भारत से गद्दारी ? चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में शामिल हुआ अफगानिस्‍तान

अफगानिस्‍तान ने भारत के साथ गद्दारी करते हुए चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में शामिल होने का एलान कर दिया है। जबकि भारत इसके विरोध में है।  

New Delhi Dec 27 : अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्‍बानी इस वक्‍त चीन के दौरे पर हैं। बीजिंग पहुंचते ही अफगानिस्‍तान की भाषा बदल गई। अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्बानी ने बीजिंग में एलान किया कि उनका देश चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में शामिल होगा। इतना ही नहीं वो इस प्रोजेक्‍ट को लेकर चीन को हर मुमकिन मदद भी मुहैया कराने को तैयार है। रब्बानी का कहना है कि अफगान सरकार बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट में सक्रिय तौर पर शामिल होना चाहता है। ताकि दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ सके। अफगानिस्‍तान के विदेश मंत्री सलाहुद्दीन रब्‍बानी ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री ख्‍वाजा आसिफ मोहम्‍मद से भी मुलाकात की और दोनों से मुलाकात के बाद ये बयान दिया।

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दरसअल, बीजिंग चाहता है कि चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर में दूसरे देशों की भी साझीदारी हो। वो अपने इस महात्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट को लेकर दबदबा बढाना चाहता है। हालांकि पहले दिन से ही भारत चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के विरोध में है। भारत का मानना है कि इस प्रोजेक्‍ट से उसके भौगोलिक क्षेत्र में दखल दिया जाएगा। जिसे हिंदुस्‍तान कभी भी बर्दास्‍त नहीं करेगा। इस प्रोजेक्‍ट के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बड़े हिस्से में हाईवे और दूसरे प्रोजेक्‍ट प्रस्‍तावित है। हालांकि पाक अधिकृत कश्‍मीर के लोग भी चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के विरोध में हैं। यहां के लोगों का कहना है कि चीन उनके क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है। जिससे इस क्षेत्र की आवोहवा खराब हो जाएगी।

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लेकिन, पाक सरकार इस प्रोजेक्‍ट को लेकर चीन के साथ खड़ी है। यहां तक कि इस प्रोजेक्‍ट में लगे इंजीनियर और कर्मचारियों को पाक आर्मी की ओर से पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है। लेकिन, अब उसे अफगानिस्‍तान का साथ भी मिल गया है। इसके साथ ही चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इस बात पर सहमति बन गई है कि वो आतंकियों को पनाह नहीं देंगे। इसके साथ ही दावा किया गया है कि तीनों ही देश अपने यहां पर किसी भी तरह की आतंकी गतिविधियों की इजाजत नहीं देंगे। तीनों ही देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में इस बात की भी सहमति बनी कि आतंकवादियों के खिलाफ मिलकर कार्रवाई की जाएगी। हालांकि जानकारों का कहना है कि पाकिस्‍तान कई मंचों से इस तरह की बात कर चुका है लेकिन, हर बार वो आतंक का खुलेआम समर्थन करता है।  

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बहरहाल, देखना दिलचस्‍प होगा कि इस बार क्‍या वाकई पाकिस्‍तान आतंक के खिलाफ कोई कार्रवाई करता भी है या नहीं। सबसे बडी बात ये है कि खुद अफगानिस्‍तान भी पाकिस्‍तान के आतंकवाद से परेशान है। लेकिन, चीन-पाकिस्‍तान इकोनॉमिक कॉरिडोर के चलते अब दोनों ही मुल्‍क एक बार फिर साथ होते नजर आ रहा है। लेकिन, इस पर भारत का विरोध बरकरार है। 2442 किलोमीटर लंबे इस कॉरिडोर का हिंदुस्‍तान क्‍यों विरोध कर रहा है जरा ये भी समझ लीजिए। 46 बिलियन डॉलर की लागत वाले इस प्रोजेक्ट का मकसद दक्षिण-पश्चिमी पाकिस्तान से चीन के उत्तर-पश्चिमी स्वायत्त क्षेत्र शिनजियांग तक ग्वादर बंदरगाह, रेलवे और हाईवे के जरिए तेल और गैस का कम समय में डिस्ट्रीब्यूशन करना है। ये प्रोजेक्‍ट पाक अधिकृत कश्‍मीर से होकर गुजर रहा है। जिसे भारत अपनी संप्रभुता के खिलाफ मानता है।