कांग्रेस बेनकाब, राहुल गांधी का अध्यक्ष बनना फिक्स, सामने आया सबूत

राहुल गांधी का कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुनाव पूरी तरह से फिक्स है, केवल जनता को दिखाने के लिए चुनाव का नाटक किया जा रहा है। इसके सबूत सामने आए हैं।

New Delhi, Dec 02: सिर मुंडाते ही ओले पड़ना, ये कहावत फिलहाल कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के लिए सटीक मालूम हो रही है। अध्यक्ष बनने से पहले ही इतना रायता फैल गया है कि खुद राहुल सोच रहे होंगे कि खामखा में ही अध्यक्ष पद के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुरूआत हुई, नहीं सोच कर देखिए अगर राहुल गांधी उपाध्यक्ष ही रहते तो क्या फर्क पड़ना था, पार्टी तो वो पहले से ही चला रहे हैं। मां सोनिया गांधी खराब सेहत के कारण सक्रिय राजनीति से दूर हैं। ऐसे में अध्यक्ष पद के चुनाव का ड्रामा करने की क्या जरूरत है, वो भी गुजरात चुनाव से पहले, जब सभी की नजरें राहुल पर लगी हुई हैं। अब ऐसे में शहजाद पूनावाला ने जो सबूत पेश किए हैं उनकी रोशनी में तो ये साफ हो रहा है कि अध्यक्ष पद का चुनाव पहले से फिक्स है।

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दरअसल शहजाद पूनावाला ने अब सबूत पेश करने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी के साथ कथित तौर प रबातचीत का एक टेप रलीज किया है। इस में शहजाद और मनीष की बातें सुनाई दे रही हैं। हालांकि इन टेप्स की प्रमाणिकता की हम पुष्टि नहीं करते हैं। इन टेप्स के सामने आने के बाद कांग्रेस को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस कहती रही है कि पार्टी के अध्यक्ष पद का चुनाव पारदर्शी प्रक्रिया के जरिए किया जाता है। वहीं टेप में शहजाद और मनीष तिवारी की बातचीत से पता चलता है कि कांग्रेस एक सियासी पार्टी नहीं बल्कि एक परिवार की संपत्ति है। इसी टेप में राहुल के अध्यक्ष बने की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

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टेप में शहजाद पूनावाला मनीष से कहते हैं कि किसी प्रतिनिधि के चुनाव के लिए एक भी सीक्रेट बैलेट नहीं देखा, इनको प्रदेश अध्यक्ष के जरिए चुना जाता है और प्रदेश अध्यक्ष को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनता है। इस पर मनीष कहते हैं कि आपने ये सब कैसे सोच लिया पार्टी में पदाधिकारियों की नियुक्ति एकतरफा होती है। फिर शहजाद कहते हैं ये सब बहुत दिनों तक नहीं चल सकता है। मुझे कोई पद नहीं चाहिए ना ही पार्टी से टिकट मिलेगा। एक परिवार कैसे राज कर सकता है। या फिर अपनी काबिलियत को दरकिनार करके हमें एक परिवार की विरासत को ढोना होगा। शहजाद की इस बात पर मनीष कहते हैं कि आदर्शवादी बातों में मत पड़ो। सच्चाई ये है कि कांग्रेस एक संपत्ति है। ये कोई राजनीतिक दल नहीं हैं और देश में कोई भी पार्टी राजनीतिक दल नहीं हैं। ये सभी संपत्तियां हैं। अगर तुम पहली पंक्ति में आना चाहते हो तो इन सब बातों को पीछे छोड़ना होगा।

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अब इन बातों की रोशनी में राहुल गांधी के इलेक्शन को क्या कहा जाए, शहजाद पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि ये इलेक्शन नहीं बल्कि सेलेक्शन है। वहीं कांग्रेस के ज्यादातर नेता शहजाद की बातों से सहमत दिखाई दे रहे हैं। भले ही कांग्रेस ने शहजाद से दूरी बना ली है लेकिन उनकी बातों का समर्थन करने वाले भी आगे आ रहे हैं। कांग्रेस से जुड़े रहे आचार्य प्रमोद कृष्णन पहले ही कह चुके हैं कि पार्टी के सभी आंतरिक चुनाव फर्जी होते है। अगर इसी तरहह से चलता रहा तो कांग्रेस एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन जाएगी। फिलहाल शहजाद ने राहुल के अध्यक्ष पद पर चुनाव को लेकर जो सवाल खड़े किए हैं उस से पार्टी की किरकिरी हो रही है। अब कांग्रेस को ये साबित करना है कि शहजाद के आरोप गलत है।