पुणे जातीय हिंसा के सूत्रधार निकले जिग्‍नेश मेवाणी और उमर खालिद, FIR दर्ज

भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह पर भड़की पुणे जातीय हिंसा के मामले में पुलिस ने जिग्‍नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है।

New Delhi Jan 04: अभी एक जनवरी को ही भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह मनाई गई थी। इसके बाद ही पुणे जातीय हिंसा भड़क गई थी। हिंसा थम चुकी है लेकिन, राजनीति जारी है। पुणे जातीय हिंसा की जांच कर रही एजेंसियों को जिस बात की आशंका थी वो सच साबित होती नजर आ रही हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक दलित नेता जिग्‍नेश मेवाणी और जेएनयू के छात्र नेता उमर खालिद के भड़काऊ भाषण के बाद ही हिंसा भड़की थी। ऐसी सूरत में जिग्‍नेश मेवाणी और उमर खालिद दोनों के ही खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। दोनों ही नेताओं के खिलाफ पुणे के विश्रामबाग पुलिस स्‍टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है। पुणे पुलिस के मुता‍बिक इन लोगों के खिलाफ सेक्शन 153(A), 505, 117 के तहत एफआईआर दर्ज हुई है। माना जा रहा है कि दोनों को जल्‍द ही गिरफ्तार भी किया जा सकता है। हालांकि पुलिस दोनों को गिरफ्तार करने में कोई जल्‍दबाजी नहीं दिखाएगी क्‍योंकि अभी जिग्‍नेश मेवाणी और उमर खालिद की गिरफ्तारी से हालात और भी भड़क सकते हैं।

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ऐसे में महाराष्‍ट्र पुलिस हर कदम फूंक-फूंककर रख रही है। उसकी प्राथमिकता राज्‍य में हो रहे प्रदर्शनों और चक्‍का जामों को रोकना है। बुधवार को पुणे जातीय हिंसा के विरोध में बुलाया गए बंद के दौरान भी प्रदर्शनकारियों ने जमकर उत्‍पात मचाया था। हालांकि शाम होते होते बंद की कॉल को वापस ले लिया गया था लेकिन, इस मसले पर राजनीति जारी है। ये मामला अब सड़क से लेकर संसद तक में गूंज रहा है। जिसका असर पूरे महाराष्‍ट्र में पड़ा है। बुधवार को दलित नेता प्रकाश अंबेडकर की अगुवाई में कई दलित संगठनों ने महाराष्‍ट्र बंद बुलाया था। इस दौरान हुए हिंसक प्रदर्शनों में भी पुलिस ने 25 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। जबकि तीन सौ से ज्‍यादा लोगों को हिरासत में ले लिया। दूसरी ओर पुणे पुलिस ने इस केस में जिग्‍नेश मेवाणी और उमर खालिद के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरु कर दी है। इन लोगों पर आरोप है कि दोनों ने ही भीमा-कोरेगांव लड़ाई की सालगिरह के मौके पर भड़काऊ भाषण दिए थे।

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इतना ही नहीं पुणे में जातीय हिंसा भड़काने के बाद भी इन लोगों की राजनीति बंद नहीं हुई। महाराष्ट्र बंद के दौरान बुधवार को भी ये लोग मुंबई में कार्यक्रम का आयोजन करना चाहते थे। लेकिन, हिंसा को देखते हुए मुंबई पुलिस ने ना तो जिग्‍नेश मेवाणी को किसी कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत दी और ना ही उमर खालिद को। दोनों ही नेताओं के कार्यक्रमों को पुलिस की ओर से कोई इजाजत नहीं मिली। मुंबई पुलिस के मुताबिक जिग्‍नेश मेवाणी और उमर खालिद छात्र भारती के कार्यक्रम में बतौर वक्‍ता शामिल होना चाहते थे। पुलिस को पहले से ही शक हो गया था कि अगर ये दोनों नेता इस कार्यक्रम में शामिल हुए तो फिर भी ये लोग भड़काऊ भाषण देकर माहौल को बिगाड़ सकते हैं। इसलिए दोनों को कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत नहीं मिली। दूसरी ओर पुलिस ने इस केस में कई लोगों को हिरासत में ले लिया है। जिसमें 15 नाबालिग भी शामिल हैं।

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नाबालिग आरोपियों को जुवेनाइल कोर्ट में पेश किया जाएगा। गिरफ्तार किए गए सभी आरोपियों पर शहर में दंगा भड़काने और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। वहीं केंद्र सरकार भी पूरे मुद्दे पर नजर बनाए हुए हैं। बताया जा रहा है कि पुणे जातीय हिंसा को लेकर को महाराष्‍ट्र की देवेंद्र फडणवीस की सरकार लगातार गृहमंत्रालय के संपर्क में है। इसके साथ ही गृहमंत्रालय ने इस केस में राज्‍य सरकार से रिपोर्ट भी मांग ली है। उधर, एनसीपी नेता शरद पवार का कहना है कि महाराष्‍ट्र में सांप्रदायिक ताकतें माहौल को खराब करने की कोशिश कर रही हैं। जबकि शिवसेन नेता संजय राउत का कहना है कि उन्‍हें इस घटना के पीछे किसी बड़ी साजिश की बू आ रही है। क्‍योंकि हिंसा की ये आग अब महाराष्‍ट्र से निकलकर दूसरे राज्‍यों में भी पहुंच रही है। गुजरात में भी कई जगहों पर पुणे जातीय हिंसा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं।