कितनी गलतियां करेंगे कांग्रेस के युवराज, अखिलेश यादव से याराना भारी गलती

राहुल गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करके गलती की थी, निकाय चुनाव के नतीजों से ये साफ हो रहा है।

New Delhi, Dec 03: कांग्रेस के उपाध्यक्ष, होने वाले अध्यक्ष, युवराज ना जाने कितने संबोधन राहुल गांधी के लिए प्रयोग किए जाते हैं। परिवारवाद की राजनीति के प्रतीक राहुल अब कांग्रेस की जिम्मेदारी संभालने वाले हैं। उस से पहले उनकी सियासत और सियासी फैसलों के बारे में चर्चा कर ली जाए। दो चुनावों के जरिए राहुल के सियासी चातुर्य का पता चल जाएगा, यूपी चुनाव और गुजरात विधानसभा चुनाव। ये हम पहले भी कह चुके हैं कि कांग्रेस के लिए गुजरात चुनाव भी यूपी चुनाव की राह पर जाते दिखाई दे रहे हैं। उसके कई कारण भी हैं। यूपी में भी कांग्रेस ने काफी पहले प्रचार शुरू कर दिया था। अंत में अखिलेश यादव के साथ गठबंधन कर लिया था। जिसकी चर्चा हम करने वाले हैं।

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हाल ही में यूपी निकाय चुनाव हुए थे, इनके नतीजे कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए निराशाजनक रहे हैं। इसी के बाद से सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या राहुल गांधी ने अखिलेश यादव के साथ गठबंधन करके गलती की थी, बीजेपी की धमाकेदार जीत के बाद भले ही अखिलेश ईवीएम पर सवाल उठा रहे हों लेकिन वो खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली कहावत को चरितार्थ कर रहे हैं। ये अलग बात है कि निकाय चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में गिरावट आई है, और कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा है।  कांग्रेस अपने दम पर लड़ी थी, निकाय चुनाव में सपा के साथ गठबंधन नहीं था, इसका फायदा ये हुआ कि कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ गया। यही एक कारण है जिस से ये सवाल खड़ा हो रहा है कि अगर कांग्रेस अपने दम पर यूपी विधानसभा चुनाव लड़ती को क्या वो ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करती।

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यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा साथ लड़े थे। राहुल और अखिलेश यादव की जोड़ी को कुल 28 फीसदी वोट मिले थे, इसमें कांग्रेस का हिस्सा केवल 6.2 फीसदी था। वहीं निकाय चुनाव में कांग्रेस का ग्राफ थोड़ा ऊपर गया है, निकाय चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़कर 10 फीसदी हो गया है। अब ये समझने की बात है कि कांग्रेस को अखिलेश के साथ गठबंधन करने से फायदा हुआ या नुकसान हुआ. इसका सीधा नतीजा ये है कि कांग्रेस और सपा के गठबंधन से सपा को ज्यादा फायदा हुआ, उसका वोट प्रतिशत और नीचे जा सकता था लेकिन वो नहीं गया। राहुल और अखिलेश का साथ यूपी की जनता को जितना भी पसंद आया उस में अखिलेस का हिस्सा ज्यादा रहा। कांग्रेस को अब समझ में आ गया होगा कि सपा के साथ गठबंधन करना राहुल गांधी की गलती थी।

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इसी तरह की गलती गुजरात में भी राहुल गांधी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। वो युवा नेताओं हार्दिक पटेल, जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर के सहारे चुनावी किला फतह करना चाहते हैं। हार्दिक पटेल का पाटीदारों पर असर कम होता जा रहा है। जिग्नेश मेवाणी और अल्पेश ठाकोर अलग अलग विचारधारा के हैं। दोनों भले ही फौरी तौर पर कांग्रेस के साथ हैं, लेकिन बाद में इन दोनों के कारण कांग्रेस को भारी परेशानी उठानी पड़ेगी। ऐसे में सवाल ये भी है कि कांग्रेस के होने वाले अध्यक्ष राहुल गांधी कितनी गलतियां करेंगे, उनकी गलतियों की सजा कांग्रेस को भुगतनी पड़ रही है। यूपी में अपने दम पर लड़े होते तो कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती, यही हाल गुजरात में भी दिखाई दे रहा है।