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भारत के टीवी चैनलों और उसके दर्शकों के लिए भी आटोमोबिल का मतलब सिर्फ कार और बाइक रह गया है। लोग कितना कम जानना चाहते हैं, हैरानी होती है

New Delhi, Jan 15: कोटक बैंक के प्रमुख उदय कोटक ने चेतावनी दी है कि शेयर बाज़ार में कुछ गड़बड़ लग रहा है। लोगों का पैसा कुछ सौ शेयरों में ही निवेश हो रहा है। इससे बुलबुला बनने के आसार हैं। हल्के में न लें। जब बाज़ार गिरेगा तो सब रोएंगे और दस पांच पार्टी करेंगे। वो अपना हिस्सा निकाल कर जा चुके होंगे। देश की तमाम मंडियों में ज़्यादातर उत्पादों के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रहे हैं। इस बार किसानों ने दाल ज़्यादा बो दी है। चना और मसूर ख़ासकर। बिकानेर में 10 जनवरी को चने का भाव 3,871 रुपये प्रति क्विंटल था, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य था 4,250 रुपये प्रति क्विंटल। धान, गेहूं, कपास, मूंगफली, सरसों का भाव भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे है। इंडियन एक्सप्रेस के प्रभुदत्त मिश्र की यह रिपोर्ट है। इससे सरकार ने महंगाई पर काबू तो पा लिया है मगर किसानों को दाम नहीं मिल रहे हैं। ये भारत की आर्थिक हालत है

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अभी कुछ ही दिन पहले ख़बर आई थी कि मुद्रास्फीति बढ़ गई है। उपभोक्ता मूल्यों का सूचकांक 5.12 प्रतिशत हो गया। 2017-18 के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का बजट 190 अरब था। लेकिन नवंबर 2017 तक इस बजट का मात्र 40 प्रतिशत ही ख़र्च हुआ। इन आठ महीनों में तीन चौथाई(74%) मानव बस्तियों को इस सड़क योजना से जोड़ा जा चुका है। इस योजना के दूसरे चरण में मौजूद सड़कों का जो चौड़ीकरण करना था, या मरम्मत करना था, उसका एक चौथाई (25%) काम ही हुआ है। बिजनेस स्टैंडर्ड के अभिषेक वाघमेरे ने सड़क, रेल और ग्रामीण सड़कों पर बजट और खर्चे का विश्लेषण किया है। वो एक बात का ज़िक्र करना भूल गए कि नवंबर तक कुछ महीने बारिश के कारण काम बहुत धीमा हो जाता है। मैंने अभिषेक के विश्लेषण का ही हिन्दी के पाठकों के लिए अनुवाद किया है। निशुल्क!

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रेलवे को 550 अरब रुपये दिए गए थे। 212 अरब नई रेल लाइनों के निर्माण के लिए रखे गए थे। नवंबर 2017 तक 2000 किमो नई रेल लाइन का निर्माण कर लिया गया जबकि लक्ष्य 3600 किमी का था। अच्छी उपलब्धि है। दिसंबर 2017 तक 332 अंडर ब्रिज और 130 ओवर ब्रिज का भी निर्माण हुआ। 4000 किमी लाइन का विद्युतीकरण करना था मगर इस बाबत कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। भारतीय रेल के पास 67,368 किमी का नेटवर्क है। इसका 37,844 किमी का विद्युतीकरण हो चुका है। इसके लिए 3200 मेगावाट बिजली की ज़रूरत होगी। रेलवे भी अपने बजट और कमाई से ज़्यादा ख़र्च कर चुकी है। हाईवे के मामले में प्रगति धीमी है। इस वित्त वर्ष में 15000 किमी बनाने का लक्ष्य था, मगर 4,942 किमी ही बना। 33 प्रतिशत सफलता मिली है। पूर्वोत्तर के राज्यों में काफी दिक्कतें आ रही हैं।

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वहां आठ महीनों में 1,052 किमी हाईवे का निर्माण होना था, मगर हुआ 256 किमी ही। 276 प्रोजेक्ट लंबित हैं। इनमें से कुछ को 2006 में ही पूरा हो जाना था। वैसे मैं जहां रहता हूं वहां से लेकर निज़ामुद्दीन तक हाईवे का काम काफी तेज़ गति से हो रहा है। बहुत ही नियोजित तरीके से। हर दूसरे दिन कुछ नया हो चुका दिखता है। ज्यादातर मशीनों को ही काम करते देखा है। पुख्ता जानकारी तो नहीं है मगर सड़क निर्माण क्षेत्र में अब आदमी की ज़रूरत बहुत कम रह गई है। मैं अगर आटोमोबिल रिपोर्टर होता तो हाईवे सेक्टर में इस्तमाल होने वाली गाड़ियों और मशीनों पर ज़रूर रिपोर्ट करता। भारत के टीवी चैनलों और उसके दर्शकों के लिए भी आटोमोबिल का मतलब सिर्फ कार और बाइक रह गया है। लोग कितना कम जानना चाहते हैं, हैरानी होती है। वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम में मैन्यूफैक्चरिंग इंडेक्स जारी किया है। जापान पहले नंबर पर है। चीन पांचवें नंबर पर है।

भारत तीसवें नंबर पर है। रूप 35 वें नंबर पर है। इस रिपोर्ट में जापान के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की बहुत तारीफ़ की गई है। भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर को विरासत के कैटगरी में रखा गया है जिसका मतब मैं समझता हूं कि यहां भविष्य को ध्यान में रखकर नई चीज़ों का निर्माण कम होता है। जैसे चला आ रहा है वही चल रहा है। जबकि हिंदुस्तान दुनिया का पांचवां बड़ा मैन्यूफैक्चरर है। दिल्ली में पेट्रोल डीज़ल के दाम बढ़ सकते हैं। डीडीए अपनी पेट्रोल पंपों से ज़्यादा किराया मांग रहा है जिसके ख़िलाफ़ तेल कंपनियों ने हाईकोर्ट में केस कर दिया है। डीलर जो आपसे 3 रुपये 57 पैसे प्रति लीटर कमिशन लेता है, वो बढ़ा सकता है। भारत में 61,079 पेट्रोल पंप हैं। ख़बरों को खोज खोज कर पढ़ते रहिए, जानते रहिए।

(वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के फेसबुक वॉल से साभार, ये लेखक के निजी विचार हैं)