नरेंद्र मोदी का मास्टरस्ट्रोक, राहुल गांधी के ‘ड्रामे’ का सॉलिड जवाब

नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार ने जो फैसला लिया है उस से दागी नेताओं की नींद उड़ने वाली है, मुश्किलों का पहाड़ खड़ा होने वाला है। जानिए क्या है वो फैसला

New Delhi, Dec 12: याद करिए यूपीए सरकार का समय, केंद्र की सत्ता पर गांधी परिवार का कब्जा था, प्रधानमंत्री की कुर्सी पर भले ही मनमोहन सिंह बैठे थे, लेकिन उनका रिमोट 10 जनपथ में था। ये हमारा कहना नहीं है बल्कि कांग्रेस के कई नेता औऱ कई ब्यूरोक्रेट इस बार बात कर चुके हैं। तो उसी दौर में जब राहुल गांधी सत्ता का रिमोट हाथ में लिए रखते थे, उन्होंने एक बिल फाड़ा था, वो बिल मनमोहन कैबिनेट लाई थी, वो बिल अगर पास हो जाता तो दागी नेताओं को राहत मिल जाती, लेकिन राहुल ने उसे सबके सामने फाड़ दिया। उनके इस रवैये की काफी आलोचना भी हुई थी। कहा गया कि राहुल गांधी ड्रामा कर रहे हैं। अब वापस आते हैं वर्तमान में। केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार है और सरकार ने दागी नेताओं पर शिकंजा कसने के लिए जो फैसला लिया है उसे मास्टरस्ट्रोक कहा जा सकता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस फैसले से देश के दागी विधायकों और सांसदों के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है। मोदी सरकार ने दागी जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे मामलों के निपटारे के लिए विशेष अदालतें बनाने पर सहमति दे दी है। पिछले लोकसभा चुनाव यानि 2014 के आंकड़ों को देखें तो उसके मुताबिक देश में 1,581 सांसदों और विधायकों पर संगीन अपराधों के लगभग 13,500 मामले दर्ज हैं। अब तो ये आंकड़ा और भी ज्यादा बढ़ गया होगा। ऐसे में मोदी सरकार इन दागी नेताओं के खिलाफ विशेष अदालतों का गठन करती है तो उम्मीद की जा सकती है कि दागी नेताओं की संख्या में कमी आएगी। अब इस को राहुल गांधी के ड्रामे के जोड़कर देखिए, राहुल ने अपनी ही सरकार का एक बिल फाड़ दिया था जो दागियों को बचाने का काम करने वाला था।

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नरेंद्र मोदी की सरकार ने दागी नेताओं के खिलाफ बड़ा फैसला ले लिया है। अभी तक न्याय की धीमी स्पीड के कारण दागी नेता लंबे समय तक अपने पद पर बने रहते थे। उनके खिलाफ फैसला आने में बहुत देर हो जाती थी। इसी को देखते हुए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दागी नेताओं पर दर्ज केसों की सुनवाई के लिए 12 विशेष अदालतों का गठन करेगी। इस काम के लिए 7.80 करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित कर दिया गया है। साथ ही सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कुछ समय की भी मांग की है, जिस से दागी नेताओं पर दर्ज मामलों का सही और सटीक आंकड़ा पता लगाया जा सके। उसके बाद ये तय किया जाएगा कि कितनी अदालतों के गठन की जरूरत है।

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खास बात ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद दागी नेताओं पर दर्ज मामलों की सुनवाई के लिए विशेष अदालतों के गठन की बात की थी। 2015 में कोर्ट ने ये कहा था, उसके बाद फिर से कोर्ट ने सरकार को याद दिलाया कि स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाना चाहिए। अब नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस पर अपनी सहमति दे दी है। दागी नेताओं को लेकर चुनाव आयोग ने भी आपत्ति जताई है। चुनाव आयोग का कहना है कि दागी नेताओं के हमेशा के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगानी चाहिए। साथ ही आयोग ने भी कहा कि राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए कानून बनाए जाने की जरूरत है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सरहमति दे दी है कि विशेष अदालतं का गठन किया जाए।