अरब देशों को भारी पड़ेगा फिलिस्‍तीन के राजदूत की हाफिज सईद से दोस्‍ती ?

फिलिस्‍तीन के राजदूत वालिद अबु अली ने लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक हाफिज सईद के साथ मंच साझा कर अरब देशों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है।

New Delhi Dec 31 : अभी शुक्रवार की ही बात है जब पाकिस्‍तान के रावलपिंडी में लश्‍कर-ए-तैयबा के संस्‍थापक और जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद ने एक रैली को संबोधित किया था। रावलपिंडी के लियाकत बाग में इस रैली का आयोजन दिफाह-ए-पाकिस्तान काउंसिल की ओर से किया गया था। ये काउंसिल पाकिस्तान में धार्मिक समूहों और राजनीतिक पार्टियों का गठबंधन है। इसी रैली में फिलिस्‍तीन के राजदूत वालिद अबु अली भी शामिल हुए थे। जिन्‍होंने आतंकी सरगना हाफिज सईद, उसके बहनोई अब्‍दुल रहमान मक्‍की के साथ मंच साझा किया। फिलिस्‍तीन के राजदूत की इस हरकत ने अरब देशों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। इसके साथ ही वालिद अबु अली की इस कार्रवाई को सीधे तौर पर भारत विरोधी माना जा रहा है।

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दरसअल, अभी हाल ही में अमेरिका के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्‍यता देने का फैसला किया था। लेकिन, अमेरिका के इस फैसले से अरब देश सुलग उठे थे। बाद में अरब देशों के विरोध के बाद ये मामला संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ पहुंच गया था। इसके बाद अरब देशों ने भारत से इस बात की गुहार लगाई थी कि वो इस मामले में उनका साथ दें। हिंदुस्‍तान ने भी बड्पप्‍पन दिखा कर और इजरायल और अमेरिका से अपने संबंधों की परवाह किए बिना अरब देशों का साथ दिया और अमेरिका के इस प्रस्‍ताव के खिलाफ वोटिंग की। जिसके बाद संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने अमेरिका के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था। साथ ही भारत ने फिलिस्‍तीन के साथ भी अपने संबंधों को बनाए रखा।

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लेकिन, अब उसी फिलिस्‍तीन के राजदूत ने ही भारत की पीठ में खंजर घोप दिया है। वालिद अबु अली के इस कृत्‍य के बाद अरब देशों की मुश्किलें इसलिए बढ़ गई हैं कि उन्‍हें भारत के विरोध का सामना करना पड़ सकता है। एक बात और भी है कि इस तरह के कृत्‍य से ये भी साफ है कि पाकिस्‍तान भारत और अरब देशों के संबंधों को भी बिगाड़ना चाहता है। इसके साथ ही सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्‍या आतंकी सरगना हाफिज सईद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासतौर पर इस्लामिक देशों मे अपने संगठन को मान्‍यता दिलाने की कोशिश कर रहा है। फिलिस्‍तीन के राजदूत और वहां की सरकार को ये सोचना होगा कि उन्‍हें भारत का साथ चाहिए या फिर आतंकवाद का। इस मसले पर फिलिस्‍तीन की सरकार को सफाई भी देनी होगी।

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फिलिस्‍तीन के राजदूत की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रस्‍ताव दौरे पर भी दोबारा से विचार करना होगा। क्‍योंकि फिलिस्तीनी राजदूत ने हाफिज सईद के साथ मंच साझा करना गैरजिम्मेदाराना हरकत की है। अरब देशों की एक और भी बड़ी मुश्किल है। जहां भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अरब देशों पर निर्भर है वहीं अरब देश भी  खाद्यान्न के अलावा जेम्स और स्टोन के लिए हिंदुस्‍तान पर निर्भर हैं। जाहिर है भारत फिलिस्‍तीन के राजदूत वालिद अबु अली और हाफिज सईद की मुलाकात को काफी गंभीरता से लेगा। इसका जवाब भी फिलिस्‍तीन को मिलेगा। हिंदुस्‍तान के सामने अरब देशों को भी अपनी स्थिति स्‍पष्‍ट करनी होगी कि वो किसके साथ हैं। आतंकवाद के साथ हैं या फिर आतंकवाद का विरोध करने वाले हिंदुस्‍तान के साथ।