राहुल गांधी का ‘चुनावी’ धर्म प्रेम काम ना आएगा, मठ और महंत पीएम मोदी के साथ

राहुल गांधी मंदिरों का चक्कर लगा रहे हैं तो वहीं गुजरात के धर्मगुरू और महंत पीएम मोदी के साथ दिखाई दे रहे हैं। अब कांग्रेस क्या करने वाली है।

New Delhi, Dec 02: कुछ काम आता नहीं दिख रहा है, सारी कोशिशें कुछ गलतियों के साए में धुंधली होती जा रही हैं। किसी साहित्यिक रचना की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि सियासी व्यूहरचना की बात कर रहे हैं। गुजरात के रण में कांग्रेस ने घेरेबंदी तो काफी की, एक के बाद एक कई व्यूह रचे, परंतु वो व्यूह अपने आप में इतने कमजोर थे कि वो खुद ही टूटते चले गए। एंटी हिंदू छवि को तोड़ने के लिए कांग्रेस ने इस बार गुजरात में सॉफ्ट हिंदुत्व का कार्ड चला। राहुल गांधी गुजरात के मंदिर मंदिर जा रहे हैं। जीत के लिए भगवान की शरण में पहुंच गए, लेकिन जनता यही सोच रही है कि राहुल ये सब केवल चुनावी फायदे के लिए कर रहे हैं। उनका मंदिरों में मत्था टेकना भी कांग्रेस के काम नहीं आता दिख रहा है। उस तरफ पीएम मोदी की पकड़ काफी मजबूत है।

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इसका कारण ये है कि गुजरात के आध्यात्मिक नेता और धर्मगुरू पीएम मोदी के पक्ष में समर्थन देते दिखाई दे रहे हैं। ये संकेत कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। गुजरात के आध्यात्मिक गुरू रमेश ओझा ने हाल ही में एक बयान दिया है। उन्होंने कहा था कि जीएसटी से कुछ दिनों की समस्या है। मोदी देश की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं। रमेश ओझा ने अपने समर्थकों से कहा कि जब भी कोई ट्रेन ट्रैक चेंज करती है तो वो धीमी हो जाती है। ऐसे में हम सभी को कहना चाहिए कि कोई बात नहीं वो शख्स हम सभी के लिए ही काम कर रहा है। बता दें कि रमेश ओझा के अनुयायियों की संख्या बहुत ज्यादा है। मुकेश अंबानी तक उनके भक्त हैं।

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रमेश ओझा के अलावा मोरारी बापू का भी गुजरात की जनता पर काफी प्रभाव है। वैसे भी गुजरात के मठों और मंदिरों के साथ नरेंद्र मोदी का गहरा संबंध है। वो काफी समय से राज्य के मंदिरों और मठों में जा रहे हैं। मोरारी बापू की बात करते हैं। उन्होंने भी अपने अनुयायियों से कहा है कि चुनाव के दौरान आप सभी को अपनी पसंद को लेकर काफी सतर्क रहने की जरूरत है। मोरारी बापू ने कहा कि ये हमेशा देखने को नहीं मिलता है जब कोई नेता राज काज के दौरान धर्म का भी ख्याल रखे। साफ तौर पर उनका इशारा नरेंद्र मोदी की तरफ ही था। रमेश ओझा और मोरारी बापू के ये संकेत उनके चाहने वालों के लिए काफी हैं. इसी से तय हो जा रहा है कि राहुल गांधी का गुजरात के मंदिरों में जाना कांग्रेस के काम नहीं आने वाला है।

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दरअसल कांग्रेस ने हिदुत्व को अपनाने में काफी देर कर दी है, वो भी अभी सॉफ्ट हिंदुत्व पर काम कर रही है। ऐसे में कांग्रेस बीजेपी को उसी के मैदान में हराने के लिए उसी के हथियार का इस्तेमाल कर रही है। जनता का समर्थन कैसे मिलेगा ये दूर की बात है, बड़ा मुद्दा ये है कि जिन आध्यात्मिक लोगों का गुजरात की जनता पर प्रभाव है, जिनके एक इशारे से गुजरात की जनता नशा, तंबाकू छोड़ सकती है, जिनकी जिंदगी में इन गुरुओं का गहरा प्रभाव है, वो पीएम मोदी के साथ दिखाई दे रहे हैं। कुल मिलाकर अब ये साफ होता जा रहा है कि राहुल गांधी का चुनाव के समय में मंदिर और धर्म प्रेम दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं है। कांग्रेस को ये समझना होगा कि वो मोदी को उनके ही खेल में मात नहीं दे सकती है। कांग्रेस कुछ दूसरी रणनीति के सहारे चुनाव मैदान में आती तो हो सकता है कि उसे बेहतर नतीजे मिल सकते थे।