी पूर्ण बहुमत से जीती थी। समाजवादी पार्टी 50 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाई थी। जबकि बीएसपी बीस और कांग्रेस पार्टी दस सीट भी हासिल नहीं कर सकी थी। मतलब साफ है कि मोदी-योगी के सामने हर कोई फीका नजर आ रहा था। आज भी चुनावी रंगत दूसरी पार्टियों पर नहीं चढ़ पाई। अखिलेश यादव को यहां पर ये सोचना होगा कि आखिर इस चुनाव में उनकी पार्टी की ऐसी दुगर्ति क्यों हुई। क्या राहुल गांधी के साथ जाने का फैसला आज भी उन्हें भारी पड़ रहा है या फिर मुलायम सिंह यादव को साइड लाइन करना अखिलेश को भारी पड़ रहा है। क्योंकि बीएसपी ने तो अपनी लाज बचा ली है। लेकिन, सपा और कांग्रेस का सूपड़ा साफ है। एक बात और भी है। विपक्ष चाहें कुछ भी कहे लेकिन, यूपी नगर निकाय चुनाव के नतीजों का असर गुजरात विधानसभा चुनाव में सौ फीसदी पड़ेगा। इन नतीजों का सीधा फायदा भारतीय जनता पार्टी को मिलेगा।
ऐसे में कांग्रेस पार्टी की चिंताएं बढ़नी तय है। दरअसल, कांग्रेस पार्टी को बहुत उम्मीद है कि वो गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी। लेकिन, यूपी नगर निकाय चुनाव के नतीजों ने कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की उम्मीदाें पर पानी फेर दिया है। अगर यूपी नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस कुछ नहीं कर पा रही है तो भला वो गुजरात में कैसे तीर मारने की उम्मीद लगाए बैठी है। अगर कांग्रेस पार्टी छोटे चुनाव में भी फेल हो रही है तो राहुल गांधी से कैसे बड़े चुनावों में पास होने की उम्मीद की जा सकती है वो भी गुजरात जैसे बीजेपी के गढ़ में। हालांकि ज्यादा दिनों की बात नहीं है जल्द ही हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे जनता के सामने होंगे। भारतीय जनता पार्टी और विपक्ष की हैसियत भी सबके सामने होगी। देखना होगा कि जिस तरह से यूपी में मोदी-योगी का जलवा बरकरार रहा है क्या उसी तरह से गुजरात और हिमाचल में भी मोदी का जलवा रहेगा। या फिर यूपी नगर निगम के चुनावों के नतीजों को धता बताकर राहुल गांधी कुछ कमाल कर पाएंगे।