जानिए कैसे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से कटा जेपी नड्डा का पत्ता ?
जेपी नड्डा आखिरी वक्त तक हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल थे। लेकिन, अचानक कुछ ऐसा हुआ कि पूरा का पूरा खेल बिगड़ गया।
New Delhi Dec 25 : लगता है इन दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से उनकी किस्मत रूठी हुई है। जेपी नड्डा हिमाचल प्रदेश से आते हैं। इस बार उनके पास हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने का सुनहरा मौका था। लेकिन, लास्ट मूवमेंट में उनका नाम कट गया और पार्टी हाईकमान ने जयराम ठाकुर को हिमाचल का मुख्यमंत्री बनाए जाने का एलान कर दिया। जबकि आखिरी क्षण में भी सभी को ये उम्मीद थी कि नड्डा जयराम ठाकुर को मात देकर आगे निकल जाएंगे और प्रदेश की कमान संभालेंगे। लेकिन, रातों रात पूरा का पूरा समीकरण ही बदल गया। उनके नाम पर मुहर लगते-लगते रह गई और जयराम ठाकुर बाजी मारते हुए आगे निकल गए। हिमाचल प्रदेश से लेकर दिल्ली तक में इस वक्त उनके समर्थक निराश नजर आ रहे हैं।
दरसअल, हुआ कुछ यूं कि बीजेपी हाईकमान ने हिमाचल में विधायकों और वरिष्ठ नेताओं का मन टटोलने के लिए दो सदस्यीय पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की थी। जिसमें रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के अलावा नरेंद्र सिंह तोमर शामिल थे। निर्मला सीतारमण, नरेंद्र सिंह तोमर और मंगल पांडे तीनों ही नेता शुक्रवार को हिमाचल में नेताओं का मन टटोलकर दिल्ली पहुंच चुके थे। उस वक्त भी जेपी नड्डा और जयराम ठाकुर ही इस रेस में सबसे आगे चल रहे थे। सूत्रों का कहना है कि शनिवार की देर शाम तक जेपी नड्डा को हिमाचल प्रदेश की कमान देने की तैयारी शुरु हो गई थी। फार्मूला ये निकाला गया था कि जेपी नड्डा को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया जाएगा और जयराम ठाकुर को उपमुख्यमंत्री। ताकि दोनों के बीच कोई विवाद ना रहे।
शनिवार की देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की मीटिंग हुई। इस मीटिंग में अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सारी बात बताई। ये भी बताया है कि इस वक्त हिमाचल में दो लोगों ही इस रेस में शामिल हैं। जिसमें नड्डा और जयराम ठाकुर शामिल हैं। बस यहीं से बाजी पलट गई। मोदी और अमित शाह की मीटिंग के बाद जयराम ठाकुर के नाम पर ही मुहर लगा दी गई। जबकि जेपी नड्डा का पत्ता काट दिया गया। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं चाहते थे कि नड्डा को हिमाचल भेजकर बेवजह केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार पर दिमाग खपाया जाए। इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार और ज्यादातर विधायक यही चाहते थे कि मुख्यमंत्री विधायकों के बीच से ही किसी को बनाया जाए।
यही वजह रही कि हिमाचल में उत्तर प्रदेश वाला फार्मूला नहीं अपनाया गया। इसके अलावा ये भी माना जा रहा था कि हिमाचल में ठाकुर बिरादरी को साधने की काफी जरूरत है। प्रेम कुमार धूमल के बाद ये काम सिर्फ जयराम ठाकुर ही कर सकते थे। पार्टी हाईकमान को ये भी लग रहा था कि अगर दिल्ली से किसी को हिमाचल भेजा जाएगा तो इसका गलत मैसेज जनता के बीच जा सकता है। बीजेपी ऐसा कुछ भी नहीं चाहती थी। शायद यही वजह रही है कि आखिरी वक्त तक रेस में शामिल रहने वाले जेपी नड्डा को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने ही इस रेस से बाहर कर दिया और जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लगा दी। जयराम ठाकुर के सामने अब हाईकमान की उम्मीदों पर खरा उतरने की चुनौती है।