शरद यादव ना घर के रहे ना घाट के, अब सुप्रीम कोर्ट से लगाएंगे गुहार

शरद यादव और अली अनवर तो ना घर के रहे घाट के, उपराष्ट्रपति ने उनकी राज्यसभा की सदस्यता को रद्द कर दिया है। अनवर इसके खिलाफ SC जाएंगे।

New Delhi, Dec 05: ये कहानी बिहार से शुरू हुई थी, नीतीश कुमार ने महागठबंधन तोड़ कर बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया था। लालू यादव हैरान परेशान थे, उनसे ज्यादा परेशान शरद यादव थे, शरद बाबू को झटका लगा था महागठबंधन टूटने का, उन्होंने नीतीश के खिलाफ बगावती कदम उठा लिए, कहा कि महागठबंधन अटूट है, खुद को असली जेडीयू तक करार दे दिया था शरद बाबू ने. लेकिन नीतीश कुमार के खेल के आगे उनकी एक ना चली, पहले चुनाव आयोग से झटका लगा और उसके बाद राज्यसभा की सदस्यता से भी हाथ धोना पड़ा। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने शरद और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता को रद्द कर दिया है। इसकी अपील जेडीयू ने की थी। अब आलम ये है कि शरद और अली अनवर ना घर के रहे ना ही घाट के।

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पहले पार्टी हाथ से गई और अब माननीय होने का गौरव भी चला गया. आम नेता बन कर रह गए दोनों, लेकिन इस से उनके हौसले पस्त नहीं हुए हैं। अली अनवर ने खास तौर पर शेर के जरिए अपनी जंग जारी रखने की बात की है। अनवर ने कहा कि वो इस फैसले से डरने वाले नहीं हैं. वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। अनवर इस फैसले को गलत बताते हुए कह रहे हैं संसदीय इतिहास में ये पहली बार है जब उपराष्ट्रपति ने इस तरह का फैसला लिया है। इस से पहले जो फैसले हुए हैं वो प्रोविजिनल कमेटी, एथिक्स कमेटी के जरिए लिए गए हैं। अपनी इस जंग को अनवर संविधान और सिद्धांत बचाने की लड़ाई करार दे रहे हैं। उन्होंने शेर के जरिए अपने इरादे जाहिर किए।

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अली अनवर ने कहा कि न मैं गिरा, न मेरे हौसले की मिनार गिरे. पर मुझे गिराने में कुछ लोग कई बार गिरे। अब शेर कहें या शायरी की महफिल में जाएं, मुद्दा तो ये है कि नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत करके अली अनवर और शरद यादव कहीं के नहीं रहे, बीजेपी के साथ नीतीश के हाथ मिलाने पर अनवर ने कहा कि जिस दिन ये हुआ उस रात को वो सो नहीं पाए, अब कह रहे हैं कि जैसे ही राज्यसभा सदस्यता रद्द हने की बात पता चली तो चैन की नींद आई। ये गजब बातें कर रहे हैं अनवर, कौन सी बेचैनी है जो इस तरह से शांत हो रही है। अनवर ने कहा कि वो शरद यादव स मुलाकात करेंगे और उसके बाद आगे की रणनीति पर विचार करेंगे। सुप्रीम कोर्ट का विकल्प खुला हुआ है।

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सवाल ये है कि क्या सुप्रीम कोर्ट में जाने से उनकी सदस्यता बहाल हो जाएगी। जेडीयू के सांसद थे ये दोनों, लेकिन कुछ दिन पहले जेडीयू के एक प्रतिनिधिमंडल ने उपराष्ट्रपति से इन दोनों की सदस्यता को रद्द करने की मांग की थी। जेडीयू की तरफ से कहा गया था कि दोनों पार्टी विरोधी काम कर रहे हैं इसलिए इनकी सदस्यता को रद्द कर दिया जाना चाहिए। इसी पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने दोनों की सदस्यता को रद्द कर दिया। अली अनवर का कहना है कि वो सभापति के सामने अपनी बात ढंग से नहीं रख पाए थे। चुनावी व्यस्तताओं के कारण आनन फानन में अपनी बात कही थी। फिलहाल नीतीश से बगावत करने के बाद अली अनवर और शरद बाबू लगातार झटके खा रहे हैं, गुजरात में वो जेडीयू के सिंबल का प्रयोग नहीं कर सकते हैं। वहीं पार्टी पर अब पूरी तरह से नीतीश का कब्जा हो गया है।