भारतीय सेना के लिए रक्षा मंत्रालय का बड़ा ऐलान, रंग लाई रक्षकों के हक की मुहिम

भारतीय सेना के लिए रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा ऐलान किया है। बताया जा रहा है कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने सेना के जवानों का मॉनिटरी अलाउंस दोगुना कर दिया है।

New Delhi, Dec 07: भारतीय सेना के जवान कड़ी सर्दी में और तपती दोपहर में देश की रक्षा के लिए तैनात रहते हैं। जवानों के अदम्य साहस और शौर्य के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जाता है। अब अच्छी खबर ये है कि रक्षा मंत्रालय ने वीरता पुरस्कार विजेताओं के लिए मॉनिटरी अलाउंस दोगुना कर दिया है। बताया जा रहा है कि ये नया नियम 1 अगस्त से प्रभावी होगा। 4 दिसंबर को एक पत्र जारी किया गया। इस पत्र के मुताबिक परमवीर चक्र विजेता को हर महीने 20,000 रुपये दिए जाएंगे। अब तक ये राशि 10,000 रुपये तक थी। आपको बता दें कि परमवीर चक्र युद्धकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है।

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इसके अलावा अशोक चक्र से सम्मानित होने वाले को हर माह 12,000 रुपये का भुगतान सरकार की तरफ से किया जाएगा। अब तक अशोक चक्र विजेता को महीने में 6,000 रुपये दिए जाते थे। अशोक चक्र शांतिकाल का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार है। इसके अलावा महावीर चक्र विजेता को 10,000 हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। कीर्ति चक्र विजेता के लिए 9 हजार रुपये प्रतिमाह का ऐलान किया गया है। इसके अलावा शौर्य चक्र पुरस्कार के लिए 6,000 रुपये, वीर चक्र के लिए 7,000 रुपये प्रति माह तय किए गए हैं। साथ ही नौसेना मेडल, सेना मेडल और वायु सेना मेडल के लिए 2,000 रुपये प्रति माह मिलेगा।

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इस बात का भी ध्यान रखें कि अगर पुरस्कार विजेता का निधन हो चुका है तो विजेता की पत्नी को ये पुरस्कार दिया जाएगा। अगर पुरस्कार विजेता की शादी नहीं हुई है तो ये पुरस्कार पिता और मां को मिलेगा। इससे पहले इन सम्मानों के लिए पिछली बढ़ोत्तरी 2012 में हुई थी। बताया जा रहा है कि ये पहल आर्मी चीफ बिपिन रावत ने शुरु की थी। उनका कहना था कि इस ईनाम की रकम में बढ़ोतरी होनी चाहिए, जिससे भारतीय सेना के जवानों की हौसला अफजाई हो सके। देश के तमाम वीर सैनिकों के लिए ये एक अच्छी खबर साबित हो सकती है। इससे पहले सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने साफ कहा था कि सेना कि राजनीतिकरण की कोशिश हो रही है।

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हालांकि उन्होंने किसी खास घटना या सरकार का नाम लिए बिना कहा कि सेना को किसी भी हालत में राजनीति से दूर रखना होगा। दिल्ली में यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूट के कार्यक्रम में जनरल रावत ने ये बात कही थी। उन्होंने कहा था कि सेना धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के साथ काम करती है। उन्होंने कहा कि एक वक्त था जब सेना के भीतर आम बातचीत में महिला और राजनीति की कोई जगह नहीं थी। लेकिन बीते कुछ दिनों से ये दोनों विषय अपनी जगह ले रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि इससे बचना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सेना का राजनीतिकरण देश के लोकतांत्रिक ताने बाने के लिए किसी भी लिहाज से उचित नहीं है।