टेरर फंडिंग केस : NIA की चार्जशीट में हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन मुख्य आरोपी
टेरर फंडिंग केस में NIA ने अदालत में अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। जिसमें हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन को मुख्य आरोपी बनाया गया है।
New Delhi Jan 18 : टेरर फंडिंग केस में राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी NIA ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में अपनी चार्जशीट दाखिल कर दी है। NIA ने इस मामले में कुल दस लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की। जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक और जमात-उद-दावा के चीफ हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिद्दीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन को मुख्य आरोपी बनाया गया है। इसके अलावा टेरर फंडिंग केस में NIA ने कश्मीर के सात अलगाववादी नेता और एक बिजनेसमैन को भी आरोपी बनाया है। NIA का आरोप है कि कश्मीर के कई अलगाववादी नेता पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के सरगनाओं के संपर्क में रहकर कश्मीर में हिंसा भड़काने के लिए पैसा लेते थे। ये पैसा इन लोगों के पास कई माध्यमों से पहुंचता था। कुछ पैसा हवाला के जरिए पहुंचाया जाता था तो कुछ खाड़ी देशों के जरिए दूसरे लोगों के अकाउंट्स में भेजे जाते थे।
पिछले साल से ही NIA ने टेरर फंडिंग केस में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के खिलाफ शिकंजा कसना शुरु कर दिया था। जिसमें NIA ने सात अलगाववादी नेताओं के अलावा कश्मीर के एक बिजनेसमैन को भी गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार लोगों में हुर्रियत कांफ्रेंस के मुखिया सैयद अली शाह गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह उर्फ अल्ताफ फंटूस भी शामिल था। NIA ने टेरर फंडिंग केस में जिन लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की है उसमें पाकिस्तान में रह रहे आतंकी सरगना हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन के अलावा कश्मीर के अलगाववादी नेता अल्ताफ फंटूस, अयाज़ अहमद, पीर सैफ्फुला, शाहे-उल-इस्लाम, मेहराजुद्दीन कलवल, नईम खान, फारूख अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे और जहूर अहमद वडाली का नाम शामिल है। इन सभी लोगों के खिलाफ NIA की ओर से आरोप तय कर दिए गए हैं। इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पिछले साल जुलाई महीने में की गई थी।
टेरर फंडिंग केस में कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के ठिकानों पर की गई छापेमारी में NIA को उस वक्त बड़ी मात्रा में कैश, आतंकी संगठनों के लेटर हैड के अलावा सोना-चांदी और कई प्रॉपर्टी के दस्तावेज भी मिले थे। तब पता चला था कि टेरर फंडिंग के जरिए इन लोगों ने अच्छा खासा पैसा बना रखा था। NIA ने सभी आरोपियों पर कई धाराओं के तहत चार्ज फ्रेम किए हैं। इन लोगों को गैरकानूनी गतिविधियों (निवारण) एक्ट, (यूएपी एक्ट 1967) के साथ-साथ धारा 121 और 120B समेत IPC की कई धाराओं के तहत आरोपी बनाया है। इसमें धारा 121 देश के खिलाफ जंग छेड़ने या फिर छेड़ने की कोशिश से जुड़ी हुई है। यानी सीधे शब्दों में समझे तो सभी को देशद्रोह के आरोप में भी फ्रेम किया गया है। NIA को अपनी जांच में पता चला था कि इन सभी नेताओं के ताल्लुक पाकिस्तान के आतंकी संगठनों से थे।
जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, जमात-उद-दावा, हिजबुल मुजाहिद्दीन के अलावा दुख्तरान-ए-मिल्लत का नाम शामिल था। दरअसल, कश्मीर में बैठे अलगाववादी नेता हाफिज सईद और सैयद सलाहुइ्ददीन के संपर्क में रहते थे। ये दोनों ही नेता कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान या फिर खाड़ी देशों के जरिए पैसा भिजवाते थे। जब पैसा कश्मीर पहुंच जाता था तो यहां के अलगाववादी नेता युवाओं को बहकाकर घाटी में हिंसा भड़काते थे। इस हिंसा में अलगाववादी नेताओं के दिहाड़ी पत्थरबाज भी शामिल रहते थे। जिन्हें रोजाना तीन सौ से पांच सौ रूपए मिलता था। ये लोग सुरक्षाबलों पर हमलाकर, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाकर देश के खिलाफ जंग झेड़ने की लगातार कोशिश कर रहे थे। टेरर फंडिंग को लेकर देश के एक जाने-माने न्यूज चैनल ने स्टिंग ऑपरेशन भी किया था। जिसमें नेताओं ने कईयों की पोल खोलकर रख दी थी।