यूपी में टूट गई ‘लड़कों’ की दोस्‍ती, अखिलेश यादव ने गठबंधन को बताया वक्‍त की बर्बादी

समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव ने गठबंधन को वक्‍त की बर्बादी बताया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्‍या उन्‍होंने राहुल गांधी से गठबंधन तोड़ लिया है।

New Delhi Jan 10 : उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्‍यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी की दोस्‍ती की गर्मजोशी अब ठंडी पड़ती नजर आ रही है। अभी एक साल भी नहीं हुए हैं दोनों की दोस्‍ती हुए। लेकिन, यूपी के लड़कों की इस दोस्‍ती में दरार पड़ती नजर आ रही है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अब तक ना तो समाजवादी पार्टी ने अपनी ओर से कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ने का एलान किया और ना ही कांग्रेस की ओर से इस तरह का कोई एलान किया गया। लेकिन, अखिलेश यादव के बयान से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो 2019 का लोकसभा चुनाव अकेले अपने दम पर ही लड़ना चाहते हैं। अखिलेश यादव का मानना है कि गठबंधन सिर्फ वक्‍त की बर्बादी है। यानी अगर उनके इस बयान पर गौर फरमाया जाए तो कहा जा सकता है कि गठबंधन को लेकर उनका तजुर्बा बहुत अच्‍छा नहीं रहा।

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शायद यही वजह है कि अब कहा जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और राहुल गांधी कम से कम चुनावों में साथ-साथ नहीं दिखाई देंगे। अखिलेश यादव ने अभी से 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरु कर दी हैं। वो भी अकेले, अपने दम पर। अखिलेश यादव ने एक इंटरव्‍यू के दौरान कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता अपनी पार्टी को मजबूत करना है। ताकि 2019 का लोकसभा चुनाव अपने दम पर लड़ा जा सके। इसके साथ ही उनसे जब गठबंधन के बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि वो अभी किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन के बारे में नहीं सोच रहे हैं। उनका पूरा का पूरा फोकस पार्टी की मजबूती पर है। अखिलेश यादव कहते हैं कि गठबंधन और सीट के बंटवारे को लेकर मैं अपना वक्‍त बर्बाद नहीं करना चाहता हूं। इसके साथ ही वो बड़ी ही साफगोई से इस बात को भी कबूल करते हैं कि वो किसी भ्रम में नहीं रहना चाहते हैं।

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हालांकि अखिलेश यादव ये कहते हैं कि समान विचारधारा वाले दलों के साथ दोस्‍ती के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं और आगे भी खुले रहेंगे। अगर समान विचारधारा वाले दल उनके साथ दोस्‍ती का हाथ बढ़ाते हैं तो वो भी उनका साथ देंगे। अखिलेश ने अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए उम्‍मीदवारों की तलाश तेज कर दी है। यानी अखिलेश यादव चाहते हैं कि वक्‍त से पहले ही लोकसभा चुनावों के लिए उम्‍मीदवारों का एलान कर दिया जाए ताकि वो अपनी पूरी ताकत इन चुनाव में झोंक सकें। उम्‍मीदवारों के चयन में स्‍थानीय समीकरणों को ध्‍यान में रखा जा रहा है। अखिलेश ने अब उत्‍तर प्रदेश से बाहर भी अपना दायरा बढ़ाने का मन बना लिया है। माना जा रहा है कि इस बार लोकसभा चुनाव में उनका फोकस उत्‍तराखंड के साथ-साथ राजस्‍थान में भी रहेगा। वो मानते हैं कि मध्‍य प्रदेश, झारखंड और छत्‍तीसगढ़ में समाजवादी पार्टी का मजबूत आधार है।

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यानी कह सकते हैं कि इस बार समाजवादी पार्टी यूपी के अलावा दूसरे राज्‍यों में भी भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देने के लिए तैयार है। लेकिन, वो यूपी विधानसभा चुनाव वाली गलती लोकसभा चुनाव में दोहराना नहीं चाहती है। उत्‍तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव अखिलेश यादव और राहुल गांधी ने साथ मिलकर लड़ा था। लेकिन, दोनों की दल इस चुनाव में बुरी तरह परास्‍त हुए थे। जहां बीजेपी ने सवा तीन सौ सीटें जीतकर यूपी में बंपर जीत हासिल की थी। वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी पचास सीट जीतने में भी कामयाब नहीं रही थी। उसका आंकड़ा 47 पर ही आकर टिक गया था। जबकि कांग्रेस पार्टी दहाई के आंकड़े को पार नहीं कर पाई थी। यूपी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ सात सीटें ही मिली थीं। कहीं ना कहीं समाजवादी पार्टी को बाद तक ये एहसास होता रहा कि उसने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर गलती की। लेकिन, इस गलती को किसी भी नेता ने खुलकर नहीं माना। लेकिन, अब बिना कुछ कहे अखिलेश यादव इस गलती को दोहराने के मूड में नहीं हैं।