नीतीश कुमार के DNA में हमेशा रहा NDA, ‘दगाबाज’ लालू यादव की खोल दी पोल

बेशक बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव का गठबंधन टूट चुका हो लेकिन, दोनों ही नेताओं के बीच जुबानी जंग जारी है। जानिए कैसे खुली दगाबाज की पोल।

New Delhi Dec 02 : बिहार का असली दगाबाज कौन है इसका फैसला आप करेंगे तो बेहतर होगा। लेकिन, बिहार के मुख्‍यमंत्री नी‍तीश कुमार की नजरों में लालू यादव दगाबाज हैं। वहीं दूसरी ओर लालू यादव और उनके परिवार की नजरों में नीतीश कुमार धोखेबाज हैं। बिहार की राजनीति में आरोप-प्रत्‍यारोप का दौर जारी है। इस बीच एक बार फिर बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने लालू यादव की पोल खोलकर रख दी है। नीतीश का कहना है कि लालू यादव और उनके परिवार ने उन्‍हें एक ऐसे मोड़ पर लाकर छोड़ दिया था जहां उनके पास गठबंधन को तोड़ने के अलावा कोई दूसरा विकल्‍प ही नहीं बचा था। लालू यादव और उनके परिवार ने महागठबंधन तोड़ने पर मजबूर कर दिया था। हालांकि नीतीश ये भी कहते हैं कि जिस वक्‍त बिहार में महागठबंधन की नींव रखी गई थी उसी दिन एहसास हो गया था कि ये बहुत दिन नहीं चल पाएगा।

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नीतीश कुमार का कहना है कि जिस वक्‍त लालू यादव और उनके परिवार पर भ्रष्‍टाचार के आरोप लगे थे उस वक्‍त उन्‍हें सामने आकर सफाई देनी चाहिए थी। लेकिन, उनकी और उनके परिवार की ओर से ऐसा कुछ भी नहीं किया गया। बल्कि इसके उलट मुझे इस बात के लिए मजबूर किया गया कि मैं महागठबंधन तो तोड़ लूं। लालू से संबंध खत्‍म कर लूं। नीतीश कुमार ने इस दौरान लालू यादव के बेटे तेजेस्‍वी यादव का भी जिक्र किया। नीतीश की नजरों में उस वक्‍त के उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव का बर्ताव उनके प्रति बहुत ठीक नहीं था। वो हमेशा नीतीश के फैसलों की मुखालफत किया करते थे। जाहिर सी बात है कि अगर उस वक्‍त आरजेडी का कोई बड़ा नेता या नीतीश कुमार की कैबिनेट का कोई मंत्री उनकी हर बात को बार-बार काटता तो उसे कैसे बर्दास्‍त किया जा सकता था। ऐसे में नीतीश के लिए भी काम करना मुश्किल हो रहा था।

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नीतीश कुमार मानते हैं कि उप मुख्‍यमंत्री होने के दौरान तेजस्‍वी यादव का बर्ताव बहुत सही नहीं था। यहां ये भी बात गौर करने वाली है कि तेजस्‍वी अगर ऐसा कुछ कर रहे थे तो इसका मतलब साफ है कि उन्‍हें अपने पिता यानी लालू यादव की सरपरस्‍ती हासिल थी। वो कैबिनेट की मीटिंग में जो भी करते थे पिता के इशारे पर ही करते थे। शायद यही वजह है कि नीतीश कुमार को पहले दिन ही इस बात का आभास हो गया था कि महागठबंधन ज्‍यादा दिनों तक नहीं चल पाएगा। नीतीश कुमार तो ये भी कहते हैं कि उनके डीएनए में हमेशा से ही एनडीए रहा। ऐसे में एनडीए में उनकी वापसी बेहद ही नैचुरल थी। बिहार की जनता के लिए भी ये फैसला बेहद जरूरी था। अगर दूसरे शब्‍दों में समझे या कहें तो नीतीश कुमार ये मानते हैं कि वो चंद दिनों के लिए गलत संगत के शिकार हो गए थे। जिससे वो जल्‍द ही बाहर आ गए।

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नीतीश कुमार ये भी मानते हैं कि ज्‍यादातर लोग सिर्फ धर्मनिरपेक्षता की बातें ही करते हैं, काम कोई भी नहीं करता है। यहां नीतीश ने भागलपुर दंगों का भी जिक्र किया और बताया कि जिस वक्‍त बिहार के भागलपुर में सांप्रदायिक दंगे हुए थे उस वक्‍त केंद्र में कांग्रेस की सरकार हुआ करती थी। जिससे दंगे के दोषियों को बचाने का काम किया। यानी कांग्रेस जैसी पार्टियां वक्‍त और अपनी सहूलियत के हिसाब से धर्मनिरपेक्षता का राग छेड़ती हैं। नीतीश ने लालू के बेटे तेज प्रताप यादव के विवादास्‍पद बयान पर भी कटाक्ष किया। उन्‍होंने किसी का नाम तो नहीं लिया लेकिन, इशारों ही इशारों में लालू यादव और उनके खानदान की परवरिश की धज्जियां उड़ा कर रख दी। अपने ट्वीट में उन्‍होंने लिखा कि बाल-बच्चों और परिजनों से गाली दिलवाना, सामाजिक सद्भावना और साझी विरासत का उत्कृष्ट उदाहरण। नीतीश के इस बयान में लालू यादव के अलावा शरद यादव भी लपिटते हुए नजर आए।