तेजस्वी यादव से ना हो पाएगा, लालू की विरासत एक अंधा कुआं है

लालू यादव जेल में हैं, जमानत मिलने में समय लग सकता है, उनकी विरासत को तेजस्वी यादव संभालने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उनसे हो नहीं पा रहा है।

New Delhi, Dec 27: बिहार के किंगमेकर रहे लालू यादव इन दिनों जेल में हैं, इस एक लाइन में लालू की पूरी सियासत समाई हुई है, एक समय था जब लालू के इशारे के बिना बिहार में पता भी नहीं हिलता था, वही लालू आज जेल में पुलिस वालों से खैनी मांग कर खा रहे हैं। समय कितना निष्ठुर होता है, वो ये नहीं देखता कि इंसान की हैसियत क्या है, वो उसे हकीकत की कठोर जमीन पर ला पटकता है. चारा घोटाले ने लालू की सियासत को जेल तक पहुंचा दिया है, अब चर्चा ये है कि लालू ने जो अपना सियासी साम्राज्य तैयार किया है उसे कौन संभालेगा, राबडी़ के मन की बात करें तो बेटियां तो नहीं संभाल पाएंगी, तो इस पर यही कहा जा सकता है कि लालू के बेटे तेजस्वी यादव और तेज प्रताप भी उनकी सियासी विरासत को संभाल नहीं पाएंगे।

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लालू जेल में है और उनके पीछे आरजेडी को कौन संभालेगा, इस सवाल के जवाब में कायदे से तो ये होना चाहिए था कि जो भी काबिल और वरिष्ठ नेता है उसे जिम्मेदारी सौंप दी जाए, लेकिन लालू परिवारवाद में बहुत यकीन रखते हैं लिहाजा तेजस्वी यादव के अलावा कोई और आरजेडी का मालिक होगा ये सोचा भी नहीं जा सकता है। लेकिन सवाल ये है कि क्या तेजस्वी इतने बड़े हो गए हैं कि वो आरजेडी को संभाल पाएं। उस से भी अहम ये है कि लालू की विरासत ऐसी ही जिस से हर कोई दूर रहना चाहेगा, घोटालों के प्रतीक पुरुष लालू बन चुके हैं, चारा घोटाला एक कालिख है लालू पर  जिसके दो मामलों में वो दोषी करार दिए गए हैं। इस कालिख से तेजस्वी कैसे खुद को बचा पाएंगे।

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लालू के जेल जाने के बाद तेजस्वी के बयानों पर गौर करें तो पता चलता है कि वो जनता को अभी तक समझ नहीं पाएं हैं। तेजस्वी अभी भी बीजेपी को दोष दे रहे हैं, कह रहे हैं कि ये राजनीतिक बदले की कार्रवाई है, उनके पिता गरीबों के लिए काम करते हैं, पिछड़ी जाति से आते हैं इसलिए उनको फंसाया गया है। इसके बाद वो कहते हैं कि अगर लालू का बीजेपी से संबंध होता तो वो आज राजा हरिश्चंद्र होते। ये बयान तेजस्वी यादव के ही हैं, जो अपने पिता की साख को बचाने के लिए इस तरह के तर्कों का सहारा ले रहे हैं। मगर क्या ये तर्क जनता मानेगी, भले ही लालू का जनआधार है, लेकिन जिस तरह से वो चारा घोटाले के मामलों में दोषी करार हो रहे हैं, उस से वो जनाधार खिसकने में समय नहीं लगेगा।

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सबसे बड़ी बात ये है कि लालू की विरासत में घोटालों का जिक्र है, चारा घोटाले के अलावा खुद तेजस्वी लारा मामले में फंसे हुए हैं, ऐसे में लालू की विरासत का जो मतलब विरोधी दल निकालते हैं उसके मुताबिक तेजस्वी घोटालों का विरासत को संभालने वाले हैं। भविष्य में तेजस्वी भी लालू की ही तरह घोटाले करेंगे, ये विरोधियों के हमले के लाइन हो सकती है। खास बात ये है कि अभी से तेजस्वी ने सियासत में अपने समर्थक खोजने शुरू कर दिए हैं। हार्दिक पटेल ने लालटेन के साथ एक फोटो पोस्ट की तो तेजस्वी ने उसे इशारा समझा, हार्दिक से बोले कि मोहब्बत की लालटेन को यूहीं जलाए रखना है। तेजस्वी संघर्ष की बात करते हैं, वो खुद बिना किसी संघर्ष के राजनीति में आए, विधायक बने, डिप्टी सीएम तक बन गए। ऐसे में अगर वो लालू की विरासत संभालते हैं तो एक अंधेरे कुएं की तरफ बढ़ रहे हैं, जिस से निकलने का रास्ता केवल लालू जैसे नेता ही बता सकते हैं।