नाना पटोले को मिला बीजेपी से बगावत का ईनाम, कांग्रेस में हुई ‘घर वापसी’

महाराष्‍ट्र से बीजेपी के बागी सांसद नाना पटोले ने आधिकारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी ज्‍वाइन कर ली है। खुद राहुल गांधी ने उन्‍हें पार्टी में शामिल कराया।

New Delhi Jan 11 : गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली पर सवालिया निशान लगाते हुए लोकसभा से इस्‍तीफा देने वाले बीजेपी के बागी सांसद नाना पटोले आखिरकार कांग्रेस में शामिल हो ही गए। गुरुवार को कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने नाना पटोले को पार्टी ज्‍वाइन कराई। इसके बाद दोनों की तस्‍वीरों को कांग्रेस पार्टी के आफिसियल ट्विटर हैंडल पर साझा भी किया गया। जिसमें राहुल गांधी नाना पटोले का गर्मजोशी के साथ स्‍वागत करते हुए नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी से बगावत का उन्‍हें ईनाम दिया है। उनकी घर वापसी करा ली है। हालांकि जिस वक्‍त उन्‍होंने बीजेपी से इस्‍तीफा दिया था उसके दो के भीतर ही वो कांग्रेस के कार्यक्रम में नजर आ गए थे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर इतने दिनों बाद उनकी पार्टी ज्‍वाइनिंग का नाटक क्‍यों किया गया।

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बताया जा रहा था कि नाना पटोले किसान मुद्दा, जीएसटी और नोटबंदी की वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज चल रहे थे। लेकिन, उनके पार्टी छोड़ने की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़े हुए थे। गुजरात में जिस दिन पहले चरण का मतदान होना था उससे ठीक एक दिन पहले नाना पटोले ने बीजेपी से बगावत की थी। इसके दो दिन बाद वो गुजरात में ही राहुल गांधी के साथ मंच साझ़ा करते हुए दिखाई पड़े थे। नाना पटोले महाराष्ट्र के भंडारा गोंदिया से सांसद थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में जिस वक्‍त पूरे देश में मोदी लहर चल रही थी उस वक्‍त पटोले ने भंडारा गोंदिया लोकसभा सीट पर एनसीपी के दिग्‍गज नेता प्रफुल्‍ल पटेल को शिकस्‍त दी थी और यहां से बीजेपी सांसद बने थे। नाना पटोले का कहना था कि उन्‍होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन साल पूरे होने पर किसानों का मुद्दा उठाया था। लेकिन, उनके इस मुद्दे को सुना ही नहीं गया।

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हालांकि जिस वक्‍त नाना पटोले ने पार्टी से इस्‍तीफा दिया था उसी वक्‍त कहा जा रहा था उनकी ये सारी बगावत प्रीप्‍लांट थी। गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के लिए उन्‍होंने ये कदम उठाया था। ये सवाल इसलिए भी उठ रहे थे क्‍योंकि बहुत ही जल्‍द नाना पटोले बतौर कांग्रेसी के तौर पर नजर आने लगे थे। यहां तक की उन्‍होंने गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ भी मंच साझा किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था। तब पटोले ने दावा किया कि था जब वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने गए थे तब वरिष्ठ सांसदों के साथ उन्होंने अभद्र व्यवहार किया था। पटोले जिस तरह से प्रधानमंत्री पर आरोप लगा रहे थे जाहिर है इसमें सियासी बू आ रही थी। वैसे भी नाना पटोले का कांग्रेस में आना या यहां से जाना कोई नई बात नहीं है। कांग्रेस से उनकी पुरानी मोहब्‍बत रही है। इसीलिए कहा जा रहा है कि उनकी घर वापसी हुई है।

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दरअसल, कहा जाता है कि नाना पटोले हमेशा अपने फायदे के मुताबिक राजनैतिक कदम उठाते हैं। सियासी तौर पर देखे तो तीन दशकों से राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नाना पटोले की छवि आयाराम-गयाराम वाली ही रही है। पहले वो शिवसेना में हुआ करते थे। नब्‍बे के दशक में शिवसेना से किनारा कर वो कांग्रेस में शामिल हुए थे। 1992 में भंडारा जिला परिषद का चुनाव उन्‍होंने कांग्रेस उम्‍मीदवार के खिलाफ ही लडा था। वो भी बतौर निर्दलीय। इसके बाद उनकी कांग्रेस से खटपट हो गई थी। बाद में फिर वो कांग्रेस में आ गए थे। लेकिन, 1995 के विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस छोड़ दी। 1999 में फिर उनकी कांग्रेस में वापसी हुई। 2009 तक कांग्रेस में रहे। बाद में उन्‍होंने विदर्भ में किसानों का मुद्दा उठाकर पार्टी छोड़ दी थी। 2014 का चुनाव नाना पटोले ने बीजेपी के टिकट पर लड़ा था और मोदी की आंधी में जीत हासिल की। लेकिन, अब एक बार फिर उनकी घर वापसी हुई है।