हार्दिक पटेल को पहाड़ समझ रहे थे, राहुल गांधी से कुछ तो सीख लेते

गुजरात में हार से हार्दिक पटेल बौखला गए हैं, उनको समझ नहीं आ रहा है कि ये कैसे हो गया, कुछ नहीं समझ आया तो दोष ईवीएम पर डाल दिया, राहुल से कुछ तो सीख लेते।

New Delhi, Dec 19: गुजरात विधानसभा चुनाव में एक शख्स पर सबसे ज्यादा निगाहें थीं। यहां तक कि राहुल गांधी भी इसी शख्स के सहारे जीत का दावा कर रहे थे, लेकिन इस शख्स का असर दिखाई नहीं दिया, बात कर रहे हैं हार्दिक पटेल के बारे में, वो हार्दिक जो पाटीदार आंदोलन के नेता हैं, जिनकी रैलियों में लाखों युवा एक आवाज पर जुट जाते थे। हार्दिक ने कांग्रेस को समर्थन देने का फैसला किया था। वो दावा कर रहे थे कि कांग्रेस 100 सीटें जीतेगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, कांग्रेस तमाम सहयोगियों के बाद भी चुनाव हार गई, इस हार को राहुल ने तो स्वीकार कर लिया लेकिन हार्दिक स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। गुजरात की जनता के आदेश को वो ईवीएम की गड़बड़ी से तौल रहे हैं।

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हार्दिक पटेल ने चुनाव के नतीजों के बाद ईवीएम पर आरोप लगा दिया, वो पहले से कह रहे हैं कि ईवीएम में बीजेपी गड़बड़ी कर रही है, इसी के सहारे चुनाव जीत रही है। हार्दिक ने कहा कि ये बीजेपी की नहं बल्कि ईवीएम की जीत है, जब एटीएम हैक हो सकते हैं तो ईवीएम क्यों नहीं हो सकती है। हार्दिक ने अपनी बातों के पक्ष में कुछ आंकड़े भी रखे, उन्होंने कहा कि 15 से 20 सीटों पर हार जीत का अंतर 200 से 1000 वोट का रहा है, जिस ईवीएम के अंदर फिर से गिनती हुई है वहीं पर बदलाव आया है। ये एक बड़ा मुद्दा है, बीजेपी ने पैसे के दम पर ये चुनाव जीता है, गुजरात की जनता का जनादेश नहीं है ये। हार्दिक ने कहा कि ये जीत किसी चाणक्य की नहीं बल्कि ईवीएम की है।

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हार्दिक ने कहा कि कुछ इलाकों जैसे सूरत, अहमदाबाद और राजकोट में बीजेपी का जीतना हैरान कर रहा है। ये बीजेपी की चाल है उस ने जानबूझकर ये आंकड़ा रखा जिस से ईवीएम पर किसी को शक ना हो। साफ है कि हार्दिक गुजरात की जनता के फैसले को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। उनको यकीन नहीं हो रहा है कि उनके समर्थन के बाद भी कांग्रेस हार गई है। शायद हार्दिक ने खुद को ज्यादा बड़ा करके आंक लिया था। हार के बाद आंदोलन पर क्या असर होगा इस सवाल पर हार्दिक ने कहा कि उनका आंदोलन जारी रहेगा।हार्दिक ने कहा कि वो बीजेपी के खिलाफ काम करते रहेंगे, उन्होंने खुद को आंदोलनकारी बताते हुए कहा कि वो आरक्षण की मांग को जारी रखेंगे।

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हालांकि हार्दिक ने बीजेपी को जीत की बधाई भी दी है, उन्होंने कहा कि जो जीता वो सिकंदर, बहरहाल हार्दिक की बातों से साफ है कि वो हार के कारण को समझ नहीं पा रहे हैं। शायद उनको इस बात का भी अंदेशा नहीं है कि वो अगर बीजेपी के खिलाफ राजनीति करते रहेंगे तो उनका हाल भी केजरीवाल की तरह हो सकता है। आंदोलनकारी वो होता है जो मुद्दों के आधार पर आंदोलन करता है, उसकी किसी एक दल से दुश्मनी और सभी से दोस्ती नहीं हो सकते हैं। आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस ने भी हार्दिक को कोई ठोस भरोसा नहीं दिया था। सवाल ये है कि क्या पाटीदार समाज अब भी हार्दिक के साथ रहेगा, जिनके कहने पर बीजेपी का साथ छोड़ा लेकिन फिर भी बीजेपी सत्ता में आ गई, क्या राज्य में पाटीदारों का प्रभाव कम नहीं होगा।