नरेंद्र मोदी केवल मुस्लिम महिलाओं की फिक्र करते हैं, मर्दों का क्या
तीन तलाक पर सरकार कानून ला रही है, इस से कुछ लोग परेशान हैं, आरोप लगा रहे हैं कि नरेंद्र मोदी को केवल मुस्लिम महिलाओं की चिंता है मर्दों की नहीं।
New Delhi, Jan 16: ये बात हम नहीं कह रहे हैं, ये तो उनका कहना है जो मुस्लिम समाज में धर्मगुरू माने जाते हैं, जिनका काम है लोगों को सही राह पर लाना, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष महमूद मदनी ने ये बात कही है, उनका कहना है कि नरेंद्र मोदी को केवल मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है, मुस्लिम मर्द भाड़ में जाएं। ये कहने के पीछे उनका आधार तीन तलाक के खिलाफ सरकार का कानून है। मदनी का मानना है कि कानून से तीन तलाक की समस्या खत्म नहीं हो सकती है। इनकी बातों को समझने की जरूरत है, ये अभी तक ये समझ कर बैठे हैं कि कानून से तीन तलाक की समस्या खत्म नहीं हो सकती है, जबकि भारतीय समाज की न जाने कितनी ही समस्याएं अगर खत्म हुई हैं या फिर कम हुई हैं तो इसके पीछे कानून का अहम हाथ रहा है।
महमूद मदनी ने कहा कि तीन तलाक का समाधान समाज और शरीयत से ही निकल सकता है, काून लागू किया गया तो महिलाओं का दमन और बढ़ जाएगा। मदनी ने कहा कि दहेज के खिलाफ एक्ट बना कर सभी ने देख लिया, उसका कितना गलत इस्तेमाल किया गया है। शरीयत का हवाला देते हुए मदनी ने कहा कि शरीयत में हर तरह के तलाक को गलत बताया गया है। तलाक केवल मुस्लिम समाज की समस्या नहीं है। समाज के सभी समुदायों में तलाक हो रहे हैं, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सिर्फ मुस्लिम महिलाओं की फिक्र है, भले ही मर्द भाड़ में चले जाएं। मदनी ने कहा कि तीन तलाक को इस तरह से प्रचारित किया गया है जैसे पैदा होने वाली हर लड़की को तलाक दिया गया हो।
महमूद मदनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप तो लगा दिया लेकिन वो ये नहीं बता पाए कि अभी तक मुस्लिम संगठनों ने तीन तलाक को लेकर क्या किया है. अगर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कुछ किया होता तो ये मामला इतना बड़ा नहीं होता, एक तरह से ये आंख बंद करने की बात हो गई. तीन तलाक का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में गया, क्योंकि समाज से इंसाफ नहीं मिल पा रहा था, सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को अवैध करार दिया और नरेंद्र मोदी सरकार से इस पर कानून बनाने के लिए कहा। इस पर मोदी सरकार पर हमला करना कहां तक उचित है। सरकार कोर्ट के निर्देशानुसार काम कर रही है। मर्दों की चिंता है इसलिए ही तो सरकार कानून ला रही है, जिस से मर्द अपने गुस्से को कंट्रोल कर सकें और तीन तलाक से दूर रहें।
ये हैरान करने वाला है कि किस तरह से कुछ लोग खुद को हजारों लोगों की आवाज बताते हैं, महमूद मदनी को वो महिलाएं नहीं दिखाई देती हैं जो तीन तलाक का शिकार हैं, जिनको गुजारे के लिए पैसे तक नहीं मिल पाते हैं, शौहर तीन बार तलाक बोल कर अपने साऱे फर्जों से आजाद हो जाता है, जैसे घर के पुराने कपड़े बांध कर घर से बाहर कर दिया जाए। इस कुप्रथा के खिलाफ कुछ हो रहा है जिस से मुस्लिम महिलाएं खुश हैं तो इस पर मदनी कह रहे हैं कि सरकार को मर्दों की चिंता नहीं है। वो ये शायद भूल जाते हैं कि समाज में सब कुछ मर्दों के लिए ही तो है, महिलाओं को तो हमेशा से दबाया जाता रहा है, अब कतरा भर रोशनी मिल रही है तो उस से भी इन लोगों को परेशानी हो रही है।