तीन तलाक पर मोदी का एक और वार, ट्रिपल तलाक मतलब तीन साल की जेल

ट्रिपल तलाक के खिलाफ केंद्र की मोदी सरकार ने मसौदा तैयार कर लिया है। केंद्र के मसौदे के मुताबिक तीन तलाक पर तीन साल तक की सजा हो सकती है।

New Delhi Dec 02 : देश की मुस्लिम महिलाओं को हमेशा इस बात का डर सताता रहता है कि पता नहीं कब उनके शौहर उन्‍हें ट्रिपल तलाक दे दें। तीन तलाक कह कर उनसे रिश्‍ता ना खत्‍म कर लें। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ट्रिपल तलाक को असंवैधानिक बता चुकी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ये भी निर्देश दिया था कि वो इसके खिलाफ कानून बनाए। देश में अब तक किसी भी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ बोलने की हिम्‍मत नहीं जुटाई थी। लेकिन, जब से केंद्र में मोदी की सरकार आई है इस कुरीति को जड़ से खत्‍म करने की कोशिश की जा रही है। मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ बहुत ही मजबूती के साथ अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट के भीतर रखा था। अब सरकार ने इसके खिलाफ मसौदा तैयार करना शुरु कर दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार की ओर से ट्रिपल तलाक के खिलाफ मसौदा तैयार कर लिया गया है।

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केंद्र सरकार के इस मसौदे के तहत ट्रिपल तलाक को पूरी तरह असंवैधानिक माना गया है। केंद्र सरकार के बिल के मुताबिक ट्रिपल तलाक देना अवैध और मान्‍य होगा। जो भी शौहर अपनी पत्‍नी को तीन तलाक देता है और दोषी पाए जाने पर उसे तीन साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यानी दोषी शौहर को तीन तलाक कहने पर तीन साल की सजा और जुर्माना दोनों ही भुगतना होगा। हालांकि इस केस में जुर्माने की रकम कितनी होगी ये अभी तय नहीं किया गया है। केंद्र सरकार के मसौदे के मुताबिक मजिस्‍ट्रेट खुद ये तय करेंगे कि दोषी शौहर पर कितना जुर्माना लगाया जाए। बताया जा रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार ने इस बिल का नाम भी तय कर लिया है। सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बिल का नाम मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्‍टशन आफ राइट्स ऑन मैरिज बिल होगा।

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बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर ये ट्रिपल तलाक के इस मसौदे को राज्‍य सरकारों के पास भेज दिया गया है। ताकि इस पर आम सहमति बन सके। केंद्र सरकार की ओर से राज्‍य सरकारों को कहा गया है कि वो तत्‍काल प्रभाव में इस मसौदे का जवाब दें। जैसे ही राज्‍य सरकारों की राय इस बिल पर सरकार को मिल जाती है ट्रिपल तलाक के खिलाफ इस मसौदे को कानून मत्रालय के पास भेज दिया जाएगा। कानून मंत्रालय की मंजूरी के बाद इस बिल को कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक 15 दिसंबर से शुरु होने वाले शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक के खिलाफ इस मसौदे को संसद में पेश कर सकती है। ताकि मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्‍टशन आफ राइट्स ऑन मैरिज बिल को पास कराया जा सके। संसद में इस बिल के पेश होने के बाद इसके पास होने पर फिलहाल कोई भी कानूनी अड़चन नजर नहीं आ रही है।

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हालांकि इस बिल की सबसे खास बात ये है कि मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्‍टशन आफ राइट्स ऑन मैरिज बिल जम्‍मू-कश्‍मीर को छोड़कर पूरे देश में लागू होगा। जिसमें ट्रिपल तलाक को गैर जमानती और संज्ञेय अपराध माना जाएगा। सू्त्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बिल को मंत्रियों के समूह ने तैयार किया है। इस मसौदे को गृहमंत्री राजनाथ की अध्‍यक्षता वाले अंतर मंत्रालीय समूह ने तैयार किया। इस ग्रुप में आफ मिनिस्‍टर्स में विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज, वित्‍त मंत्री अरुण जेटली, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, केंद्रीय राज्‍य मंत्री पीपी चौधरी भी शामिल थे। बताया जा रहा है कि मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्‍टशन आफ राइट्स ऑन मैरिज बिल में मुस्लिम महिलाओं पर ये अधिकार होगा कि वो अपने और अपने बच्‍चों के भरण-पोषण के लिए मजिस्‍ट्रेट के पास जा सकेगी। जाहिर है ये कानून देश के लिए मील का पत्‍थर साबित होगा।