AAP के कुल 37 विधायकों पर खतरे की तलवार, केजरीवाल तो बौखला जाएंगे

अगर आपको भी ये लग रहा है कि AAP के केवल 20 विधायकों की सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है तो फिर से सोचिए, इनकी संख्या कुल 37 हो सकती है।

New Delhi, Jan 21: दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल जब सत्ता में आए थे, तो उनसे बहुत सारी उम्मीदें थीं, लेकिन वो काम के बजाय राजनीति में उलझ के रह गए. उन्होंने टकराव का रास्ता चुना, कई ऐसे फैसले किए जिसकी शक्ति दिल्ली सरकार के पास नहीं थी, इस तरह के फैसलों से वो अपनी जमीन तैयार करते रहे कि हम तो काम करना चाहते हैं लेकिन केंद्र सरकार हमें काम नहीं करने दे रही है। इसी तरह का एक फैसला था AAP के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाने का. जिसके कारण पार्टी के इन विधायकों की सदस्यता पर अब तलवार लटक रही है। जरनैल सिंह के इस्तीफा देने के बाद पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यत खतरे में है। लेकिन मुद्दा केवल इतना नहीं है। आप के केवल 20 विधायक ही खतरे में नहीं हैं।

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संसदीय सचिव का पद लाभ के पद के दायरे में आता है, इनकी नियुक्ति के खिलाफ एक याचिका दाखिल की गई थी, जिसे राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के पास भेज दिया था। चुनाव आयोग ने अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेज दी है, आयोग ने आप के 20 विधायकों की सदस्यता को रद्द करने की सिफारिश भेजी है। इसके बाद से ही दिल्ली की सियासत में तूफान आया हुआ है, आप की तरफ से सीधे चुनाव आयोग पर ही हमला बोल दिया गया. कहा गया कि आयोग पीएम मोदी का कर्ज उतार रहा है। इसी के साथ आप नेता ये मानने को तैयार ही नहीं है कि इन विधायकों को लाभ का पद दिया गया था. बीजेपी औऱ कांग्रेस के नेता भी इस मामले को लेकर केजरीवाल पर हमला कर रहे हैं। इनका कहना है कि नैतिकता के आधार पर केजरीवाल को इस्तीफा देना चाहिए।

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हालांकि ये मामला नैतिकता से अलग है, ये तकनीकी मामला है, जिस में केजरीवाल और AAP बुरी तरह से फंस चुके हैं। समस्या ये है कि आप के केवल 20 विधायक ही नहीं फंसे हुए हैं, बल्कि रोगी कल्याण समिति के मामले में भी आप के 27 विधायक फंसे हुए हैं। ये वो मामला है जिस में अगर फैसला आ गया तो आप की सरकार खतरे में आ जाएगी। दिल्ली सरकार ने 27 विधायकों को रोगी कल्याण समिति का अध्यक्ष बनाया था। खास बात ये है कि इनमें से 10 विधायक संसदीय सचिव के मामले में भी फंसे हुए हैं। इस तरह से आप के कुल 37 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक रही है। ये मामला भी चुनाव आयोग में लंबित है, हालांकि आम आदमी पार्टी का कहना है कि इन विधायकों की नियुक्ति नियमों के अनुसार की गई थी।

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एक के बाद एक जिस तरह से मुसीबतों में केजरीवाल घिर रहे हैं उस से उनकी राजनीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। कहा जा रहा है कि केजरीवाल के इन फैसलों को लेकर अब पार्टी के विधायकों में नाराजगी है। केजरीवाल के कारण उनकी सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है। बता दें कि रोगी कल्याण समिति के मामले में भी एक याचिका दाखिल गई थी। जिसे राष्ट्रपति ने चुनाव आयोग के पास बेज दिया था. अगर चुनाव आयोग इस पर फैसला सुनाते हुए इन विधायकों की सदस्यता को रद्द कर देता है तो AAP के पास कुल 29 विधायक बचेंगे, इस तरह से सरकार अस्पमत में आ जाएगी, ये वो तकनीकी समस्याएं हैं जिनमें केजरीवाल बुरी तरह से घिरे हुए हैं। निकलने की कोई राह दिखाई नहीं दे रही है। आम आदमी पार्टी कानूनी सलाह की बात कर रही है. उसकी मशा मामले को जितना हो सके उतना लंबित करने की है।