2019 में नरेंद्र मोदी के सारथी बनेंगे नीतीश कुमार, और कोई रास्ता भी तो नहीं है

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में एक अंतर है, नीतीश कुमार जो पहले मोदी विरोधी थे, अब वो मोदी के विजय रथ के सारथी बनने वाले हैं।

New Delhi, Dec 27: सियासत में जिस तरह से बदलाव आते हैं ये समझने के लिए बहुत बड़ा ज्ञानी होने की जरूरत नहीं है। कोई भी इस बदलाव को समझ सकता है। राजनीति का मतलब है राज करने की नीति। हाल के समय में कई बार ऐसा देखने को मिला है जब किसी नेता ने पुरानी बातों को भुला कर नई शुरूआत की है। इस मे नीतीश कुमार का नाम भी शामिल है। पिछले लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश ने एनडीए से नाता तोड़ लिया था। बिहार में महागठबंधन के तले चुनाव लड़ा था, उस में लालू यादव और कांग्रेस शामिल थे. चुनाव जीता सरकार बनाई लेकिन उसके बाद फिर से बीजेपी का दामन थाम लिया। ये सियासत है यहां कुछ भी हो सकता है। वो नीतीश जिन्होने नरेंद्र मोदी के कारण गठबंधन तोड़ा था, वो आज मोदी की तारीफ करते नहीं थक रहे हैं।

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एक दौर था जब नीतीश कुमार नरंद्र मोदी के साथ मंच साझा करने से बचते थे, लेकिन अब हालात पूरी तरह से बदल गए हैं. देश में बीजेपी का परचम लहरा रहा है. ऐसे में नीतीश भी खुल कर मोदी के साथ खड़े हो गए हैं। गुजरात में विजय रुपाणी के शपथग्रहण समारोह में नीतीश भी पहुंचे, वहां पर एनडीए शासित 18 राज्यों के सीएम मौजूद थे। इसी मंच से नीतीश ने जो एलान किया वो बीजेपी विरोधियों के लिए चुभने वाला हो सकता है, जिनको अभी तक उम्मीद थी कि नीतीश बीजेपी का साथ छोड़कर फिर से विपक्ष के साथ आ सकते हैं वो उम्मीद भी अब टूट गई है। नीतीश ने मंच से कहा कि 2019 में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनेगी।

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दरअसल विजय रुपाणी के शपथग्रहण को बीजेपी और एनडीए के शक्ति प्रदर्शन से जोड़कर देखा जा रहा है, इसके जरिए 2019 के लिए विरोधियों को आगाह करने करने की रणनीति थी, नीतीश कुमार ने जो कहा उस ने इस पर मुहर भी लगा दी। उन्होंने कहा कि सभी मिलकर एक बार फिर से 2019 में एनडीए की सरकार बनाएंगे। नीतीश ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में सभी मिलकर जीतेंगे। केंद्र में एक बार फिर से एनडीए की सरकार बनेगी। साफ है कि नीतीश अब उस राह पर आ गए हैं जहां से कोई यू टर्न नहीं है. उन्होंने इतनी बार रुख बदला है कि अब उनके सामने एक ही राह पर चलने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, अब अगर नीतीश बीजेपी का साथ छोड़ते हैं तो उनकी सियासत सड़क पर आ जाएगी।

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ये पहली बार नहीं है जब नीतीश ने नरेंद्र मोदी को लेकर इस तरह की बात की है। बिहार में महागठबंधन तोड़ने के बाद नीतीश ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मोदी के अलावा कोई नेता नहीं है जो 2019 में जीत सकता है। अगले लोकसभा चुनाव में भी मोदी ही जीतेंगे। नीतीश का साथ रहना बीजेपी के लिए भी फायदेमंद है. वो सामािक समीकरणों को साधने में माहिर माने जाते हैं, इसके अलावा वो जमीनी नेता हैं, जनता उनको सुनना और देखना पसंद करती है. मोदी के अलावा बहुत कम ऐसे नेता हैं जो भाषण कला में माहिर हैं, नीतीश उनमें से एक हैं। जाहिर है कि वो 2019 में मोदी के सारथी की भूमिका निभा सकते हैं, इस से एनडीए में उनका कद भी बढ़ेगा और सियासत में बदलाव की जो कहानी उन्होंने शुरू की थी 2014 से पहले वो अपने अंजाम तक पहुंच जाएगी।