ओवैसी के मुंह पर ट्रिपल तलाक का तमाचा, बिल को बता रहे हैं महिला विरोधी

केंद्र की मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल को संसद में पेश कर दिया है। लेकिन, सदन में इसका सबसे ज्‍यादा विरोध असदुद्दीन ओवैसी ने किया।

New Delhi Dec 28 : मोदी सरकार ने महिला विरोधी मानसिकता के मुंह पर करारा तमाचा मारा है। केंद्र सरकार की ओर से संसद में ट्रिपल तलाक के खिलाफ बिल को पेश कर दिया गया है। जिससे मुस्लिम संगठन और ऑल इंडिया मजलिसे इत्तिहाद उल मुसलीमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग परेशान हो गए हैं। संसद के भीतर ट्रिपल तलाक के खिलाफ सबसे ज्‍यादा विरोध ओवैसी ने ही किया। मुस्लिम महिलाओं को उनका अधिकार देने वाले और उनका संरक्षण करने वाला ये बिल ओवैसी को महिला विरोधी नजर आ रहा है। उनका कहना है कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ मोदी सरकार के बिल से मूलभूत अधिकारों का हनन हो रहा है। जिससे मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्‍याय होगा। जबकि सरकार का साफ तौर पर कहना है कि ये कानून महिलाओं की रक्षा करेगा।

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AIMIM के अध्‍यक्ष असदुद्दीन ओवैसी का कहना था कि ट्रिपल तलाक यानी तलाक-ए-बिद्दत इस्‍लाम विरोधी है। उनका कहना है ये तो पहले से ही गैर कानूनी है। उनका कहना है कि घरेलू हिंसा के खिलाफ तो देश में पहले से ही कानून मौजूद हैं। ऐसे में इस बिल की कोई जरुरत ही नहीं थी। ओवैसी को लगता है कि इस बिल से मूल अधिकारों का हनन होगा। उन्‍होंने इस बिल को कानूनी तौर पर लचर बताया। उनका कहना है कि इस बिल में कई ऐसे प्रावधान हैं जो कानून के मुताबिक तर्कसंगत नहीं है। ओवैसी का कहना था कि सरकार को इस पर काूनन बनाने का अधिकार सिर्फ इसलिए नहीं मिल सकता है कि वो हमारे मूल अधिकारों का हनन करे। उनका  कहना है कि सरकार को बिल तैयार करने से पहले इस पर जनता के बीच बहस करानी चाहिए थी।

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ओवैसी तो इस बात का भी विरोध कर रहे हैं कि आखिर ट्रिपल तलाक को अपराध की संज्ञा क्‍यों दी जा रही है। कुल मिलाकर कर कहें तो ओवैसी सरीखे नेता नहीं चाहते हैं कि देश में ट्रिपल कानून के खिलाफ कानून बने। इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी इसका विरोध कर चुका है। लेकिन, केंद्र की मोदी सरकार ने हर विरोध को दरकिनार करते हुए इस बिल को संसद में पेश कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही ट्रिपल तलाक को गैरकानूनी करार दे चुका है। ऐसे में क्‍या संसद चुपचाप बैठी रह सकती है। उनका कहना था ट्रिपल तलाक के गैरकानूनी होने के बाद भी लोग अपनी पत्नियों को ट्रिपल तलाक दे रहे हैं। जिसे बिना कानून के कैसे रोका जा सकता है।

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ओवैसी चाहते हैं कि ट्रिपल तलाक के खिलाफ फिलहाल घरेलू हिंसा वाले कानून से ही काम चलाया जाए। जबकि मुस्लिम महिलाओं का साफ तौर पर कहना है कि वो अपना हक लेकर रहेंगी। दरसअल, इस मामले को लेकर मुस्लिम समाज दो हिस्‍सों में बंटा हुआ नजर आ रहा है। एक तरफ वो लोग हैं जो इसके विरोध में हैं। जबकि मुस्लिम महिलाओं समेत काफी लोग इसका समर्थन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि मुस्लिम समुदाय में महिलाओं को पैरों की जूती की तरह इस्‍तेमाल नहीं किया जा सकता है कि जब मन आया पहन लिया जब मन आया उतार फेंका। इस पर रोक लगाने की जरुरत है। जो कानून के बिना संभव नहीं है। दरसअल, मोदी सरकार ने ट्रिपल तलाक के खिलाफ तैयार बिल में कई कड़े प्रावधान किए हैं। जिसमें दोषी को जेल और जुर्माने तक की सजा का प्रावधान है।