ISI के इसी एजेंट ने अगवा किया था कुलभूषण जाधव को, जानिए कौन है मुल्ला उमर ईरानी

अब तक आपको पता चल चुका होगा कि ISI ने कुलभूषण जाधव को मुल्‍ला उमर ईरानी के जरिए ईरान से अगवा कराया था। लेकिन, कौन है ईरानी जरा ये भी जान लीजिए।

New Delhi Jan 20 : अभी कल की ही बात है जब बलूच नेता मामा कदीर ने खुलासा किया था कि भारतीय नौसेना के अफसर कुलभूषण जाधव को ईरान से किडनैप करने के लिए ISI के अफसरों ने मुल्‍ला उमर ईरानी को करोड़ों रुपए की सुपारी दी थी। मुल्‍ला उमर ईरानी ने ही कुलभूषण जाधव को ईरान से अगवा कर ISI के हवाले किया था। कुलभूषण जाधव के मामले में मामा कदीर के खुलासे के बाद पाकिस्‍तान बेनकाब हो गया है। लेकिन, मुल्‍ला उमर ईरानी का बेनकाब होना अभी बाकी है। दरसअल, बहुत कम लोग हैं जो मुल्‍ला उमर ईरानी को अच्‍छे से जानते हैं। मुल्‍ला उमर ईरान में सुन्‍नी आतंकी संगठन जैश-उल-अद्ल का सरगना है। जो इस संगठन के मुखिया सलाहुददीन फारुखी का बेहद खास है। एक तरह से देखे तो परदे के पीछे जैश-उल-अद्ल का सारा कामकाज मुल्‍ला उमर ईरानी ही संभालता है। मुल्‍ला उमर ईरान में बतौर ISI एजेंट भी काम करता है। वो लगातार ईरान में पाकिस्‍तानी दूतावास और पाक आर्मी के अफसरों के संपर्क में रहता है।

Advertisement

बेहद विश्‍वस्‍त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुल्‍ला उमर ईरानी को पाकिस्‍तानी दूतावास से फंड भी मिलता है। यानी कह सकते हैं कि मुल्‍ला उमर ईरान में ISI का फुलटाइम अंडरकवर एजेंट है। जो अपने आतंकी संगठन को चलाने के साथ-साथ पाकिस्‍तान के लिए जासूसी का भी काम करता है। बलूचिस्‍तान में होने वाली कई आतंकी वारदातों में भी मुल्‍ला उमर का नाम सामने आ चुका है। बलूचिस्‍तान के एक्टिविस्‍ट मुल्‍ला उमर ईरानी को अपना दुश्‍मन मानते हैं। वो अकसर शिया समुदाय के लोगों को टारगेट कर उन्‍हें मारता है। दरअसल, ईरान शिया बाहुल्‍य देश है। ऐसे में इस संगठन का मानना है कि ईरान में सुन्‍नी समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव किया जाता है। जैश-उल-अद्ल संगठन के आतंकी ईरानी फौज के सिपाहियों को भी अपने टारगेट पर रखते हैं। ये संगठन ईरान में कई आतंकी वारदातों को अंजाम दे चुका है।

Advertisement

बात फरवरी मार्च 2016 की है। मुल्‍ला उमर ईरानी को अपने संगठन के लिए काम करने वाले ईरान के एक कारोबारी ग्रुप से पता चला था कि भारतीय नौसेना का एक रिटायर्ड अधिकारी ईरान में बिजनेस करने आया है। ये बात मुल्‍ला उमर को हजम नहीं हो रही थी। उसने फौरन ही कुलभूषण के फर्जी तार बलूचिस्‍तान से जोड़ दिए। जो ईरान से एकदम सटा हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मुल्‍ला उमर ईरानी ने ISI के अफसरों के सामने अपने नंबर बढ़ाने के लिए उन्‍हें कुलभूषण जाधव से जुड़ी कुछ फर्जी जानकारियां भी दी। जिसमें कहा गया कि कुलभूषण जाधव चाबहार पोर्ट से बिजनेस के बहाने बलूचिस्‍तान में अपना नेटवर्क बढ़ाना चाहता है। ISI को वैसे भी हमेशा किसी ना किसी भारतीय की तलाश रहती है जिसे फर्जी केस में फंसा कर गिरफ्तार किया जा सके और उसे भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट बताया जा सके।

Advertisement

कुलभूषण जाधव का नौसेना का बैकग्राउंड ISI के फर्जी रॉ एजेंट की पटकथा पर एकदम सटीक बैठ रहा था। इसके बाद ISI के अफसरों ने मुल्‍ला उमर ईरानी को ही कुलभूषण जाधव को अपने हवाले करने की सुपारी दे डाली। इसके बाद मुल्‍ला उमर ने अपने संगठन के लिए काम करने वाली कारोबारी कंपनी के जरिए कुलभूषण को ईरान के चाबहार पोर्ट से लगभग 52 किलोमीटर दूर सरबज शहर में बुलाया। यहां से जैश-उल-अद्ल के आतंकियों ने कुलभूषण को बंधक बना लिया। उनकी आंख पर पट्टी बांध दी गई और दोनों हाथों को पीछे की ओर बांध दिया गया। इसके बाद इस संगठन के आतंकियों ने कुलभूषण जाधव को सफेद रंग की मारूति वैन नुमा कार में बिठा लिया। इस कार के दोनों दरवाजे भी मारूति वैन की तरह स्‍लाइडिंग वाले ही थे। इसके बाद ये लोग कुलभूषण को मशकील शहर लेकर पहुंचे। जो ईरान और बलूचिस्‍तान की सीमा पर है। मशकील में जिस जगह पर कुलभूषण जाधव को रखा गया था वहां ISI के अफसर और कुछ दूसरे एजेंट भी मौजूद थे। यहीं पर सुरक्षित तरीके से बार्डर पार करने की रणनीति बनाई गई। जिसके बाद कुलभूषण जाधव को बलूचिस्‍तान की राजधानी क्‍वेटा ले जाया गया। कुलभूषण जाधव को सरबज शहर से उठाकर क्‍वेटा ले जाने का पूरा का पूरा प्‍लान खुद मुल्‍ला उमर ईरानी ने तैयार किया था। बार्डर पर उसकी मदद के लिए पाक आर्मी की बैकअप टीम भी तैयार थी।