जानिए किन लोगों ने की लालू यादव की मिट्टी पलीत ?
चारा घोटाले के दोषी लालू यादव का सियासी सफर खत्म होता नजर आ रहा है। पांच ईमानदार अफसरों ने इस पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया था। जानिए कैसे ?
New Delhi Jan 04 : बिहार और देश की राजनीति को हिलाकर रख देने वाले चारा घोटाले में आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव दोषी ठहराए जा चुके हैं। 22 साल से इस केस में जांच चल रही है। दो केस में सीबीआई की विशेष अदालत अपना फैसला सुना चुकी है। जबकि कुछ केस में अभी भी अदालत का फैसला आना बाकी हैं। तारीफ करनी पड़ेगी उन अफसरों की जिन्होंने एक हजार करोड़ के इस घोटाले का खुलासा किया और लालू यादव सरीखे नेताओं को बेनकाब किया। हालांकि लंबी चली इस जांच प्रक्रिया में जांच अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ी। जांच के दौरान उन्हें धमकियां तक मिली। लेकिन, ईमानदार अफसरों ने बिना किसी बात की परवाह किए इस सनसनीखेज घोटाले का खुलासा कर पूरे देश को ना सिर्फ चौंकाया बल्कि साबित कर दिया कि देश में लालू यादव सरीखे नेताओं को बेनकाब करने के लिए ईमानदार अफसर मौजूद हैं।
एक हजार करोड़ रुपए के घोटाले का खुलासा पहली बार 1996 में चाईबासा में ईमानदार अफसरों की छापेमारी के बाद हुआ। सबसे खास बात ये है कि ये छापेमारी उस दौरान हुई थी जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। 2013 के चाईबासा ट्रेजरी केस और देवघर ट्रेजरी केस में सीबीआई की विशेष अदालत लालू यादव और उसके साथ तमाम लोगों के खिलाफ अपना फैसला सुना चुका है। जिन अफसरों ने इस सनसनीखेज घोटाले का खुलासा किया जरा उनके बारे में भी जान लीजिए। पहला नाम अमित खरे का है। जो उस वक्त सिंहभूम जिले के डिप्टी कमिश्नर हुआ करते थे। चाईबासा इसी जिले में आता है। अमित खरे इस वक्त झारखंड सरकार में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी हैं। अमित खरे ऐसे पहले अफसर थे जिन्होंने ट्रेजरी में पैसों के लेनदेन में गड़बड़ी की आशंका जताते हुए इसकी जांच शुरु की थी।
उस वक्त अमित खरे ही ट्रेजरी से होने वाले हर ट्रांजेक्शन की रिपोर्ट अकाउंटेंट जनरल आफिस में भेजते थे। इसमें उनकी नजर उन बड़े बिलों पर पड़ी जो लगातार पास किए जा रहे थे। जिसके बाद उन्होंने छापा मारा और बड़े घोटाले की पहली कड़ी को पकड़ लिया। दूसरे अफसर लाल एससी नाथ शाहदेव थे। शाहदेव भी उस वक्त सिंहभूम में ही तैनात थे। शाहदेव उस वक्त इस जिले के एडिशनल डिप्टी कमिश्नर थे। शाहदेव ने ही पशुपालन विभाग के बिलों की जांच की थी और उनका मिलान ट्रेजरी से किया था। इसी जांच में महाघोटाले का पर्दाफाश हुआ। बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा किया। जो बाद में लालू यादव के गले की फांस बन गया। चारा घोटाले के पर्दाफाश करने में सिंहभूम के तत्कालीन एसपी वीएच राव देशमुख की भी भूमिका काफी अहम रही। डिप्टी कमिश्नर अमित खरे से मिलकर इन तीनों अफसरों ने बड़े पैमाने पर छापेमारी की भूमिका तैयार की थी। जिसमें सभी अफसरों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी।
चारा घोटाले में ईमानदारों अफसरों की लिस्ट में इन तीन नामों के अलावा दो और नाम हैं। जिन्होंने लालू यादव को सलाखों के पीछे पहुंचाने में मदद की। चौथा नाम सिंहभूम के तत्कालीन सब डिविजनल अफसर फिडलिस टोप्पो का था। जो अब रिटायर हो चुके हैं। अमित खरे ने फिडलिस को भी अपनी टीम में शामिल किया था। क्योंकि वो भी बहुत ही ईमानदार अफसर थे। पांचवा नाम विनोद चंद्र झा का है। जो उस वकत एग्जिक्युटिव मजिस्ट्रेट हुआ करते थे। इन्होंने भी इस पूरे मामले की बारीकी से जांच की थी। सर्च ऑपरेशन की निगरानी का पूरा जिम्मा विनोद चंद्र झा के ही पास था। विनोद चंद्र झा कानून की बारीकियों को बखूबी समझते थे लिए वो वक्त रहते ही इसकी पेंचदगियों को दूर करते थे। जब जब देश में एक हजार करोड़ रुपए के चारा घोटाले की चर्चा होगी इन अफसरों को जरूर याद किया जाएगा। सही मायने में कहें तो लालू यादव भी कभी इन अफसरों को नहीं भूल पाएंगे। शायद उस वक्त इन अफसरों ने भी नहीं सोचा होगा कि जिस घोटाले की वो जांच कर रहे हैं उसमें कभी लालू यादव को जेल होगी।