पाकिस्‍तान के मदरसों में बच्‍चों को दी जा रही है आतंक की तालीम

पाकिस्‍तान के मदरसों में बच्‍चों का भविष्‍य बनाया नहीं बल्कि बिगाड़ा जा रहा है। पाकिस्‍तानी मदरसों में बच्‍चों को जेहाद की तालीम दी जा रही है।

New Delhi Dec 17 : मदरसे हमेशा से विवादों में रहे हैं। हालांकि कट्टरपंथियों को ये बात हमेशा से नागवार गुजरती रही है कि कोई मरसे पर ऊंगलियां क्‍यों उठाता है। लेकिन, हकीकत ये है कि पाकिस्‍तानी मदरसों में बच्‍चों को जेहाद की तालीम दी जाती है। वो भी खुलेआम। अब तो पाक आर्मी भी इस बात को मानने लगी है कि पाकिस्‍तान के मदरसों में तालीम हासिल करने वाले बच्‍चे बड़े होकर या तो मौलवी बन सकते हैं या फिर आतंकी। हर बच्‍चा मौलवी इसलिए नहीं बन सकता है क्‍यों कि इतनी मस्जिदें नहीं खोली जा सकती हैं। ऐसे में मदरसों में पढ़ने वाले बच्‍चों के लिए जेहाद का ही एकमात्र रास्‍ता बचता है। वो भी तब जब उनके दिमाग में कट्टरवाद कूट-कूटकर भर दिया जाता हो। जाहिर है ये हालात पाकिस्‍तान के लिए बेहद खराब हैं।

Advertisement

अगर पाकिस्‍तान ने वक्‍त रहते अपने एजूकेशन सिस्‍टम में बदलाव नहीं किया तो यकीनन वो दिन दूर नहीं जब पाकिस्‍तान से डॉक्‍टर, इंजीनियर निकलना ही बंद हो जाएंगे। अभी हाल ही में पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ कमर जावेद बाजवा ने भी अपने देश के एजूकेशन सिस्‍टम पर सवाल खड़े किए थे। उन्‍हें भी ये तालीम पसंद नहीं हैं। क्‍योंकि वो इसकी हकीकत को जानते हैं। कमर जावेद बाजवा खुलकर ये कहते हैं कि पाकिस्‍तान के मदरसों में तालीम हासिल करने वाले बच्‍चे या तो मौलवी बनेंगे या फिर आतंकवादी। वो भी यही कहते हैं कि पाकिस्‍तान में इतनी मस्जिदें तो बनाई नहीं जा सकती है कि हर किसी को इसमें नौकरी मिल सके। ऐसे में वो आतंकवादी ही बनेंगे। जाहिर है जब कमर जावेद बाजवा का ये बयान सामने आया था तो हर कोई हरकत में आ गया था।

Advertisement

वैसे यहां पर एक बात और भी बतानी बेहद जरूरी है कि पाकिस्‍तान में इस तरह की बात करने की हर कोई हिम्‍मत नहीं जुटा पाता है। खासतौर पर पाक आर्मी के भीतर से तो वैसे भी इस तरह की बातें नहीं उठती। क्‍योंकि पाकिस्‍तान आर्मी खुद पाक में आतंकी संगठनों को पूरा सपोर्ट करती है। लेकिन, इस बार माना जा रहा है कि कमर जावेद बाजवा अपनी और पाक आर्मी की छवि को बदलने में जुटे हैं। इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हैं। वैसे पाकिस्‍तान के रहनुमाओं को ये सोचना होगा कि उन्‍हें अपने देश को कहां ले जाना है। क्‍या पाकिस्‍तान में मदरसों का एजूकेशन सिस्‍टम ही देश को आगे बढ़ाएगा। अगर ऐसा हुआ तो यकीनन आने वाले कुछ सालों में पाकिस्‍तान को इराक बनने में ज्‍यादा वक्‍त नहीं लगेगा।

Advertisement

दरसअल, पाकिस्‍तान को अगर खुद के भीतर कोई सुधार करना है तो उसे अपने इस एजूकेशन सिस्‍टम को बदलना ही होगा। सिर्फ मजहबी तालीम से पाकिस्‍तान का भला नहीं हो सकता है। पाकिस्‍तान को अगर आगे बढ़ना है तो उसे अपने यहां चल रहे उन मदरसों को बंद करना होगा जो बच्‍चों को जेहादी बना रहे हैं। उनके दिमाग में कट्टरवाद का जहर घोलकर उन्‍हें हथियार संभाल रहे हैं। हालांकि पाकिस्‍तान से इस बात की उम्‍मीद करना बेवकूफी ही होगी कि वो आतंकवाद या फिर आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगा। वो भी उस सूरत में जब पाकिस्‍तान के पूर्व राष्‍ट्रपति परवेज मुशर्रफ आतंकी संगठनों के कसीदे पढ़ते हों। वो लश्‍कर और जमात-उद-दावा से गठबंधन करने को बेताब हों। ऐसे में भला मरदसों में आतंकी नहीं पढ़ाया जाएगा तो क्‍या पढ़ाया जाएगा।