वंदे मातरम पर उपराष्ट्रपति की राय, कई लोगों को लग सकती है मिर्ची

उपराष्ट्रपति ने वंदेमातरम को लेकर कुछ ऐसा कहा है जिस से कुछ लोगों को मिर्ची लग सकती है. वो फिर से अभिव्यक्ति की आजादी का नारा उछाल सकते हैं।

New Delhi, Dec 24: वैसे तो हर तरफ चारा घोटाला और लालू यादव की ही चर्चा है, लेकिन इस खबरबाजी के बीच कुछ ऐसी भी खबरं हैं जो लोगों की नजर में आ जाती हैं, अगर देश का उपराष्ट्रपति पिसी गंभीर और चर्चित मुद्दे पर अपनी राय रखे तो उस पर विमर्श तो होना ही है। वेंकैया नायडू ने एक चर्चित मुद्दे पर अपनी राय रखी है, इसके बाद कुछ लोगों को मिर्ची लग सकती है। हम पहले आपको मुद्दा बताते हैं, वंदे मातरम, अब ये मत पूछना कि किसे मिर्ची लगने वाली है। पहले ये तो जान लो कि हमारे वीपी वेंकैया नायडू ने आखिर कहा क्या है, उसके बाद समझ जाएंगे कि ये कितना चर्चित और गंभीर मुद्दा है।

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वंदे मातरम को लेकर पिछले काफी समय से एक बहस चल रही है, जिसके तहत कहा जा रहा है कि क्या किसी से जबरदस्ती वंदेमातरम कहलवाना जरूरी है, जिसे मन करे वो कहे और जिसे मन ना करे वो ना कहे. ठीक है, सबकी अपनी राय हो सकती है, इसी तरह से उपराष्ट्रपति नायडू ने अपनी राय रखी है, उन्होंने कहा कि किसी को भी राष्ट्रीय गीत वंदेमातरम गाने से क्या और क्यों परेशानी होनी चाहिए। आखिर वंदेमातरम से कोई क्यों परेशान होगा, इस गीत का मतलब होता है मां का अभिनंदन करना। इस एक गीत ने आजादी के आंदोलन के दौरान लाखों लोगों को प्रेरित किया था। वेंकैया नायडू का कहना ठीक है, लेकिन लोगों के पास अपने तर्क होते हैं।

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि मां तस्वीर नहीं बल्कि हमारी मातृभूमि है, इसी मां को वंदेमातरम में सलाम किया जाता है। मां का सम्मान हो इस में किसी को क्या परेशानी हो सकती है। उप राष्ट्रपति ने कहा कि हमारी जाति, धर्म और पंथ अलग हो सकता है, लेकिन हम एक देश हैं, इस से बड़ी वजह कोई नहीं हो सकती है। अहमदनगर में एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए गए नायडू ने ये बातें कहीं, इस के अलावा उन्होंने साई बाबा को लेकर भी बात की, कहा कि अब साई बाबा के हिंदू या फिर मुसलमान होने की बहस करना बेकार है। इसकी कोई जरूरत नहीं है। उनकी शिक्षाएं सभी के लिए हैं, उन्होंने कभी ये नहीं कहा कि केवल हिंदू या फिर केवल मुसलमान ही उनकी बातें मानें।

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वेंकैया नायडू ने काफी सरलता के साथ अपनी बात कह दी, उन्होंने वंदे मातरम पर जिस तरह से अपनी बात कही है इस पर कुछ लोग या फिर संगठन विवाद कर सकते हैं, भारत माता की जय और वंदेमातरम को लेकर जिस तरह से बहस होती रही है उसके बाद देश के दूसरे सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे शख्स द्वारा इसकी तरफदारी निश्चित तौर पर कुछ लोगों को नागवार गुजरेगी, वो विरोध भी करेंगे तो यही कहेंगे कि किसी पर आदेश नहीं लागू है कि वो वंदेमातरम का गान करे ही, जिसका मन करेगा वो गाएगा, जिसका नहीं करेगा वो नहीं गाएगा, बहरहाल नायडू ने बहुत ही साफ शब्दों ने कहा कि वंदेमातरम गाने से किसी को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। अब ये बात कितनों को समझ आती है ये अलग मैटर है।